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Lok Sabha Election: कन्हैया कुमार को लड़ाने से मनोज तिवारी की फाइट हो गई टाइट, जानिए समीकरण
Lok Sabha Election: नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के इस लोकसभा क्षेत्र को देश के सबसे सघन आबादी वाला इलाका माना जाता है। इस लोकसभा क्षेत्र में कई ऐसी अनधिकृत कालोनियां हैं जिनमें विभिन्न राज्यों से जुड़े प्रवासी बसे हुए हैं।
Lok Sabha Election: दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में अब सबकी निगाहें नॉर्थ ईस्ट दिल्ली की सीट पर टिक गई हैं क्योंकि इस सीट पर दो दिग्गज उम्मीदवारों मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार के बीच मुकाबला होने वाला है। भोजपुरी गायक और भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार माने जाने वाले मनोज तिवारी इस सीट पर हैट्रिक लगाने के लिए चुनावी अखाड़े में उतरे हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस ने युवा और तेजतर्रार नेता कन्हैया कुमार को उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। कांग्रेस ने काफी मंथन के बाद इस सीट पर कन्हैया कुमार का नाम फाइनल किया है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली इस सीट पर टिकट के दावेदार थे मगर राहुल गांधी ने खुद पैरवी करके कन्हैया कुमार का नाम फाइनल कराया है। इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी इस सीट को कितना ज्यादा महत्व दे रहा है। दिल्ली के इस लोकसभा क्षेत्र में यूपी और बिहार की पृष्ठभूमि वाले मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे में कन्हैया कुमार के मैदान में उतरने से पूर्वांचली बनाम पूर्वांचली की इस लड़ाई ने मुकाबले को काफी दिलचस्प बना दिया है।
पूर्वांचली मतदाताओं के समर्थन की जंग
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के इस लोकसभा क्षेत्र को देश के सबसे सघन आबादी वाला इलाका माना जाता है। इस लोकसभा क्षेत्र में कई ऐसी अनधिकृत कालोनियां हैं जिनमें विभिन्न राज्यों से जुड़े प्रवासी बसे हुए हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या यूपी, बिहार और हरियाणा से जुड़े हुए लोगों की है।
इस लोकसभा क्षेत्र में करावल नगर, सीमापुरी, बुराड़ी और गोकलपुरी जैसे इलाकों में बनी अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले पूर्वांचली मतदाता चुनाव नतीजे का फैसला करने में बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं।
पिछले दो चुनावों में मनोज तिवारी की जीत में इन मतदाताओं की बड़ी भूमिका रही है मगर बिहार से ताल्लुक रखने वाले कन्हैया कुमार के चुनाव मैदान में उतरने से पूर्वांचल से जुड़े इन मतदाताओं का वोट हासिल करने की जंग और तीखी हो जाएगी। जानकारों का मानना है कि इस समीकरण को साधने के लिए ही कांग्रेस की ओर से मनोज तिवारी के खिलाफ कन्हैया कुमार को चुनाव मैदान में उतारा गया है।
धार्मिक ध्रुवीकरण दिखा सकता है बड़ा असर
एक और बात उल्लेखनीय है कि 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे ने सबसे ज्यादा असर दिखाया था। इस दंगे के बाद इस लोकसभा क्षेत्र में धार्मिक ध्रुवीकरण का भी काफी असर दिखा था। इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बाबरपुर, सीलमपुर, करावल नगर और मुस्तफाबाद जैसे इलाकों में मुस्लिम मतदाता काफी संख्या में रहते हैं।
यदि पूरे लोकसभा क्षेत्र की बात की जाए तो इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 21 फ़ीसदी है। चुनावी माहौल गरमाने के साथ ही इस इलाके में धार्मिक ध्रुवीकरण का असर भी दिखने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी इस ध्रुवीकरण को और तेज बन सकती है। इसका असर क्षेत्र के अन्य इलाकों पर भी पड़ सकता है। कन्हैया कुमार के पक्ष में मुस्लिम मतदाताओं की गोलबंदी का असर अन्य वर्गों के मतदाताओं की गोलबंदी के रूप में भी सामने आ सकता है।
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली का जातीय समीकरण
इस लोकसभा क्षेत्र में 10 विधानसभा सीटें हैं जिनमें बुराड़ी, तिमारपुर, सीलमपुर, घोंडा, बाबरपुर, गोकलपुर, सीमापुरी, रोहतास नगर, मुस्तफाबाद और करावल नगर शामिल हैं। यदि जातीय समीकरण के बाद की जाए तो इस इलाके में सबसे ज्यादा मतदाता ओबीसी और मुस्लिम समुदाय से जुड़े हुए हैं। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में करीब 22 फ़ीसदी ओबीसी और 21 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। अन्य जातियों के मतदाताओं की बात की जाए तो 16.3 फीसदी अनुसूचित जाति, 11.61 फीसदी ब्राह्मण, 4.68 फीसदी वैश्य (बनिया), 4 प्रतिशत पंजाबी और करीब साढ़े सात प्रतिशत गुर्जर हैं।
