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Lok Sabha Election 2024: डुमरियागंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
Lok Sabha Election 2024: - डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र में शोहरतगढ़, कपिलवस्तु, बांसी, इटवा और डुमरियागंज विधानसभा क्षेत्र आते हैं
क्षेत्र की खासियत
- डुमरियागंज शहर राप्ती नदी के किनारे बसा है और यहां से नेपाल की सीमा महज 30 किलोमीटर दूर है।
- इस जिले का इतिहास बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध से जुड़ा हुआ है। बुद्ध के पिता शुद्धोधन की राजधानी कपिलवस्तु (लुम्बिनी) इसी जिले में पड़ती है। जिले का नाम भी गौतम बुद्ध के बचपन के नाम सिद्धार्थ के नाम पर रखा गया है।
- 29 दिसंबर 1988 को बस्ती जिले के उत्तरी क्षेत्र को अलग करते हुए सिद्धार्थनगर के नाम से एक नए जिले का निर्माण किया गया था।
- इस क्षेत्र का काला नमक चावल बहुत मशहूर है। यह चावल आयरन और जिंक समेत कई गुणों से भरपूर होता है।
- जिले का पिपरहवा क्षेत्र अपने पुरातात्विक स्थल एवं खुदाई के लिए जाना जाता है। यहाँ एक विशाल स्तूप और कई मठों के खंडहर के अवशेष स्थित हैं। माना जाता है कि पिपरहवा गंवरिया शाक्य साम्राज्य की राजधानी कपिलवस्तु के प्राचीन शहर की जगह है जहां भगवान बुद्ध ने अपने जीवन काल के पहले 29 साल व्यतीत किये थे।
- जोगिया गांव में योगमाया मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है और माना जाता है कि देवी योगमाया माता का दर्शन करने से भक्तों की इच्छायें पूरी होती है और मंदिर के पास स्थित नदी में डुबकी लगाने से सारें कष्टों से छुटकारा पाया जा सकता है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दौरान योगमाया मंदिर के प्रांगण में मेला लगता है।
विधानसभा क्षेत्र
- डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र में शोहरतगढ़, कपिलवस्तु, बांसी, इटवा और डुमरियागंज विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें 2022 के विधानसभा चुनाव में शोहरतगढ़ सीट अपना दल ने जीती, कपिलवस्तु (एससी) और बांसी सीट भाजपा के खाते में गयी जबकि इटवा तथा डुमरियागंज सीट पर समाजवादी पार्टी ने कब्जा जमाया।
जातीय समीकरण
- डुमरियागंज क्षेत्र में कुल लगभग 19 लाख वोटर हैं और इस सीट पर हमेशा जातियों के आधार पर बड़ा प्रभाव होता है। यहाँ मुस्लिम मतदाताओं की भारी संख्या है और इनके वोट निर्णायक होते हैं। अनुमान है कि यहाँ आबादी का लगभग 54 फीसदी हिस्सा हिन्दुओं और 43 फीसदी मुस्लिमों का है। यहां पिछड़ा वर्ग के सर्वाधिक 40 फीसदी मतदाता हैं। जबकि अनुसूचित जाति के मतदाताओं की भी 16 फीसदी हिस्सेदारी है। यहाँ 18 फीसदी ब्राह्मण मतदाता भी बताए जाते हैं।
राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव
- डुमरियागंज लोकसभा सीट सिद्धार्थनगर जिले में आती है। इस सीट से उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बने जगदंबिका पाल सांसद हैं। जगदंबिका पहले कांग्रेस में हुआ करते थे, लेकिन बाद में भाजपा में शामिल हो गए। वह दोनों दलों के साथ लगातार 3 बार से सांसद चुने जा रहे हैं।
- डुमरियागंज में 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के केशव देव मालवीय ने जीत दर्ज की थी।
- 1957 में कांग्रेस के ही रामशंकर और 1962 में कृपाशंकर ने जीत दर्ज की।
- 1967 में भारतीय जनसंघ के नारायण स्वरूप शर्मा जीत दर्ज करने में कामयाब हुए।
- 1971 में कांग्रेस के केशव देव मालवीय को जीत हासिल हुई।
- 1977 में जनता पार्टी के माधव प्रसाद त्रिपाठी जीते।
- 1980 और 1984 में कांग्रेस पार्टी से काजी जलील अब्बासी ने जीत दर्ज की।
- 1989 में यहां से जनता दल के बृजभूषण तिवारी जीते।
- 1991 में भाजपा ने यहां खाता खोला और रामपाल सिंह ने जीत दर्ज की।
- 1996 में सपा के बृजभूषण तिवारी जीते।
- 1998 और 1999 में भाजपा के रामपाल सिंह ने जीत दर्ज की।
- 2004 में बसपा ने भी यहां खाता खोला और मोहम्मद मुकीम ने जीत दर्ज की।
- 2009 में जगदंबिका पाल कांग्रेस से और 2014 तथा 2019 में भाजपा से लगातार जीत दर्ज कर सांसद बने हैं
इस बार के उम्मीदवार
- तीन बार के सांसद जगदंबिका पाल इस बार भी भाजपा से चुनाव मैदान में हैं। उन्हें इंडिया अलायन्स के तहत सपा प्रत्याशी भीष्मशंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी से कड़ी टक्कर मिल रही है। वह पूर्वांचल के बाहुबली रहे पंडित हरिशंकर तिवारी के बड़े पुत्र हैं। इसके अलावा बसपा ने ख्वाजा शमसुद्दीन को मैदान में उतारा है।
- डुमरियागंज में इस बार सिर्फ छह प्रत्याशी मैदान में हैं। 1980 से लेकर 2019 तक के 11 चुनाव में कभी इतने कम प्रत्याशी नहीं रहे थे।
स्थानीय मुद्दे
- किसानों की समस्याएँ, बाढ़, बेरोजगारी, उद्योग धंधों की कमी आदि प्रमुख मुद्दे हैं।