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Loksabha: 62 साल पहले 1962 में हुई थी नेहरू और लोहिया की भिड़ंत, जीत के लिए पंडित जी को तोड़नी पड़ी थी प्रतिज्ञा

Yadgar Mukabla: नामांकन के बाद फूलपुर न आने का वादा करने वाले पंडित नेहरू को मतदान से पहले तीन दिनों तक फूलपुर में डेरा डालना पड़ा था।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 14 April 2024 5:11 PM IST
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यादगार मुकाबला: 62 साल पहले 1962 में हुई थी नेहरू और लोहिया की भिड़ंत: Photo- Newstrack

Lok Sabha Elections: देश में लोकसभा चुनाव के इतिहास में कई बार सियासी दिग्गजों के बीच मुकाबला हो चुका है। कई मुकाबले तो ऐसे हैं हुए हैं जिन्हें आज भी याद किया जाता है। ऐसा ही एक मुकाबला 62 साल पहले 1962 में हुआ था जिसमें समाजवादी पुरोधा डॉक्टर राम मनोहर लोहिया और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बीच फूलपुर के सियासी अखाड़े में भिड़ंत हुई थी।

हालांकि इस मुकाबले में पंडित नेहरू जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे मगर डॉ.लोहिया को हराने के लिए उन्हें अपनी प्रतिज्ञा भी तोड़नी पड़ी थी। नामांकन के बाद फूलपुर न आने का वादा करने वाले पंडित नेहरू को मतदान से पहले तीन दिनों तक फूलपुर में डेरा डालना पड़ा था। तब जाकर वे समाजवादी नेता डॉ.लोहिया को हराने में कामयाब हो सके थे। देश के संसदीय इतिहास में इस चुनाव को आज भी याद किया जाता है।

Photo- Social Media

तीसरे लोकसभा चुनाव में दो दिग्गजों की भिड़ंत

1962 में देश में लोकसभा का तीसरा चुनाव हुआ था और उस चुनाव में सबकी निगाहें फूलपुर सीट पर लगी हुई थीं। फूलपुर सीट पर किस्मत आजमाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी चुनाव मैदान में उतरे थे। दूसरी ओर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने समाजवादी पुरोधा डॉ राम मनोहर लोहिया को पंडित नेहरू के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार दिया।

1952 और 1957 के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू तीसरी बार 1962 में फूलपुर से चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे थे। उस समय पंडित नेहरू की देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी काफी लोकप्रियता थी और उनकी जीत तय मानी जा रही थी।

फूलपुर में नामांकन दाखिल करने के बाद पंडित नेहरू ने अपने करीबियों से कहा भी था कि अब वे जीत का प्रमाणपत्र लेने के लिए ही यहां आएंगे। उस समय मीडिया में उनके इस बयान की काफी चर्चा हुई थी। दरअसल, पंडित नेहरू कांग्रेस के स्टार प्रचारक थे और उनकी देश के अन्य चुनाव क्षेत्र में भी भारी डिमांड थी। इसलिए नामांकन दाखिल करने के बाद वे अन्य क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए निकल पड़े थे।

लोहिया ने नेहरू के खिलाफ इसलिए लड़ा चुनाव

फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में उम्मीदवार बनाए जाने के बाद कुछ लोगों ने डॉ.लोहिया को सलाह दी कि उनके लिए पंडित नेहरू को हराना काफी मुश्किल होगा। कई लोगों ने डॉक्टर लोहिया को दूसरी किसी सीट से चुनाव लड़ने की सलाह तक दे डाली। इस पर लोहिया का कहना था कि वे जीत-हार के लिए नहीं बल्कि नेहरू रूपी कांग्रेस की चट्टान में दरार डालने के लिए चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। लोहिया उस समय वित्तीय संकट से भी जूझ रहे थे और उनके लिए नामांकन राशि भी समाजवादी मित्रों ने चंदा इकट्ठा करके दी थी।

लोहिया ने फूलपुर के डाक बंगले से पंडित नेहरू को एक चिट्ठी भी लिखी थी। इसमें उन्होंने लिखा था कि आदरणीय नेहरू जी, सोशलिस्ट पार्टी ने फूलपुर से मुझे आपके खिलाफ चुनाव लड़ने का आदेश दिया है और मैं आपके खिलाफ चुनाव लड़ना भी चाहता हूं। मैं यह भी जानता हूं कि चुनाव का नतीजा क्या होगा, लेकिन मैं इतना जरुर जानता हूं कि मैं आपके पहाड़ जैसे चुनाव में दरार जरूर पैदा कर दूंगा।

Photo- Social Media

नामांकन के बाद दोबारा न आने का वादा

उस समय राजनीति का अलग दौर था। सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से एक-दूसरे का काफी सम्मान किया जाता था और नेता अपने भाषणों में मर्यादा का पालन किया करते थे। डॉ लोहिया की चिट्ठी मिलने के बाद पंडित नेहरू ने उन्हें जवाब भी भेजा था। अपने जवाब में उन्होंने लिखा था कि प्रिय राम मनोहर मनोहर, तुम्हारी चिट्ठी मिली। मुझे यह जानकर खुशी मिली कि तुम्हें मेरे खिलाफ उम्मीदवार बनाया गया है।

