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Hot Lok Sabha Seat Guna: इस बार अपने गढ़ में ही घिर गए हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया,यादवों की नाराजगी बनी बड़ी मुसीबत

Hot Lok Sabha Seat Guna: मध्य प्रदेश के गुना लोकसभा क्षेत्र में तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होने वाला है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले चुनाव में मिली हार के झटके से आज तक नहीं उबर पाए हैं और इसी कारण इस बार में गली-गली की खाक छान रहे

Anshuman Tiwari
Published on: 5 May 2024 2:23 PM IST
Hot Lok Sabha Seat Guna
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Hot Lok Sabha Seat Guna (Pic: Newstrack)

Hot Loksabha Seat Guna: गुना लोकसभा सीट को सिंधिया परिवार का गढ़ माना जाता रहा है मगर इस बार इस लोकसभा क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद वे इस बार के चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। अपनी चुनावी सभाओं में वे कांग्रेस पर तीखा हमला करने के साथ मोदी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का जिक्र करके मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में जुटे हैं।

गुना लोकसभा क्षेत्र में 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराकर बड़ा झटका दिया था। सिंधिया उस चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी थे मगर चुनाव के कुछ समय बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। भाजपा ने इस बार केपी यादव का टिकट काटते हुए सिंधिया को चुनाव मैदान में उतारा है। केपी यादव का टिकट काटे जाने से क्षेत्र के यादव मतदाताओं में नाराजगी दिख रही है और यह नाराजगी सिंधिया के लिए बड़ी मुसीबत बनकर उभरी है।

चार बार जीत चुके हैं ज्योतिरादित्य

मध्य प्रदेश के गुना लोकसभा क्षेत्र में तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होने वाला है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले चुनाव में मिली हार के झटके से आज तक नहीं उबर पाए हैं और इसी कारण इस बार में गली-गली की खाक छान रहे हैं। ज्योतिरादित्य गुना लोकसभा क्षेत्र से चार बार जीत हासिल कर चुके हैं और इस सीट को सिंधिया परिवार का गढ़ माना जाता रहा है। इस लोकसभा क्षेत्र में राजमाता विजयाराजे सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया तक चुनाव जीत चुके हैं।

ऐसे में पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया की करीब सवा लाख वोटों से हुई हार सिंधिया परिवार को बड़ा झटका देने वाली थी। इसके बाद मार्च 2020 में सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था मगर इस बार भी कांग्रेस ने सिंधिया की मजबूत घेरेबंदी कर रखी है और उनकी सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है।

केपी यादव का टिकट कटने से यादवों में नाराजगी

2019 में इस लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल करने वाले केपी यादव भाजपा नेतृत्व की ओर से टिकट काटे जाने से भीतर ही भीतर नाराज बताए जा रहे हैं। पिछले चुनाव में सिंधिया को हराने के बाद उनका नायक के रूप में सम्मान किया गया था मगर इस बार उनका टिकट कटना सिंधिया की मुसीबत बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। दरअसल क्षेत्र में यादव मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है और भाजपा के इस कदम से यादव मतदाताओं में नाराजगी दिख रही है।

हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव और गृह मंत्री अमित शाह ने यादवों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। गुना की एक रैली के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि क्षेत्र के मतदाताओं को केपी यादव की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि भाजपा नेतृत्व उनका पूरा ख्याल रखेगा।

उन्होंने कहा कि सिंधिया की जीत के बाद गुना के मतदाताओं को दो नेता मिलेंगे ज्योतिरादित्य और केपी यादव। उन्होंने क्षेत्र में सिंधिया परिवार की ओर से किए गए कामों की याद दिलाते हुए भी मतदाताओं को रिझाने का प्रयास किया।

कांग्रेस ने यादवेंद्र को उतार कर घेरा

गुना में केपी यादव का टिकट कटने के बाद कांग्रेस ने राव यादवेंद्र सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतार कर सिंधिया की मुश्किलें और बढ़ा रखी हैं। राव यादवेंद्र सिंह जनसंघ की विरासत वाले पूर्व भाजपा कार्यकर्ता हैं। उनके पिता देशराज सिंह यादव ने चंबल में भगवा पार्टी को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। माधवराव सिंधिया के निधन के बाद 2002 में हुए लोकसभा उपचुनाव में देशराज सिंह यादव ने ज्योतिरादित्य को चुनौती दी थी। हालांकि सहानुभूति लहर में ज्योतिरादित्य यह उपचुनाव बड़ी मार्जिन से जीतने में कामयाब हुए थे।

उनके बेटे यादवेंद्र सिंह को करीब दो दशक तक भाजपा का मजबूत चेहरा माना जाता रहा मगर उन्होंने हाल में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। अब वे ज्योतिरादित्य को चुनौती देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इस तरह दो सियासी कुनबों के बीच जोरदार मुकाबला हो रहा है मगर अंतर यह है कि पक्ष बदल गए हैं।

पीएम मोदी और शिवराज की योजनाओं का जिक्र

भाजपा की ओर से चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उठाए गए कदमों, राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और तीन तलाक को खत्म किए जाने का प्रमुखता से जिक्र किया जा रहा है। इसके साथ ही ही लाडली बहना और फ्री राशन की योजनाओं के जरिए भी मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की जा रही है। इस लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें हैं जिनमें दो पर कांग्रेस का कब्जा है जबकि बाकी छह पर भाजपा ने जीत हासिल की थी।

इस लोकसभा क्षेत्र में अभी तक हुए 18 चुनावों में 14 बार सिंधिया परिवार जीत हासिल करने में कामयाब रहा है। 2014 में भाजपा के जेएस पवैया को चुनाव हराने वाले सिंधिया 2019 में चुनाव हार गए थे। ऐसे में वह 2024 में जीत हासिल करके अपनी सियासी स्थिति को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

गुना का जातीय समीकरण

गुना के जातीय समीकरण के बात की जाए तो क्षेत्र में जाटव,यादव, लोधी, गुर्जर और रघुवंशी मतदाता प्रभावशाली भूमिका में है। वैश्य, ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज के मतदाताओं की भी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। तीन विधानसभा क्षेत्रों में यादव मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है। नाराज यादवों का समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस नेता केपी यादव के प्रति सहानुभूति जताने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कांग्रेस की ओर से सिंधिया की मजबूत घेरेबंदी की गई है और ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि वे इस बार सियासी चक्रव्यूह को तोड़ने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं। Jyotiraditya Scindia, Shivraj Singh Chauhan Trapped In Their Own Areas



Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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