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Lok Sabha Election: पशुपति पारस की विपक्षी महागठबंधन में भी एंट्री मुश्किल, आज कर सकते हैं अपनी रणनीति का खुलासा
Lok Sabha Election 2024: पशुपति पारस अपने सहयोगियों के साथ चर्चा में जुटे हुए हैं और आज अपनी रणनीति का खुलासा कर सकते हैं।
Lok Sabha Election 2024: मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद पशुपति कुमार पारस की मुश्किलें और बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। एनडीए में एक भी सीट न मिलने के बाद पारस ने मंगलवार को कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था और माना जा रहा था कि वे बिहार में विपक्षी महागठबंधन में शामिल हो जाएंगे मगर विपक्षी महागठबंधन में भी उनकी एंट्री अब मुश्किल मानी जाने लगी है। पशुपति पारस अपने सहयोगियों के साथ चर्चा में जुटे हुए हैं और आज अपनी रणनीति का खुलासा कर सकते हैं। कल उनकी राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की चर्चा थी मगर वे लालू से मिलने के लिए नहीं पहुंचे।
जानकार सूत्रों का कहना है कि महागठबंधन में सीट बंटवारे के फॉर्मूले को अंतिम रूप दिया जा चुका है और इस बाबत आज बड़ा ऐलान किया जा सकता है। ऐसे में पारस और उनके सहयोगियों के लिए सीटों की व्यवस्था मुश्किल मानी जा रही है। राजद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने साफ तौर पर कहा है कि पारस हमारे साथ आएं, ना आएं, यह उनकी मर्जी, लेकिन महागठबंधन का स्वरूप अब फाइनल हो चुका है। ऐसे में अगर पारस की महागठबंधन में एंट्री नहीं हो सकी तो उनकी आगे की सियासी राह और मुश्किल हो जाएगी।
विकल्प की तलाश में जुटे पशुपति पारस
केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद पशुपति पारस मंगलवार को ही पटना पहुंच गए और उन्होंने अपने सियासी विकल्प की तलाश तेज कर दी है। उनका कहना है कि एक-दो दिनों के भीतर वे अपने सहयोगियों से चर्चा के बाद अपनी भावी रणनीति का खुलासा करेंगे। माना जा रहा है कि वे आज अपने भावी कदम का ऐलान कर सकते हैं। एनडीए में किए गए सीट बंटवारे में पारस के भतीजे चिराग पासवान को पांच लोकसभा सीटें मिली हैं जबकि पारस के हाथ कुछ भी नहीं लगा है।
सियासी जानकारों का मानना है कि अब पारस के सामने विकल्प भी काफी सीमित रह गए हैं। विपक्षी महागठबंधन में उनकी एंट्री मुश्किल मानी जा रही है जबकि अपने दम पर चुनाव लड़ना भी उनके लिए आसान नहीं माना जा रहा है। उनके सहयोगी भी उनसे छिटकने लगे हैं।
दिल्ली में पारस की प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान उनके साथ का कोई सांसद मौजूद नहीं था। सूरजभान के भाई चंदन सिंह भी नहीं और पारस का दूसरा सांसद भतीजा प्रिंस राज भी नहीं, जबकि पारस प्रिंस राज के सरकारी बंगले में ही रहते हैं। वैशाली की संसद वीणा सिंह पहले ही पाला बदलते हुए चिराग पासवान के साथ चली गई हैं।
अब विपक्षी महागठबंधन के सहारे की जरूरत
भाजपा से अलग होकर राजद की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे पारस ने पहले से ही यह बात करते रहे हैं कि वह किसी भी सूरत में हाजीपुर सीट को नहीं छोड़ेंगे। अब बिहार की सियासत में चिराग पासवान को जवाब देने के लिए पारस को किसी दल या गठबंधन का सहारा चाहिए। सूत्रों का कहना है कि राजद से उनकी पहले से ही बातचीत चल रही थी। अगर दल के आधार पर गठबंधन होता है तो राजद को अपने मित्र दलों से सहमति लेनी पड़ेगी।
कांग्रेस एवं वामदलों के राजी होने पर ही उनके लिए सीटों की व्यवस्था करना संभव हो सकेगा। दूसरा रास्ता यह निकाला जा सकता है कि वह राजद या कांग्रेस के टिकट पर हाजीपुर मैं चिराग पासवान को चुनौती दें। अब देखने वाली बात हो गई कि पारस अपने आगे की सियासी राह के लिए किस विकल्प को चुनते हैं।
राजद नेता ने जताई तीखी प्रतिक्रिया
इस बीच और राजद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने पशुपति पारस को लेकर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पारस के पश्चाताप करने से अब कोई फायदा नहीं होने वाला है। पारस लालच में बीजेपी और गलत काम करने वालों का साथ देते रहे। भाजपा देश तोड़ने और संविधान खत्म करने में जुटी रही और इस काम में पारस मददगार बने रहे।
उन्होंने कहा कि कल तक पारस को बीजेपी काफी अच्छी लग रही थी मगर जब उन्हें तमाचा पड़ा तब उन्हें हम लोगों की याद आने लगी। श्याम रजक ने कहा कि बिहार में विपक्षी महागठबंधन का स्वरूप तय हो गया है और आज सीट बंटवारे का ऐलान किया जा सकता है। ऐसे में पशुपति पारस को अपने सियासी भविष्य को लेकर फैसला करना है।
राजद नेता के इस बयान पर पशुपति पारस की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है मगर सियासी जानकारों का मानना है कि विपक्षी महागठबंधन में भी उनकी एंट्री अब आसान नहीं रह गई है।
अब यह देखने वाली बात होगी कि अपने सहयोगियों के साथ पारस आगे की क्या रणनीति तय करते हैं।