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Hot Seat Dhubri: लगातार चौथी जीत की कोशिश में बदरुद्दीन अजमल, धुबरी में आज तक नहीं जीत सका कोई हिंदू प्रत्याशी
Hot Seat Dhubri: धुबरी लोकसभा क्षेत्र में एआईयूडीएफ के मुखिया बदरुद्दीन अजमल की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है और 2009 से ही उन्होंने इस लोकसभा सीट पर कब्जा कर रखा है।
Hot Seat Dhubri: लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने असम में पूरी ताकत लगा रखी है। असम में लोकसभा की 14 सीटें हैं जिनमें 10 सीटों पर मतदान का काम पूरा हो चुका है। अब बाकी बची चार सीटों पर तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होने वाला है। इन सीटों में धुबरी की वह बहुचर्चित लोकसभा सीट भी शामिल है जहां पर 2009 के लोकसभा चुनाव से ही एआईयूडीएफ के नेता बदरुद्दीन अजमल का कब्जा है। अजमल इस बार के लोकसभा चुनाव में भी अखाड़े में उतरे हैं और उनकी दावेदारी को इस बार भी सबसे मजबूत माना जा रहा है।
भाजपा की ओर से इस बार असम के लोकसभा चुनाव में 14 में से 13 सीटों पर जीत हासिल करने का दावा किया जा रहा है। जिस एक लोकसभा सीट पर भाजपा जीत का दावा नहीं कर रही है, वह धुबरी लोकसभा सीट ही है जहां बदरुद्दीन अजमल की सबसे मजबूत पकड़ मानी जाती है। इस सीट पर अजमल का मुकाबला असम गण परिषद और कांग्रेस के उम्मीदवार से हो रहा है। करीब 85 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाताओं वाली इस लोकसभा सीट पर 1952 से आज तक एक भी हिंदू प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका है।
इन तीन प्रत्याशियों में हो रहा मुकाबला
धुबरी लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपना उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं उतारा है। दरअसल भाजपा ने असम में असम गण परिषद के साथ गठबंधन किया है और इस सीट पर असम गण परिषद के उम्मीदवार जावेद इस्लाम बदरुद्दीन अजमल को चुनौती देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर रकीबुल हुसैन को चुनाव मैदान में उतारा है।
वैसे तो कांग्रेस भी इस लोकसभा क्षेत्र में पूरी ताकत लगाने की कोशिश में जुटी हुई है मगर रकीबुल का बाहरी होना कांग्रेस के लिए भारी पड़ता दिख रहा है। यही कारण है कि धुबरी लोकसभा सीट पर अजमल और जावेद इस्लाम के बीच ही मुख्य रूप से मुकाबला माना जा रहा है।
2009 से लगातार जीत रहे अजमल
धुबरी लोकसभा क्षेत्र में एआईयूडीएफ के मुखिया बदरुद्दीन अजमल की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है और 2009 से ही उन्होंने इस लोकसभा सीट पर कब्जा कर रखा है। असम के विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में मोदी लहर का खासा असर दिखा है मगर धुबरी लोकसभा क्षेत्र में बदरुद्दीन अजमल की जीत का रास्ता कभी बाधित नहीं हो सका।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 2021 में बदरुद्दीन अजमल को असम का दुश्मन बताया था मगर वे राजनीतिक रूप से अजमल को कमजोर नहीं बना सके। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान अजमल की पार्टी ने राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा 16 सीटों पर जीत हासिल की थी।
भाजपा कर रही 13 सीटों पर जीत का दावा
बदरुद्दीन अजमल खुद दो बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और लगातार तीन बार से संसद का चुनाव जीत रहे हैं इस बार भी धुबरी लोकसभा क्षेत्र में उनकी सियासी स्थिति दूसरे उम्मीदवारों की अपेक्षा ज्यादा मजबूत मानी जा रही है।
यही कारण है कि भाजपा की ओर से राज्य की 14 में से 13 लोकसभा सीटों पर जीत का दावा किया जा रहा है मगर धुरी लोकसभा सीट को लेकर भाजपा भी आश्वस्त नहीं है।
मुस्लिम मतदाताओं का अजमल को समर्थन
