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Lok Sabha Election: शिवहर में बाहुबली आनंद मोहन की प्रतिष्ठा दांव पर, पत्नी लवली आनंद को राजद की रितु दे रहीं कड़ी चुनौती
Lok Sabha Election: शिवहर लोकसभा क्षेत्र में लवली आनंद के चुनाव प्रचार की कमान बाहुबली नेता आनंद मोहन ने खुद संभाल रखी है। इस चुनाव में प्रत्याशी भले उनकी पत्नी लवली आनंद हों मगर इस चुनाव में आनंद मोहन की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
Lok Sabha Election: बिहार में छठवें चरण में जिन लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होना है,उनमें शिवहर लोकसभा क्षेत्र पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। 25 मई को होने वाले मतदान से पहले इंडिया और एनडीए गठबंधन के प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। इस लोकसभा क्षेत्र में इस बार दो महिला प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। जदयू ने इस सीट से बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी और पूर्व सांसद लवली आनंद को चुनाव मैदान से मैदान में उतारा है जबकि राजद की ओर से रितु जायसवाल उन्हें कड़ी चुनौती दे रही हैं।
तपती गर्मी में आनंद मोहन और लवली आनंद अपना राजनीतिक वनवास खत्म करने की कोशिश में जुटे हुए हैं जबकि दूसरी ओर रितु जायसवाल आनंद मोहन की छवि को मुद्दा बनाकर जीत हासिल करने की कोशिश में जुटी हुई हैं। शिवहर लोकसभा सीट पर 2009 से 2019 तक भाजपा की रमादेवी ने जीत हासिल की थी मगर इस बार यह सीट जदयू के कोटे में गई है। बाहुबली आनंद मोहन दो बार शिवहर से सांसद रह चुके हैं और इस बार उन्होंने अपनी पत्नी को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है।
पिछले साल जेल से बाहर आए हैं आनंद मोहन
बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन पिछले साल ही जेल से बाहर आए हैं। उन्हें गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा हुई थी। बिहार सरकार की ओर से अपने जेल कानून में संशोधन किए जाने का लाभ आनंद मोहन को मिला था और जेल से उनकी रिहाई संभव हो सकी थी। हालांकि उनकी रिहाई को लेकर भी काफी दिनों तक सियासी माहौल गरमाया हुआ था।
पूर्व सांसद आनंद मोहन अपनी रिहाई को लेकर लगाए जाने वाले आरोपों पर नाराजगी जताते हैं। उनका कहना है कि यह कहना गलत है कि केवल आनंद मोहन के लिए कानून बदला गया। यह नियम केवल बिहार में ही लागू था कि चपरासी मरेगा तो अलग कानून और कलेक्टर मरेगा तो अलग कानून जबकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से कानून में समानता के लिए राज्य सरकार को कई बार फटकार लगाई जा चुकी है।
शिवहर में गरमाया बाहरी का मुद्दा
इस बार के लोकसभा चुनाव में शिवहर में बाहरी का मुद्दा भी खूब गरमाया हुआ है। इस लोकसभा क्षेत्र से पिछले तीन चुनावों में जीत हासिल करने वाली भाजपा की रमादेवी पर भी बाहरी होने का आरोप लगता रहा है। शिवहर में कई लोगों का आरोप है कि जरूरत पड़ने पर भी उनसे संपर्क करना मुश्किल था क्योंकि वे क्षेत्र में नहीं रहती थीं। आनंद मोहन मूल रूप से बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव के रहने वाले हैं। हालांकि वे शिवहर लोकसभा सीट से दो बार सांसदी का चुनाव जीत चुके हैं। उनके बेटे चेतन आनंद भी पिछली बार यहां की शिवहर विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे।
राजद की ओर से उतारी गई उम्मीदवार रितु जायसवाल पड़ोसी जिले सीतामढ़ी की रहने वाली हैं। शिवहर जिला पहले सीतामढ़ी का ही हिस्सा हुआ करता था। रितु जायसवाल का कहना है कि बाहरी का मुद्दा तो लवली आनंद पर लागू होता है जो चुनाव लड़ने के लिए शिवहर आती हैं और फिर सहरसा वापस चली जाती हैं। उनका कहना है कि शिवहर लोकसभा सीट की दो विधानसभा सीटें बेलसंड और रीगा सीतामढ़ी जिले में आती हैं और इसलिए मुझे बाहरी उम्मीदवार नहीं कहा जा सकता।
