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Lok Sabha Election 2024: लालगंज में भाजपा को मिल रही सपा से कड़ी चुनौती, मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की बसपा की कोशिश
Lok Sabha Election 2024: इस लोकसभा सीट के साथ एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि 1984 के बाद कांग्रेस एक बार भी इस लोकसभा सीट पर जीत नहीं हासिल कर सकी है।
Lok Sabha Election 2024: आजमगढ़ जिले की लालगंज लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 1962 में वजूद में आई इस लोकसभा सीट पर इस बार समाजवादी पार्टी और भाजपा प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। बसपा की ओर से मुकाबला को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की जा रही है। भाजपा की ओर से इस बार नीलम सोनकर चुनाव मैदान में हैं जबकि सपा की ओर से दरोगा प्रसाद सरोज उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर प्रोफेसर इंदु चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। इंदु चौधरी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और वे भी इस चुनाव में भाजपा और सपा को मजबूत चुनौती देने की कोशिश में जुटी हुई हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में विभिन्न मुद्दों की गूंज सुनाई दे रही है मगर जातीय समीकरण ही निर्णायक माना जा रहा है। यही कारण है कि तीनों दलों के प्रत्याशी जातीय समीकरण साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला
2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा की संगीता आजाद ने भाजपा की नीलम सोनकर को हराकर इस सीट पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने इस बार फिर नीलम सोनकर को ही चुनाव मैदान में उतारा है। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर दरोगा प्रसाद सरोज को चुनाव मैदान में उतार कर भाजपा को कड़ी चुनौती देने की कोशिश की है। दरोगा प्रसाद सरोज इस लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं और उनकी इस क्षेत्र पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। यही कारण है कि इस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है।
वैसे आजमगढ़ जिले में लोकसभा की दो सीटें हैं। आजमगढ़ सीट पर जीत के लिए सभी दलों की ओर से ज्यादा जोर लगाया जा रहा है जबकि लालगंज में वैसी स्थिति नहीं दिख रही है। आजमगढ़ में सपा का पूरा कुनबा जीत के लिए जुटा है तो लालगंज क्षेत्र में अखिलेश की मात्रा एक सभा हुई है। भाजपा की ओर से नीलम सोनकर के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभाएं कर चुके हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी नीलम सोनकर के लिए अपनी ताकत लगाई है।
लालगंज लोकसभा सीट का स्वरूप
लालगंज सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इन पांच विधानसभा क्षेत्रों में अतरौलिया, दीदारगंज, लालगंज, निजामाबाद और फूलपुर पवई शामिल हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान इन पांचों विधानसभा सीटों पर सपा प्रत्याशियों ने जीत हासिल करते हुए भाजपा को करारा झटका दिया था।पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भी इस लोकसभा इस सीट पर भाजपा को कामयाबी नहीं मिल सकी थी। सपा-बसपा गठबंधन के तहत बसपा की संगीता आजाद ने भाजपा की नीलम सोनकर को हराकर जीत हासिल की थी। दिलचस्प को बात यह है कि संगीता आजाद भाजपा में शामिल हो चुकी हैं और इस बार के लोकसभा चुनाव में हुए नीलम सोनकर का प्रचार करने में जुटी हुई है।इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में लालगंज क्षेत्र में मोदी लहर ने असर दिखाया था और भाजपा के टिकट पर नीलम सोनकर यह चुनाव जीतने में कामयाब हुई थीं। उन्होंने समाजवादी पार्टी के बेचई सरोज को करीब 63 हजार वोटों से हराया था जबकि बहुजन समाज पार्टी के डॉक्टर बलिराम तीसरे नंबर पर रहे थे।
मतदाताओं का बदलता रहा है मूड
वैसे इस लोकसभा सीट के साथ एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि 1984 के बाद कांग्रेस एक बार भी इस लोकसभा सीट पर जीत नहीं हासिल कर सकी है। जनता दल, बहुजन समाजवादी पार्टी, समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को बारी-बारी से जीत मिलती रही है।बहुजन समाज पार्टी ने सर्वाधिक चार बार चुनाव जीता है जबकि दो बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली है। भारतीय जनता पार्टी भी एक बार जीत हासिल करने में कामयाब रही है। पार्टी को यह जीत 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मिली थी।
लालगंज सीट का जातीय समीकरण
जातीय समीकरण के लिहाज से देखा जाए तो लालगंज लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम,यादव और दलित मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब ढाई लाख है। यादव मतदाताओं की संख्या भी करीब दो लाख है। खटिक और पासी बिरादरी के मतदाता करीब सवा-सवा लाख हैं। राजभर मतदाताओं की संख्या भी करीब इतनी ही है।अन्य ओबीसी मतदाता करीब तीन लाख और अनुसूचित जाति से जुड़े अन्य मतदाता करीब एक लाख हैं। क्षेत्र में वैश्य मतदाताओं की संख्या करीब 80 हजार मानी जाती है। अतरौलिया, निजामाबाद और फूलपुर विधानसभा क्षेत्र यादव और मुस्लिम बहुल हैं। लालगंज को दलित बहुल इलाका माना जाता है। जातीय समीकरण को देखते हुए यादव-मुस्लिम गठजोड़ सपा प्रत्याशी दरोगा प्रसाद सरोज की स्थिति को मजबूत बनाने वाला साबित हो सकता है।
जातीय समीकरण ही पार लगाएगा नैया
इस लोकसभा क्षेत्र में विभिन्न मुद्दों को लेकर खूब गूंज सुनाई दी मगर जनप्रतिनिधि चुनने की बात आने पर सारा हिसाब-किताब जातियों पर जाकर ही टिक जाता है। यही कारण है कि सभी दलों के प्रत्याशियों ने जातीय समीकरण साधने के लिए पूरा जोर लगा रखा है।लालगंज लोकसभा क्षेत्र में छठवें चरण में शनिवार को मतदान होना है और क्षेत्र में चुनावी शोर पूरी तरह थम चुका है। अब सबकी निगाहें कल होने वाले मतदान पर टिकी हुई हैं।अब यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा की ओर से किए जा रहे विकास के दावे पर क्षेत्र की जनता मुहर लगाती है या क्षेत्र की अनदेखी का आरोप लगाने वाले दरोगा प्रसाद सरोज को लोगों को समर्थन हासिल होता है।