युवा कन्हैया कुमार दे सकते हैं बड़ी चुनौती
भाजपा प्रत्याशी मनोज तिवारी पिछले दो लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में जीत हासिल करने में कामयाब रहे हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इस बार उनकी सीट को छोड़कर दिल्ली के अन्य सभी लोकसभा क्षेत्रों के टिकटों में बदलाव किया है। वे अकेले अपना टिकट बचाने में कामयाब रहे हैं तो इसका बड़ा कारण क्षेत्र में पूर्वांचल के मतदाताओं की भारी संख्या और उनकी लोकप्रियता को माना जा रहा है। अभिनेता और गायक के रूप में उनकी अच्छी खासी फैन फॉलोइंग हैं और भाजपा इसे भुनाने की कोशिश में जुटी हुई है।
दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैया कुमार को भी युवा और तेजतर्रार नेता माना जाता रहा है। वे विभिन्न राजनीतिक मुद्दों पर पूरी बेबाकी से अपनी राय रखते रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ का अध्यक्ष बनने के बाद वे मीडिया में लगातार चर्चा का विषय बन रहे हैं। इस कारण दो युवा नेताओं के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है।
आप-कांग्रेस का गठबंधन दिखाएगा असर
दिल्ली के लोकसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया है। इस गठबंधन के तहत चार लोकसभा सीटों पर आप प्रत्याशी अपनी ताकत दिखा रहे हैं जबकि कांग्रेस को तीन सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला है। दिल्ली में गठबंधन के जरिए इन दोनों प्रमुख दलों ने भाजपा विरोधी मतों का बंटवारा रोकने की कोशिश की है। कांग्रेस और आप का यह गठबंधन नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में काफी असरकारक साबित हो सकता है।
यदि कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैया कुमार मुस्लिम मतों के साथ ओबीसी और अन्य जातियों के वोटों में सेंधमारी में कामयाब रहे तो निश्चित रूप से मनोज तिवारी को कड़ी चुनौती मिलेगी। इसके साथ ही कन्हैया कुमार युवा मतदाताओं को आकर्षित करने में भी कामयाब हो सकते हैं।
चुनाव नतीजे से निकलेगा बड़ा संदेश
दिल्ली का यह लोकसभा क्षेत्र आने वाले दिनों में दिल्ली की राजनीति तय करने में प्रभावी भूमिका निभाने वाला है। मौजूदा समय में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप मुखिया अरविंद केजरीवाल विभिन्न आरोपों में घिरे हुए हैं। तमाम कोशिशें के बावजूद उन्हें तिहाड़ जेल से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। कन्हैया कुमार या मनोज तिवारी में से जिस उम्मीदवार को भी जीत हासिल होगी, उसे संबंधित पार्टी की ओर से भविष्य के नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया जा सकता है।
बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से पिछला चुनाव हारने वाले कन्हैया कुमार को इस बार बिहार से चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल सका और इसलिए वे दिल्ली की इस लोकसभा सीट पर अपनी ताकत दिखाने के लिए बेकरार हैं।
दूसरी और मनोज तिवारी ने भी भाजपा का टिकट मिलने के बाद क्षेत्र में जोरदार प्रचार अभियान छेड़ रखा है और वे इस बार भी जीत हासिल करके हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इस कारण इस लोकसभा क्षेत्र में कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है।
कन्हैया की उम्मीदवारी से जुबानी जंग शुरू
कन्हैया कुमार को कांग्रेस का टिकट दिए जाने के बाद मनोज तिवारी ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस बात का जवाब देना चाहिए कि टुकड़े-टुकड़े गैंग से जुड़े हुए नेता को राजधानी दिल्ली में क्यों टिकट दिया गया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लड़ाई अब सनातन और देश विरोधी ताकतों के बीच में होगी। कन्हैया कुमार को टिकट देने से कांग्रेस का असली चेहरा सबके सामने आ गया है क्योंकि कन्हैया कुमार भारतीय सेना और देश विरोधी बयान देते रहे हैं। दूसरी और कन्हैया कुमार ने शीर्ष नेतृत्व का आभार जताते हुए क्षेत्र के मतदाताओं और कार्यकर्ताओं का समर्थन मिलने का भरोसा जताया है।
मनोज तिवारी के इस बयान से साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में इस लोकसभा क्षेत्र में ध्रुवीकरण की राजनीति बड़ा असर दिखने वाली है। कन्हैया कुमार भाजपा की इस कोशिश का जवाब देने में कहां तक कामयाब हो पाएंगे, यह देखने वाली बात होगी। एक बात तो साफ है कि अब इस लोकसभा क्षेत्र में मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है और चुनावी माहौल गरमाने के साथ जुबानी जंग और तेज होने की संभावना है।