68 वर्षीय बदरुद्दीन अजमल इत्र के बड़े कारोबारी हैं और लंदन और अमेरिका में उनके शोरूम हैं। इसके साथ ही रियल एस्टेट, टेक्सटाइल, हेल्थ और एजुकेशन के क्षेत्र में भी उनका अच्छा खासा कारोबार है। उन्होंने 2005 में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट पार्टी बनाई थी। इसके बाद 2006 के विधानसभा चुनाव में अजमल की पार्टी ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी।
धुबरी लोकसभा क्षेत्र में अजमल ने अपनी पकड़ यूं ही नहीं बना रखी है। दरअसल धुबरी में करीब 85 फ़ीसदी मुस्लिम वोटर हैं और इनके दम पर ही अजमल लगातार जीत हासिल करते रहे हैं।
1952 से नहीं जीत सका कोई हिंदू प्रत्याशी
मुस्लिम मतदाताओं की इतनी ज्यादा संख्या होने के कारण ही तीनों दलों की ओर से मुस्लिम उम्मीदवार ही मैदान में उतारे गए हैं। धुबरी लोकसभा क्षेत्र के बारे में एक दिलचस्प बात यह भी है कि आज तक इस सीट पर कोई हिंदू उम्मीदवार नहीं जीत सका है। 1952 से आज तक इस लोकसभा सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार ही जीत हासिल करते रहे हैं।
यूसीसी को मुद्दा बनाने की अजमल की कोशिश
इस बार के लोकसभा चुनाव में अजमल मतदाताओं के बीच यूसीसी को मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि सरकार को यूसीसी नहीं लाना चाहिए। उनका कहना है कि जिस तरह स्कूल में हर तरह के बच्चे होते हैं,उसी तरह देश में विभिन्न धर्मों और विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं। ऐसे में सरकार की ओर से किसी को बांधना उचित कदम नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की ओर से कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाने और तीन तलाक को खत्म करने की बात की जाती है मगर सवाल यह है कि क्या मुस्लिम औरतों के लिए तलाक ही गंभीर समस्या है?
उनका कहना कि सरकार मुस्लिम लड़कियों की एजुकेशन के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। इसके साथ ही सरकार उन पर हो रहे जुल्मों को भी नहीं रोकती है। दरअसल भाजपा और मोदी सरकार का मकसद लोगों का ध्यान देश के सामने मौजूद असल मुद्दों से हटाना है।
कांग्रेस प्रत्याशी का मिलीभगत का आरोप
धुबरी लोकसभा सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी रकीबुल हसन ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और बदरुद्दीन अजमल के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री लोगों के घरों पर बुलडोजर चलवा रहे हैं मगर अजमल ने कभी उनके इस कदम का विरोध नहीं किया। रकीबुल लोगों को यह समझाने की कोशिश में जुटे हुए हैं कि अगर उन्होंने अजमल को वोट दिया तो उनका वोट बीजेपी के पास जाएगा। दूसरी ओर अजमल इस बाबत गोल-मोल जवाब देते हैं। उनका कहना है कि दोस्ती या दुश्मनी तो किसी से भी हो सकती है।
असम गण परिषद को इस बार जीत का भरोसा
धुबरी में असम गण परिषद के उम्मीदवार जावेद इस्लाम का कहना है कि असम की सरकार ने काफी काम किया है और लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है मगर धुबरी विकास के मामले में लगातार पिछड़ता जा रहा है। बदरुद्दीन अजमल के कार्यकाल में यहां विकास का कोई काम नहीं हुआ। इसलिए मुझे इस बार मतदाताओं का समर्थन हासिल होने का पूरा भरोसा है।
इस बार भी भारी पड़ रहे हैं अजमल
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अजमल पर घुसपैठ को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हैं। वैसे अजमल भाजपा और कांग्रेस की ओर से लगाए जा रहे आरोपों से पूरी तरह बेफिक्र नजर आते हैं। उन्हें धुबरी में एक बार फिर जीत हासिल करने का भरोसा है। धुबरी में तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होने वाला है। इस लोकसभा क्षेत्र में अजमल, असम गण परिषद और कांग्रेस तीनों ने पूरी ताकत लगा रखी है मगर अजमल अभी भी अपने दोनों प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।