Lok Sabha Election 2024: श्रावस्ती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र

Lok Sabha Election 2024:- इस जिले का गठन सबसे पहले 1997 में 22 मई को किया गया, लेकिन 13 जनवरी 2004 को इस जिले का अस्तित्व खत्म कर दिया गया

Neel Mani Lal
Published on: 25 May 2024 11:01 AM GMT
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क्षेत्र की खासियत

- हिमालय की तलहटी में बसा श्रावस्ती जिला नेपाल सीमा के करीब है। श्रावस्ती की पहचान बौद्ध स्थल के रूप में है। विभूति नाथ मंदिर, सुहेलदेव वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, कच्ची कुटी, पक्की कुटी यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।

- प्राचीन काल में श्रावस्ती कोशल महाजनपद का एक प्रमुख नगर हुआ करता था। महात्मा बुद्ध के जीवनकाल में यह कोशल देश की राजधानी थी।

- बुद्धकालीन भारत के समय इसकी गिनती 16 महाजनपदों में हुआ करती थी। बौद्ध मान्यता के अनुसार अवत्थ श्रावस्ती नाम के एक ऋषि यहां रहते थे, जिनके नाम पर इस नगर का नाम श्रावस्ती पड़ा। महाभारत के अनुसार श्रावस्ती नाम श्रावस्त नाम के एक राजा के नाम पर रखा गया।

- महाकाव्यों और पुराणों के अनुसार श्रावस्ती श्री राम के पुत्र लव की राजधानी हुआ करती थी।

- आधुनिक काल में ब्रिटिश राज के दौरान जनरल कनिंघम ने इस स्थल की खुदाई कर इसकी प्राचीन महत्ता को दुनिया के सामने पेश किया।

- कुशीनगर की तरह यहां भी कई देशों ने बौद्ध मंदिरों का निर्माण कराया है। जहाँ दुनिया भर से बौद्ध श्रद्धालु आते हैं।

- श्रावस्ती में ढाई हज़ार साल पुराना पीपल का वृक्ष हैं, जिसको खुद महात्मा बुद्ध ने लगाया था।

- इस जिले का गठन सबसे पहले 1997 में 22 मई को किया गया, लेकिन 13 जनवरी 2004 को इस जिले का अस्तित्व खत्म कर दिया गया लेकिन 4 महीने बाद जून में इसे फिर से जिले के रूप में बहाल कर दिया गया।

विधानसभा क्षेत्र

- श्रावस्ती लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं – भिनगा, श्रावस्ती, तुलसीपुर, ज्ञानसारी और बलरामपुर। 2022 के विधानसभा चुनाव में भिनगा सीट समाजवादी पार्टी ने जबकि बाकी सीटें भाजपा ने जीतीं थीं।


जातीय समीकरण

- 2011 की जनगणना के आधार पर श्रावस्ती जिले की आबादी 11.2 लाख है जिसमें 5.9 लाख पुरुष और 5.2 लाख महिलाएं हैं। इसमें 68.87 फीसदी आबादी हिंदुओं की और 31 फीसदी मुस्लिम समाज की है। इनमें भी 83 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग की जबकि 17 फीसदी अनुसूचित जाति की है। अनुमानों के अनुसार यहां पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 25 फीसदी से अधिक है जबकि 22 फीसदी कुर्मी हैं।


राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव

- श्रावस्ती लोकसभा सीट का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। परिसीमन के बाद वर्ष 2009 में इसे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का दर्जा मिला था। लोकसभा सीट गठन के बाद यहां जितने भी चुनाव हुए हैं, हर बार नए दल के उम्मीदवार को यहां की जनता ने जिताकर संसद पहुंचाया है। सपा अब तक इस सीट पर नहीं जीती है।

- 2009 में इस सीट पर पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विनय कुमार पांडे को जीत हासिल हुई थी।

- 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार सांसद चुने गए दद्दन मिश्र ने सपा के बाहुबली अतीक अहमद को हराया था।

- 2019 के चुनाव में सपा - बसपा में गठबंधन हुआ, तो यह सीट बसपा के खेमे में चली गई। और बसपा के राम शिरोमणि वर्मा सांसद बने थे।


इस बार के उम्मीदवार

- इस बार के चुनाव में भाजपा ने साकेत मिश्रा को टिकट दिया है। साकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी, पूर्व आईएएस अधिकारी और राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के बेटे हैं। वह अभी यूपी विधान परिषद के मनोनीत सदस्य हैं। वहीँ इंडिया अलायन्स के तहत समाजवादी पार्टी ने राम शिरोमणि वर्मा को मैदान में उतारा है। वर्तमान सांसद राम शिरोमणि ने 2019 का चुनाव बसपा के टिकट पर जीता था।


स्थानीय मुद्दे

- श्रावस्ती अत्यंत पिछड़े और गरीब जिलों में गिना जाता है। उद्योग धंधों की कमी, सुदूर क्षेत्रों में विकास का न होना, रोजगार, गरीबी यहाँ के प्रमुख मसले हैं।

Shalini singh

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