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Lok Sabha Elections 2024: मन मसोसकर गए भाजपा टिकट के आकांक्षी, कहीं कोई उफ तक नहीं

Lok Sabha Elections 2024 :बुंदेलखंड में 2019 दोहराने की उम्मीद में टिकट आकांक्षियों के मन में लड्डू फूट रहे थे। इन सभी को मन मसोसकर रह जाना पड़ा है

Om Tiwari
Report Om Tiwari
Published on: 7 March 2024 6:21 PM IST (Updated on: 7 March 2024 6:33 PM IST)
Lok Sabha Elections 2024 :
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Lok Sabha Elections 2024 :

Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची से सबसे बड़ा झटका उन्हें लगा है जिनने पार्टी उम्मीदवार बनने की तमाम जुगतें भिड़ा रखी थीं। उत्तर प्रदेश में घोषित 51 उम्मीदवारों में 44 मौजूदा सांसदों पर ही भरोसा जताए जाने से वे तथाकथित सर्वे हवा में उड़ गए हैं जिन्हें चेहरों में बदलाव की गारंटी मानते हुए अनेक सीटों में जाने-माने चेहरे न केवल अपनी उम्मीदवारी को लेकर आश्वस्त थे, बल्कि सोशल मीडिया आदि माध्यमों से इसे बताया जनाया भी जा रहा था। बुंदेलखंड में 2019 दोहराने की उम्मीद में टिकट आकांक्षियों के मन में लड्डू फूट रहे थे। इन सभी को मन मसोसकर रह जाना पड़ा है।

कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की 10 सीटों में 9 पर भाजपा ने मौजूदा सांसदों को ही मैदान में उतारा है। बुंदेलखंड की चारो सीटों में चारो सांसदों को सफलता दोहराने और जीत की हैट्रिक बनाने का मौका मिला है। इससे बांदा और झांसी लोकसभा क्षेत्र में 2019 की तरह उलटफेर तय मान रहे भाजपा टिकट आकांक्षियों को मायूस होना पड़ा है। हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में टिकट आकांक्षियों को जिस तरह जोर का झटका धीरे से लगा है उसके अलग ही निहितार्थ निकाले जाते हैं।




उम्मीदें बिखरने के बावजूद क्या मजाल कि कोई उफ भी करें

बांदा-चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र से भाजपा टिकट आकांक्षियों को लगता था कि 2019 में जिस तरह तत्कालीन सांसद भैंरो प्रसाद मिश्र की जगह पिछड़ा वर्ग को तरजीह दी गई थी, उसी तरह 2024 में सांसद आरके पटेल की जगह पार्टी ब्राम्हण प्रत्याशी उतार सकती है या फिर किसी पटेल कार्यकर्ता को आगे बढ़ा सकती है। 2022 के विधानसभा चुनाव में बांदा-चित्रकूट संसदीय में करीब 5000 मतों से भाजपा के सपा से पिछड़ने को भी टिकट आकांक्षियों ने आरके पटेल का पत्ता साफ होने का आधार मान कर जुगतें भिड़ा रखी थीं। हूल-पैतरा बनाने में माहिर एक विधायक समेत दो पूर्व विधायकों, पूर्व सांसद और जिले के प्रथम नागरिक आदि खेमे एक-दूसरे को मात देकर अपनी उम्मीदवारी के प्रति आश्वस्त थे। इशारों इशारों में लोगों को जना बता रहे थे। लेकिन सांसद आरके पटेल को ही प्रत्याशी बनाए जाने से टिकट आकांक्षियों को मन मसोसकर रह जाना पड़ा है। सारी उम्मीदें धराशाई हो गई हैं। लेकिन मोदी मैजिक के आगे किसी की मजाल नहीं कि उफ भी कर सके।




बांदा जैसी झांसी के टिकट आकांक्षियों की भी गत

झांसी लोकसभा क्षेत्र में भी टिकट आकांक्षियों को सांसद अनुराग शर्मा का टिकट कटने का अनुमान था। बांदा में ब्राम्हण चेहरा उतारे जाने के कयासों से झांसी में पिछड़ा वर्ग से जुड़े भाजपा दिग्गजों की उम्मीदें परवान चढ़ी थीं। लेकिन बीते पांच सालों में कुशल राजनेता बनकर उभरे अनुराग शर्मा पर भाजपा के पुनः भरोसा जताने से टिकट आकांक्षियों को करारा झटका लगा है। सर्वाधिक निराशा लोधी और कुशवाहा आदि पिछड़ी जातियों से वास्ता रखने वाले दावेदारों को हुई है। एक दावेदार ने कहा, चेहरा बदलने से ज्यादा फायदा होता।



जालौन में भानु प्रताप वर्मा ही थे निर्विवाद दावेदार

जालौन (सु.) लोकसभा क्षेत्र भी टिकट आकांक्षियों से अछूता नहीं था। लेकिन सभी मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप वर्मा का ही दावा भी मजबूत मानते थे।हुआ भी यही। भाजपा ने भानु प्रताप को लोकसभा उम्मीदवार बनाकर जीत की हैट्रिक बनाने का मौका दिया है। आम और खास के बीच भानु प्रताप का संपर्क और संवाद कौशल उन्हें जमीनी मजबूती देता है।

अंतिम क्षणों तक चंदेल की राह में बाधा बने रहे पूर्व सांसद

हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से भी सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को जीत की हैट्रिक बनाने का अवसर मिला है। हैट्रिक बनते ही चंदेल पर अजेय और हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में क्षत्रिय वर्चस्व का ठप्पा लग सकता है। हालांकि संसदीय क्षेत्र में शामिल बांदा जिले के तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र से क्षत्रिय दावेदार ही टिकट की जंग में चंदेल को चुनौती पेश कर रहे थे। संघ कार्यालय में निर्माण आदि निवेश की बदौलत बालू व्यवसाई पूर्व विधायक ने भाजपा प्रत्याशी बनने के लिए जहां ऐड़ी-चोटी का जोर लगाया हुआ था, वहीं कोरोना काल में CM योगी को एकमुश्त सहयोग राशि देने वाले ठाकुर साहेब ने अपनी उम्मीदवारी की उम्मीद पाल रखी थी, लेकिन चंदेल की राह में सबसे बड़ी बाधा हमीरपुर के पूर्व सांसद बने हुए थे।




हमीरपुर में प्रबल विरोध ही बना सांसद को वरदान

घाट-घाट का पानी पीकर भाजपा में वापस आए पूर्व सांसद का प्रबल विरोध ही शायद चंदेल के लिए वरदान बन गया। कांग्रेस में रहते सोनिया गांधी के सत्ता ठुकराने पर उन्हें मनाने के लिए दिल्ली में कार की छत पर रिवाल्वर कनपटी में लगाकर हाईवोल्टेज ड्रामा करने वाले पूर्व सांसद को यह हरगिज गवारा नहीं कि लगातार तीसरी जीत से चंदेल पर अजेय और हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में क्षत्रिय वर्चस्व का ठप्पा लगे। इसी मुहिम के तहत उन्होंने एक माह तक दिल्ली में ठहरकर चंदेल का पत्ता काटने और अपनी गोटी फिट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन उम्मीदवारों की सूची आने के बाद उनके होश फाख्ता हैं। हालांकि खुला पंगा लेने से फिलहाल परहेज बरता हुआ है। लेकिन चुनाव के दरम्यान उनका रवैया क्या होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता।



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Shalini Rai

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