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Lok Sabha Election: यादव मुस्लिम बाहुल्य आजमगढ़ सीट भाजपा के लिए बनी चुनौती

Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव में सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में छठे चरण के चुनाव में आजमगढ़ सीट ऐसी है जहां से प्रदेश के तीन मुख्यमंत्री चुनाव लड़ चुके हैं

Jyotsna Singh
Published on: 25 May 2024 9:19 AM GMT
Lok Sabha Election ( Social Media Photo)
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Lok Sabha Election ( Social Media Photo)

Lok Sabha Election: देश में हो रहे लोकसभा चुनाव में सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में छठे चरण के चुनाव में आजमगढ़ सीट ऐसी है जहां से प्रदेश के तीन मुख्यमंत्री चुनाव लड़ चुके हैं। यह सीट जितनी समाजवादी पार्टी के लिए नाक का बाल है उतनी ही सत्ताधारी पार्टी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई है।आज हो रहे 13 सीटों के मतदान में इस सीट से सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव 2014 में और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 2019 में चुने गये थे। अखिलेश यादव के इस्तीफा देने के बाद हुए उपचुनाव में यहां भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सपा के उम्मीदवार धर्मेन्द्र यादव को शिकस्त दी थी। इस बार भी दिनेश लाल निरहुआ और धर्मेन्द्र यादव आमने सामने है। बसपा ने यहां कई उम्मीदवार बदला है।

अब मशहूद अहमद मैदान में है। बसपा के कद्दावर मुस्लिम नेता गुड्डï जमाली के सपा में जाने के बाद सपा को यहां अपनी राह आसान होती दिख रही है। आजमगढ़ सीट की एक खास बात यह भी है कि यह तीन मुख्यमंत्रियों का गढ़ रही है। 1977 में रामनरेश यादव यहीं से संसद पहुंचे थे लेकिन तब उन्हे जनता पार्टी के नेतृत्व ने प्रदेश के मुख्यमंत्री बना दिया। उनके इस्तीफा देने के बाद हुए उपचुनाव में यहां मोहसिना किदवर्ई चुनाव लड़ी और जीती। इसी सीट से मुलायम सिंह यादव और अखिलेश भी जीत कर संसद पहुंचे। आजमगढ़ संसदीय सीट पर 1952 में कांग्रेस से अलगू राय शास्त्री सांसद बने। 1957 में कांग्रेस के कालिका सिंह संसद पहुंचे। 1962 में कांग्रेस के राम हरक, 1967 और 1971 में भी कांग्रेस के चन्द्रजीत यादव ने जीत दर्ज करायी।


1977 में बीएलडी से राम नरेश यादव, 1978 के उपचुनाव में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मोहसिना किदवई जीतीं। 1980में जेएनपी से चन्द्रजीत यादव ने फिर जीत दर्ज करायी। 1984 में कांग्रेस के संतोष कुमार सिंह जीते। 1989 में बसपा से राम कृष्ण यादव ने जीत दर्ज करायी। 1991 में जेडी से चन्द्रजीत यादव सांसद बने। 1996 में समाजवादी पार्टी से रमाकान्त यादव। 1998 में बसपा से अकबर अहमद डम्पी ने जीत दर्ज करायी। 1999 में फिर सपा से रमाकान्त यादव जीते तो 2004 में पार्टी बदलकर बसपा से जीत दर्ज करायी। 2008 के उपचुनाव में बसपा से अकबर अहमद डम्पी जीते। 2009 में फिर पाला बदलकर भाजपा में आ गये रमाकान्त यादव जीते। मोदी लहर मेें 2014 में चुनावी दंगल में मुलायम सिंह यादव उतरे और जीते और 2019 में मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव ने बसपा से गठबन्धन कर अपने पिता की सीट बरकरार रखने में कामयाब रहे। उन्होंने भाजपा के दिनेश लाल निरहुआ हो हराया था। 2022 में पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव के विधानसभा चुनाव लडऩे के फैसले के बाद आजमगढ़ सीट खाली हो गई थी। उसके बाद यहां उपचुनाव कराने का फैसला लिया और उपचुनाव में धर्मेन्द्र यादव चुनाव लड़े और भाजपा के दिनेश लाल निरहुआ ने उन्हें हराया। 2022 उपचुनाव के दो प्रतिद्वंद्वी दिनेश लाल यादव निरहुआ और धर्मेंद्र यादव इस बार फिर आमने-सामने हैं, लेकिन गुड्ïडू जमाली इस बार साइकिल की सवारी कर एमएलसी बन चुके हैं। जिससे परिदृश्य बदल चुका है। क्षेत्र में गुड्ïडू जमाली की अच्छी पकड़ है।


पिछली बार जमाली बसपा से प्रत्याशी थे और मुसलमानों के वोट बैंक में सेंध लगाकर सपा की राह में कांटा बिछा दिया।आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र में पांच विधान सभा सीटे हैं। इनमें आजमगढ़ सदर, गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर और मेंहनगर हैं। 2022 के विधानसभा चुनावों में इन सभी पांचों विधानसभाओं में सपा का कब्जा है।आजमगढ़ में यादव और मुस्लिम का गढ़ है। यहां यादव लगभग 25 प्रतिशत और मुसलमान 13 प्रतिशत हैं। इसी समीकरण के चलते अब तक हुए 20 चुनावों में 14 बार यहां से यादव बिरादरी के सांसद चुने गए। इस बार सपा ने धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने अपने सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ पर ही दांव लगाया है। बसपा ने यहां से तीसरी बार प्रत्याशी बदलते हुए फिर मुस्लिम प्रत्याशी मशहूद अहमद को मैदान में उतारा है। अकेले मैदान में उतरी बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी दिया है। बसपा कैडर के वोट और मुस्लिम मतों के भरोसे चुनाव मैदान में है। हालांकि भाजपा को जो हराएगा, मुसलमान उसके पक्ष में वोट करेगा। आजमगढ़ में यादव और मुसलमान वोटरों की संख्या से प्रत्याशी के सिर जीत का सेहरा बंधता है।

Shalini Rai

Shalini Rai

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