पंडित नेहरू ने लिखा कि मैं तुम्हें इस बात का विश्वास दिलाता हूं कि मैं पूरे चुनाव के दौरान एक बार नामांकन दाखिल करने के बाद दोबारा फूलपुर नहीं आऊंगा। मैं देश के अन्य क्षेत्रों में कांग्रेस प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार करूंगा। हालांकि डॉ.लोहिया की ओर से मिल रही चुनौती के कारण पंडित नेहरू अपने इस वचन पर कायम नहीं रह सके और उन्हें अपनी प्रतिज्ञा तोड़नी पड़ गई।

Photo- Social Media

इक्के पर बैठकर लोहिया ने किया चुनाव प्रचार

फूलपुर सीट पर पर्चा दाखिल करने के बाद डॉक्टर लोहिया ने वहीं पर अपना डेरा जमा लिया। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी डॉ.लोहिया के पास चुनाव प्रचार के लिए एक भी चार पहिया वाहन नहीं था। प्रयागराज शहर के कुछ प्रसिद्ध लोग कभी-कभी उन्हें अपनी कार या जीप जरूर दे दिया करते थे। ऐसे में डॉक्टर लोहिया दूरदराज के इलाकों में पहुंचने के लिए इक्के का सहारा लिया करते थे।

चुनाव प्रचार के लिए उन्हें मुख्य सड़कों से दूर के बाजारों और गांवों में जाना पड़ता था और वे इक्के पर सवार होकर भीतरी इलाकों में पहुंचा करते थे। उनके इक्के पर लाउडस्पीकर बंधा रहता था और लोगों की ओर से रोके जाने पर वे इक्के पर बंधे लाउडस्पीकर पर ही अपना भाषण शुरू कर देते थे।

समाजवादी धुरंधरों ने बना दिया माहौल

फूलपुर के सियासी अखाड़े में लोहिया का मुकाबला देश के प्रधानमंत्री से हो रहा था और इस कारण उस समय के समाजवादी धुरंधर भी उनके प्रचार के लिए फूलपुर पहुंचे थे। 1962 के चुनाव में पंडित नेहरू के खिलाफ लोहिया का चुनाव प्रचार करने के लिए मधु दंडवते, राजनारायण, जॉर्ज फर्नांडिस, रामानंद तिवारी और कर्पूरी ठाकुर जैसे सियासी दिग्गज फूलपुर पहुंचे थे।

इन सियासी दिग्गजों ने फूलपुर के ग्रामीण इलाकों में एक दर्जन से अधिक सभाएं की थीं और डॉक्टर लोहिया के पक्ष में चुनावी माहौल बनाने का पूरा प्रयास किया था। इस ऐतिहासिक चुनाव के दौरान डॉक्टर लोहिया का चुनाव कार्यालय फाफामऊ में बनाया गया था। उस समय आज जैसी चहल-पहल नहीं थी और रात आठ बजे दुकानें बंद हो जाया करती थीं। ऐसे में कई बार लोहिया का प्रचार करने वाले कार्यकर्ताओं को रात में भोजन भी नहीं मिला करता था और उन्हें चना-लइया खाकर रात बितानी पड़ती थी।

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इंदिरा के संदेश पर नेहरू ने तोड़ी प्रतिज्ञा

फूलपुर के इस चुनाव में पंडित नेहरू की स्थिति मजबूत मानी जा रही थी मगर लोहिया और उनके साथियों ने जोरदार चुनाव प्रचार करके अच्छा माहौल बना लिया। पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी और देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उस समय फूलपुर में कांग्रेस की ओर से चुनाव प्रचार का काम देख रही थीं। लोहिया की चुनावी सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ को देखकर इंदिरा गांधी चिंतित हो उठीं। हालात यह हो गए कि इंदिरा गांधी ने पंडित नेहरू से चुनाव प्रचार के लिए फूलपुर पहुंचने का अनुरोध किया।

उन्होंने पंडित नेहरू के पास संदेश भेजा कि उन्हें यहां आकर चुनाव प्रचार करना चाहिए। इंदिरा गांधी का संदेश मिलने के बाद पंडित नेहरू अपना वचन तोड़ते हुए फूलपुर पहुंच गए। उन्होंने तीन दिनों तक फूलपुर में डेरा डाले रखा और इस दौरान कई चुनावी सभाओं को संबोधित किया। इसका सियासी फायदा भी मिला और वे डॉक्टर लोहिया को पराजित करने में कामयाब रहे। हालांकि यह भी सच्चाई है कि सात दर्जन से अधिक बूथों पर लोहिया ने पंडित नेहरू को पीछे छोड़ दिया था।

1962 में फूलपुर का नतीजा

प्रत्याशी का नाम- पार्टी- मिले मत- मत प्रतिशत

जवाहर लाल नेहरू - कांग्रेस- 1,18,931- 61.62

डा.राम मनोहर लोहिया- सोशलिस्ट पार्टी- 54,360- 28.17

राम नारायण- आरआरपी - 9,116 - 4.72

इंदू देव - निर्दलीय - 6,693 - 3.47

हरिशंकर राय - निर्दलीय - 3,854 - 2.02

Shashi kant gautam

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