आनंद मोहन ने संभाल रखी है प्रचार की कमान
शिवहर लोकसभा क्षेत्र में लवली आनंद के चुनाव प्रचार की कमान बाहुबली नेता आनंद मोहन ने खुद संभाल रखी है। इस चुनाव में प्रत्याशी भले उनकी पत्नी लवली आनंद हों मगर इस चुनाव में आनंद मोहन की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। इसीलिए उन्होंने अपने बेटे के साथ मिलकर लवली आनंद को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। लगातार तीन बार चुनाव जीतने वाली रमादेवी का टिकट कटने से वैश्य समाज में नाराजगी के मुद्दे पर आनंद मोहन का कहना है कि वैश्य समाज नाराज नहीं है। उनका दावा है कि लवली आनंद को वैश्य समाज का 95 फीसदी वोट हासिल होगा।
उनका कहना है कि क्षेत्र में किसी भी प्रकार की कोई नाराजगी नहीं है और शिवहर के मतदाता देश से हित में एनडीए के प्रत्याशी को जीत दिलाएंगे। वैश्य मतदाता पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को देखेंगे, लालटेन वालों को नहीं।
दूसरी ओर राजद प्रत्याशी रितु जायसवाल खुद वैश्य बिरादरी से आती हैं और वैश्य मतदाताओं में सेंधमारी की कोशिश में जुटी हुई है। ऐसे में वैश्य मतदाताओं के लिए उनकी अनदेखी करना मुश्किल माना जा रहा है।
राजद प्रत्याशी के लिए तेजस्वी ने लगाई ताकत
शिवहर लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात की जाए तो क्षेत्र में वैश्य, दलित, मुस्लिम और पिछड़ी जाति के मतदाताओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसीलिए लवली आनंद और रितु जायसवाल दोनों की ओर से जातीय समीकरण साधने की कोशिश की जा रही है। वैसे आनंद मोहन दावा कर रहे हैं कि शिवहर की लड़ाई केवल जीत के अंतर को लेकर है। हालांकि नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के बाद जदयू में शामिल होने वाली लवली आनंद के लिए शिवहर की लड़ाई आसान नहीं मानी जा रही है।
लवली आनंद के पास अपने परिवार की राजनीतिक ताकत का सहारा जरूर है मगर उनके बेटे चेतन आनंद के पाला बदल से नाराज लालू यादव और तेजस्वी ने भी रितु जायसवाल के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। लालू और तेजस्वी लवली आनंद को हराकर आनंद मोहन और चेतन आनंद दोनों को सबक सिखाना चाहते हैं।
राजद प्रत्याशी रितु जायसवाल ने किया बड़ा दावा
लवली आनंद अपनी चुनावी नैया पार लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सहारा ले रही हैं। उनका कहना है कि उनके जीतने के बाद डबल इंजन की सरकार में शिवहर का काफी विकास होगा। दूसरी ओर क्षेत्र के काफी संख्या में मतदाता भाजपा के लगातार तीन बार चुनाव जीतने के बाद शिवहर की उपेक्षा को लेकर नाराजगी जताते रहे हैं। आनंद मोहन की ओर से किए जा रहे जीत के दावे पर राजद प्रत्याशी रितु जायसवाल का कहना है कि सच्चाई तो यह है कि इस लोकसभा क्षेत्र में कोई मुकाबला ही नहीं है।
दो महिलाओं के बीच हो रहा कड़ा मुकाबला
आनंद मोहन अभी सजा काटकर बाहर निकले हैं और इस परिवार की छवि को लेकर लोगों में आक्रोश दिखता रहा है। वे अपनी बेदाग छवि और विकास कार्यों के दम पर जीत हासिल करने का दावा करती हैं। रितु जायसवाल के पति खुद सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करके केंद्र सरकार में बड़े पद पर रहे हैं। रितु दिल्ली छोड़कर बिहार आई हैं और राजद की सदस्यता लेकर सियासी मैदान में सक्रिय हुई हैं।
वे इस बार लवली आनंद को अपनी ताकत दिखाने का दावा कर रही हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि इस लोकसभा क्षेत्र में दो महिलाओं के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है और सबकी निगाहें अब 25 मई को होने वाले मतदान पर लगी हैं।