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Mathura Lok Sabha Seat: मथुरा में बहुमत में जाट मतदाता, वैश्य और यादव बिरादरी की भी अहम भूमिका
Mathura Lok Sabha Seat: इस सीट ने पूर्व प्रधानमंत्री अलट विहारी वाजपेयी, राजा बच्चू सिंह, नटवर सिंह और राजा विश्ववेंद्र सिंह को चुनाव में हार का भी मजा चखाया।
Mathura Lok Sabha Seat: उत्तर प्रदेश की पश्चिमी सीमा यमुना किनारे बसे मथुरा संसदीय क्षेत्र की पहचान भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली से है। इसके पूर्व में हाथरस, दक्षिण पूर्व में आगरा, उत्तर में अलीगढ़ और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान का जिला भरतपुर हैं। मथुरा वस्तुतः एक धार्मिक क्षेत्र है।
चुनावी इतिहास
- मथुरा लोकसभा सीट से अब तक कोई भी उम्मीदवार लगातार तीन बार सांसद नहीं बना है। शुरुआती दो चुनाव में तो यहां से निर्दलीय सांसद बने थे।
- 1962, 1971 और 1984 और 2004 में मथुरा से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।
- भाजपा ने इस सीट पर 1991, 1996, 1998, 1999, 2014 और 2019 में जीत हासिल की। इस हिसाब से ये सीट एक तरह से भाजपा की मजबूत सीट रही है।
- जनता पार्टी, रालोद और जनता दल के नेता भी यहां से जीत हासिल कर चुके हैं।
- मथुरा में कई बाहरी प्रत्याशी भी चुनाव जीत कर संसद तक पहुंचते रहे हैं जिनमें राजा महेंद्र प्रताप सिंह, हरियाणा के मनीराम बागड़ी, एटा के साक्षी महराज, जयंत चौधरी और मुंबई की हेमामालिनी शामिल हैं।
- इस सीट ने पूर्व प्रधानमंत्री अलट विहारी वाजपेयी, राजा बच्चू सिंह, नटवर सिंह और राजा विश्ववेंद्र सिंह को चुनाव में हार का भी मजा चखाया।
क्या हैं स्थानीय मुद्दे
- अत्यधिक भीड़, बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रदूषण, ट्रैफिक, यमुना शुद्धिकरण, खारा पानी, पर्यटन और उद्योग प्रमुख स्थानीय मुद्दे हैं।
जातिगत समीकरण
- मथुरा में कुल 17 लाख 86 हजार 189 मतदाता हैं। यहाँ जाट मतदाता बहुमत में हैं और अब तक चुने गए 17 में से 14 सांसद जाट समुदाय से ही आते हैं। 2019 के समय यहां पर सबसे अधिक जाट वोटर्स थे जिनकी संख्या करीब सवा 3 लाख थी। इनके अलावा ब्राह्मण बिरादरी के पौने 3 लाख मतदाता थे। ठाकुर, जाटव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या इनके बाद आती है। वैश्य और यादव बिरादरी भी अहम भूमिका में हैं।
विधानसभा क्षेत्र
- मथुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं - मथुरा वृंदावन, छाता, मांट, गोवर्धन और बलदेव। 2022 में प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हो गया।
इस बार के प्रत्याशी
- भाजपा ने मौजूदा सांसद हेमा मालिनी को टिकट दिया है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने मुकेश धनगर और बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व आईआरएस अधिकारी सुरेश सिंह को टिकट दिया है। सुरेश सिंह से पहले बसपा ने पत्रकार कमलकांत उपमन्यु को टिकट दिया था लेकिन बाद में मायावती ने जाट कार्ड खेलते हुए सुरेश सिंह को मैदान में उतार दिया।
- हेमा मालिनी खुद को जाट बताती हैं, क्योंकि उन्होंने धर्मेंद्र से शादी की है। वह 10 साल से मथुरा सांसद हैं और अब क्षेत्र की समस्याओं के लिए उन पर सवाल उठने लगे हैं। कई मौकों पर मतदाता उन्हें इसके लिए जिम्मेदार भी मानते हैं। ऐसे में तय है कि सपा और बसपा के उम्मीदवार वोट काटने का काम करेंगे।