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Lok Sabha Election 2024: सुल्तानपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र

Lok Sabha Election 2024: देश की आजादी में भी सुल्तानपुर का ऐतिहासिक योगदान रहा है, 1921 के किसान आंदोलन में इस जिले के लोगों ने खुलकर अपनी भागीदारी की

Neel Mani Lal
Published on: 24 May 2024 5:35 AM GMT
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क्षेत्र की खासियत

- सुल्तानपुर शहर गोमती नदी के तट पर स्थित है। यह सुल्तानपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है और उत्तर प्रदेश में अयोध्या मंडल का एक हिस्सा है।

- सुल्तानपुर को अवध क्षेत्र के अहम जिलों में शुमार किया जाता है। यह शहर अमेठी जिले से सटा हुआ है और राजनीतिक रूप से विशेष पहचान भी रखता है।

- सुल्तानपुर दुर्वासा ऋषि, महर्षि वाल्मीकि और महर्षि वशिष्ठ जैसे कई महान ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है।

- यह क्षेत्र कुश-काश के लिए पुराने समय से ही प्रसिद्ध है, कुश-काश से बनने वाले बाध की प्रसिद्ध मंडी भी यहीं पर है। प्राचीन काल में सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर था।

- देश की आजादी में भी सुल्तानपुर का ऐतिहासिक योगदान रहा है। 1921 के किसान आंदोलन में इस जिले के लोगों ने खुलकर अपनी भागीदारी की। 1930 से 1942 तक के सभी आंदोलनों में यहां के स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने साहस का परिचय दिया। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में यहां के किसान नेता बाबा राम चंद्र और बाबा राम लाल के बलिदान का जिक्र किया है।


विधानसभा क्षेत्र

- सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं - इसौली, सुल्तानपुर, सुल्तानपुर सदर, लंभुआ और कादीपुर। इसमें इसौली सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है, बाकी चार भाजपा के खाते में हैं।



जातीय समीकरण

- सुल्तानपुर लोकसभा सीट में दलित करीब 21 प्रतिशत और मुस्लिम वोट करीब 20 प्रतिशत हैं। एक लाख से अधिक मतदाता कुर्मी समाज से हैं और साढ़े तीन लाख दलित मतदाता हैं। दो लाख से अधिक निषाद हैं। इसके अलावा क्षत्रिय, ब्राह्मण और ओबीसी की भी अच्छी आबादी है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी करीब 23 लाख से ज्यादा है। इसमें अधिकतर आबादी ग्रामीण है।


राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव

- सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र में कभी कांग्रेस का दबदबा चलता था। अमेठी और रायबरेली के बगल की इस सीट पर आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस ने 8 बार जीत दर्ज की है।

- सुल्तानपुर संसदीय सीट में भाजपा के देवेंद्र बहादुर को छोड़ दें तो दूसरा कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो इस सीट पर दूसरी बार सांसद बनने में कामयाब रहा हो। यानी इस सीट पर किसी एक नेता का कभी दबदबा नहीं रहा।

- आजादी के बाद कांग्रेस यहां 8 बार जीती, लेकिन हर बार चेहरे अलग रहे। इसी तरह से बसपा 2 बार जीती और दोनों बार अलग-अलग प्रत्याशी थे। भाजपा यहाँ से 4 बार जीती जिसमें 3 बार अलग चेहरे शामिल रहे।

- 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस के कब्जे में यह सीट रही थी। 1952 में बी.वी. केसकर, 1957 में गोविन्द मालवीय, 1962 में कुंवर कृष्ण वर्मा, 1967 में गनपत सहाय और 1971 में केदार नाथ सिंह विजयी रहे।

- 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के जुल्फिकार उल्ला के खाते में जीत गई।

- 1980 के चुनाव में कांग्रेस के गिरिराज सिंह को जीत मिली तथा 1984 में कांग्रेस के राज करन सिंह के खाते में जीत गई।

- 1989 में जनता दल के प्रत्याशी राम सिंह ने जीत हासिल की।

- 1991 के चुनाव में भाजपा के विश्वनाथ दास शास्त्री को जीत मिली।

- 1996 और 1998 में भाजपा के देवेंद्र बहादुर राय लगातार दो बार विजयी रहे।

- 1999 में बसपा ने सुल्तानपुर सीट से अपना खाता खोला और जयभद्र सिंह के खाते में जीत गई। 2004 में बसपा के ताहिर खान विजयी हुए।

- 2009 के चुनाव में कांग्रेस की वापसी हुई और संजय सिंह सांसद चुने गए।

- 2014 में भाजपा के वरुण गांधी को जीत हासिल हुई।

- 2019 के चुनाव में भाजपा ने मेनका गांधी को यहां से उतारा और वह सांसद चुनी गईं।


इस बार के उम्मीदवार

- इस बार के चुनाव में भाजपा ने मौजूदा सांसद मेनका गांधी को मैदान में उतारा है। इंडिया अलायन्स के तहत समाजवादी पार्टी ने एक बार बसपा सरकार में मंत्री रह चुके रामभुआल निषाद पर दांव लगाया है। राम भुआल पहले भाजपा में भी रह चुके हैं। बसपा ने उदराज वर्मा को प्रत्याशी बनाया है जिन्होंने अब तक केवल जिला पंचायत सदस्य का ही चुनाव लड़ा है।



स्थानीय मुद्दे

विकास के काम, बेरोजगारी, महंगाई, ग्रामीण इलाकों में सड़क का निर्माण, नाली और किसानों की समस्याएं आम मसले हैं।

Shalini singh

Shalini singh

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