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Lok Sabha Election 2024: मंडी में अब कंगना की सियासी राह आसान नहीं, गढ़ बचाने को कांग्रेस का बड़ा सियासी दांव

Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस ने काफी मंथन करने के बाद मंडी सीट से विक्रमादित्य सिंह को उतारने का ऐलान किया।

Anshuman Tiwari
Published on: 14 April 2024 10:21 AM IST
Lok Sabha Election ( Social: Media Photo)
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Lok Sabha Election ( Social: Media Photo)

Lok Sabha Election: हिमाचल प्रदेश के मंडी लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने बड़ा सियासी दांव खेलते हुए राज्य के कद्दावर मंत्री विक्रमादित्य सिंह को चुनाव मैदान में उतार दिया है। हिमाचल प्रदेश के सबसे ताकतवर कांग्रेस नेताओं में शुमार वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को चुनाव मैदान में उतारने से मंडी लोकसभा क्षेत्र में हाई प्रोफाइल मुकाबले की बिसात बिछ बच गई है। कांग्रेस ने काफी मंथन करने के बाद शनिवार को मंडी सीट से विक्रमादित्य सिंह को उतारने का ऐलान किया।

हालांकि प्रतिभा सिंह के इस सीट से चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद उनका नाम पहले से ही तय माना जा रहा था। कांग्रेस के इस दांव ने बॉलीवुड एक्ट्रेस और मंडी सीट से भाजपा की उम्मीदवार कंगना रनौत की सियासी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मंडी लोकसभा क्षेत्र पर वीरभद्र फैमिली की मजबूत पकड़ मानी जाती है। ऐसे में कंगना को अपने पहले लोकसभा चुनाव में ही कड़ी चुनौती का सामना करना होगा। वैसे अगर वे इस चुनौती का सामना करने में कामयाब रहीं तो निश्चित रूप से उनका सियासी कद बढ़ जाएगा।

मंडी में कांग्रेस की बड़ी रणनीति

मंडी लोकसभा क्षेत्र में विक्रमादित्य सिंह की उम्मीदवारी के पीछे कांग्रेस नेतृत्व की बड़ी रणनीति है। दरअसल इस कदम के जरिए कांग्रेस नेतृत्व में न केवल कंगना रनौत को घेरने का प्रयास किया है बल्कि राज्य की कांग्रेस इकाई में दरार पाटने की भी कोशिश की है। कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि विक्रमादित्य सिंह की उम्मीदवारी से कांग्रेस की राज्य इकाई में पैदा हुई गुटबाजी को खत्म किया जा सकता है।हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य की नाराजगी सामने आई थी। मंडी सीट से मौजूदा सांसद प्रतिभा सिंह मुख्यमंत्री के पद पर अपने बेटे को देखना चाहती थीं मगर सुखविंदर सिंह सुक्खू की ताजपोशी से वीरभद्र फैमिली नाराज थी। अब कांग्रेस ने मंडी सीट से विक्रमादित्य को उतार कर इस फैमिली की नाराजगी को दूर करने का भी प्रयास किया है।


विधानसभा उपचुनाव में भी होगा फायदा

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में काफी दिनों से खींचतान चल रही है और इसकी कीमत कांग्रेस को राज्यसभा चुनाव में हार के रूप में चुकानी पड़ी थी कांग्रेस के छह विधायकों के बागी तेवर अपना लेने के कारण राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा था। बाद में इन विधायकों की सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी।अब इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में 1 जून को उपचुनाव होने वाला है और राज्य की सुक्खू सरकार का भविष्य इस उपचुनाव के नतीजे पर ही टिका हुआ है। विक्रमादित्य सिंह की उम्मीदवारी के जरिए कांग्रेस को इस उपचुनाव में भी अपनी स्थिति मजबूत बनाने का मौका मिलेगा।कांग्रेस नेतृत्व ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि वीरभद्र फैमिली से पार्टी का अभी भी सामंजस्य बना हुआ है और पार्टी भाजपा की चुनौतियों से लड़ने को तैयार है।

मंडी में सक्रिय रहे हैं विक्रमादित्य सिंह

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान विक्रमादित्य सिंह ने शिमला ग्रामीण सीट पर दूसरी बार जीत हासिल की थी। राज्य में सत्तारूढ़ सुक्खू सरकार में विक्रमादित्य के पास लोक निर्माण और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग है। खुद को राम भक्त बताने वाले विक्रमादित्य सिंह की पोस्ट सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा में रहती है। सनातन के मुद्दे पर भी उनका स्पष्ट रुख रहा है।पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के इनकार के बावजूद उन्होंने अयोध्या में भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लिया था। अयोध्या में उनकी मौजूदगी मीडिया में चर्चा का विषय बनी थी।प्रदेश कांग्रेस की ओर से उन्हें पहले ही मंडी लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बना दिया गया था और अब वे खुद उम्मीदवार के रूप में सामने आए हैं। वे पिछले काफी दिनों से मंडी में सक्रिय रहे हैं। युवा मतदाताओं पर भी 35 वर्षीय विक्रमादित्य सिंह की मजबूत पकड़ मानी जाती है। अब हाईकमान की ओर से नाम पर मुहर लगने के बाद क्षेत्र में उनकी सक्रियता और बढ़ेगी।

मंडी में कंगना की चुनौतियां इसलिए बढ़ीं

मंडी लोकसभा क्षेत्र में कंगना की चुनौती इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि इस क्षेत्र पर वीरभद्र कुनबे की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। विक्रमादित्य सिंह की मां प्रतिभा सिंह खुद देश लोकसभा क्षेत्र से पांच बार चुनाव लड़ चुकी हैं और तीन बार उन्होंने जीत हासिल की है। दो बार उपचुनाव के दौरान उन्होंने इस सीट पर जीत हासिल की है।प्रतिभा सिंह ने 2021 के उपचुनाव में भाजपा को हराकर इस क्षेत्र पर कब्जा किया था और यही कारण है कि उन्हें इस बार भी मजबूत दावेदार माना जा रहा था मगर उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।विक्रमादित्य सिंह के पिता और हिमाचल प्रदेश के कद्दावर नेता वीरभद्र सिंह ने अपने पहले चुनाव में 26 साल की उम्र में मंडी सीट पर जीत हासिल की थी। वीरभद्र सिंह ने तीन बार इस लोकसभा सीट से जीत हासिल की। अब कांग्रेस ने उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह को उतार कर कंगना रनौत की सियासी राह मुश्किल बना दी है।

भाजपा ने भी झोंक रखी है पूरी ताकत

हालांकि कंगना के पक्ष में भाजपा की पूरी मशीनरी लगी हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अगुवाई में भाजपा नेता इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। भाजपा ने भी मंडी के लोकसभा चुनाव को प्रतिष्ठा की जंग बना लिया है।कंगना रनौत चुनाव मुकाबले में उतरने से पहले ही सियासी मुद्दों पर बेबाक टिप्पणियां करती रही हैं। अब उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस लोकसभा क्षेत्र में इस बार भाजपा की कंगना और कांग्रेस के विक्रमादित्य के बीच रोचक मुकाबला होगा।



Shalini Rai

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