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Lok Sabha Election 2024: प्रतापगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
Lok Sabha Election 2024: प्रतापगढ़ जिले में विश्व का इकलौता किसान देवता मंदिर है, यह किसान देवता के नाम से एक ऐसा धार्मिक संस्थान है जहां किसी भी धर्म व संप्रदाय के लोग आ सकते हैं
क्षेत्र की खासियत
- 1628-1682 के बीच एक स्थानीय राजा प्रताप सिंह ने रामपुर में अरोर के पुराने शहर के पास एक गढ़ (किला) बनाया और खुद के नाम पर इसे प्रतापगढ़ बुलाया। इसके बाद किले के आसपास के क्षेत्र प्रतापगढ़ के रूप में जाना जाने लगा।
- भगवान राम के वनवास यात्रा में जिन पांच अहम नदियों का जिक्र रामचरितमानस में है, उनमें से एक प्रतापगढ़ की सई नदी भी है।
- प्रतापगढ़ का बेल्हा देवी का मंदिर, भक्तिधाम, श्रीमंधारस्वामी मंदिर, केशवराजजी मंदिर, घूमेश्वतर नाथ धाम, शनिदेव मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं।
- जब यह जिला 1858 में गठित किया गया तो अपने मुख्यालय बेला के नाम पर रखा गया।
- प्रतापगढ़ अपने आवंला के लिए विख्यात है। इस क्षेत्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती-किसानी है।
- प्रतापगढ़ के विधानसभा क्षेत्र पट्टी से ही पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पदयात्रा के जरिए अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था।
- रीतिकाल के महान कवि आचार्य भिखारी दास और हिंदी के प्रख्यात कवि हरिवंश राय बच्चन की जन्मस्थली प्रतापगढ़ रही है।
- यह जिला स्वामी करपात्री जी की जन्मभूमि और महात्मा बुद्ध की तपोस्थली भी रही है। जगद्गुरु कृपालु महाराज भी यहीं के थे।
- प्रतापगढ़ जिले में विश्व का इकलौता किसान देवता मंदिर है। यह किसान देवता के नाम से एक ऐसा धार्मिक संस्थान है जहां किसी भी धर्म व संप्रदाय के लोग आ सकते हैं। इस मंदिर का निर्माण योगिराज सरकार ने करवाया था।
विधानसभा क्षेत्र
- प्रतापगढ़ संसदीय सीट के तहत विश्वनाथगंज, रामपुर खास, प्रतापगढ़, पट्टी और रानीगंज विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में रामपुर ख़ास सीट पर कांग्रेस को जीत मिली तो समाजवादी पार्टी को पट्टी और रानीगंज में जीत हासिल हुई। भाजपा के खाते में प्रतापगढ़ तथा अपना दल के खाते में विश्वनाथगंज सीट है।
जातीय समीकरण
- प्रतापगढ़ लोकसभा क्षेत्र में 2011 के जनगणना के मुताबिक कुल जनसंख्या करीब 23 लाख है। इसमें 94.18 फीसदी ग्रामीण औैर 5.82 फीसदी शहरी आबादी है। इस संसदीय क्षेत्र में करीब 11 फीसदी कुर्मी, 16 फीसदी ब्राह्मण और 8 फीसदी क्षत्रिय मतदाता हैं। इसके अलावा एससी-एसटी बिरादरी के 19 फीसदी, मुस्लिम बिरादरी 15 फीसदी और यादव 10 फीसदी हैं।
राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव
- प्रतापगढ़ की राजनीति में यहाँ के तीन मुख्य राजघरानों का नाम हमेशा रहा। इनमे से पहला नाम है बिसेन राजपूत राय बजरंग बहादुर सिंह का परिवार है जिनके वंशज रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) हैं। राय बजरंग बहादुर सिंह हिमाचल प्रदेश के गवर्नर थे तथा स्वतंत्रता सेनानी भी थे। दूसरा परिवार सोमवंशी राजपूत राजा प्रताप बहादुर सिंह का है और तीसरा परिवार कालाकांकर के राजा दिनेश सिंह का है जो भारत के वाणिज्य मंत्री और विदेश मंत्री रह चुके हैं।
- आजादी के बाद से प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर 16 बार लोकसभा सभा चुनाव हुए हैं। कांग्रेस यहां से 10 बार चुनाव जीत चुकी है। पहला आम चुनाव 1952 में हुआ था जिसमें कांग्रेस को जीत मिली थी। 1952 और 1957 में कांग्रेस के मुनीश्वर दत्त उपाध्याय सांसद चुने गए थे।
- 1962 के चुनाव में जनसंघ के अजीत प्रताप सिंह को जीत मिली थी।
- 1967 और 1971 में कांग्रेस के राजा दिनेश सिंह सांसद बने।
- 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के रूप नाथ सिंह यादव विजयी हुए।
- 1980 में कांग्रेस के टिकट पर अजीत प्रताप सिंह को जीत मिली।
- 1984 और 1989 के चुनाव में कांग्रेस के राजा दिनेश सिंह लगातार जीतने में कामयाब रहे।
- 1991 में जनता पार्टी के अभय प्रताप सिंह को जीत मिली।
- 1996 के चुनाव में कांग्रेस की राजकुमारी रत्ना सिंह सांसद चुनी गईं.
- 1998 के चुनाव में भाजपा के राम विलास वेदांती सांसद चुने गए।
- 1999 में कांग्रेस की उम्मीदवार राजकुमारी रत्ना सिंह दूसरी बार सांसद बनने में कामयाब रहीं।
- 2004 में समाजवादी पार्टी के अक्षय प्रताप सिंह गोपाल चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
- 2009 के चुनाव में राजकुमारी रत्ना सिंह फिर से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बनीं।
- 2014 के चुनाव में भाजपा के सहयोगी अपना दल के कुंवर हरिवंश सिंह विजयी रहे।
- 2019 के चुनाव में भाजपा के संगम लाल गुप्ता को जीत हासिल हुई।
इस बार के उम्मीदवार
- इस बार के चुनाव में भाजपा ने वर्तमान सांसद संगम लाल गुप्ता को फिर उतारा है। उनके सामने हैं इंडिया अलायन्स के तहत समाजवादी पार्टी के एसपी सिंह पटेल। बसपा ने प्रथमेश मिश्र को उम्मीदवार बनाया है।
स्थानीय मुद्दे
- आंवला किसानों की बदहाली, उद्योग धंधों का अभाव, बेरोजगारी, युवाओं का पलायन हर चुनाव में मुद्दा बनता है।