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Hot Seat Krishnanagar: महुआ की सीट बनी ममता के लिए नाक का सवाल, BJP की वापसी करा पाएंगी राजमाता!
Loksabha Election 2024: ममता ने महुआ को चुनाव मैदान में उठाने का जोखिम उठाया। वैसे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर महुआ को चुनावी हार मिली तो ममता के लिए भी झटका होगा।
Loksabha Hot Seat: पश्चिम बंगाल के लोकसभा चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। राज्य की कई लोकसभा सीटों पर भाजपा ने मजबूत प्रत्याशी उतारकर ममता बनर्जी की पार्टी को कड़ी चुनौती देने की कोशिश की है। राज्य की कृष्णानगर लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं क्योंकि ममता बनर्जी ने इस सीट पर विवादों में घिरी महुआ मोइत्रा को एक बार फिर चुनावी अखाड़े में उतार दिया है।
महुआ मोइत्रा के खिलाफ भाजपा ने कृष्णानगर के पूर्व शाही परिवार की सदस्य अमृता रॉय को चुनाव मैदान में उतार कर बड़ा सियासी दांव खेल दिया है। राजा कृष्णचंद्र रॉय की वंशज अमृता रॉय को क्षेत्र के लोग सम्मान और प्यार से राजमाता कहकर पुकारते हैं। वाम मोर्चा की अगुवाई करने वाली माकपा भी अपने इस पुराने दुर्ग पर फिर कब्जा करने को बेताब है और पार्टी ने पूर्व विधायक एसएम सादी को मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।
माकपा के दुर्ग पर अब तृणमूल का कब्जा
कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र को एक समय माकपा का सबसे मजबूत दुर्गा माना जाता था, लेकिन पिछले तीन चुनावों से तृणमूल कांग्रेस इस सीट पर अपनी ताकत दिखाती रही है। माकपा ने 1971 से लेकर 1998 तक लगातार इस सीट पर जीत हासिल की और कोई भी पार्टी माकपा को मजबूत चुनौती नहीं दे सकी।
1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सबको हैरान करते हुए माकपा के इस दुर्ग में सेंध लगा दी थी। हालांकि भाजपा का इस सीट पर यह कब्जा लंबे समय तक नहीं चल सका।
2004 के लोकसभा चुनाव में माकपा ने अपनी हार का बदला लेते हुए एक बार फिर इस सीट पर कब्जा कर लिया। वैसे माकपा भी इस सीट को आगे बरकरार नहीं रख सकी।
2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की और उसके बाद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा बरकरार रहा।
विवादों में घिरने पर भी महुआ को टिकट
2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने इस सीट पर महुआ मोइत्रा को चुनाव मैदान में उतारा था और महुआ ने ममता को निराश नहीं किया। पिछले चुनाव में ममता ने भाजपा प्रत्याशी कल्याण चौबे को 63,218 मतों से हराकर इस सीट को तृणमूल कांग्रेस की झोली में डाल दिया था।
वैसे सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान महुआ मोइत्रा विवादों में घिर गईं। पैसे और उपहार लेकर संसद में सवाल पूछने और विदेश में बैठे उद्योगपति को संसद का अपना लॉगिन आईडी व पासवर्ड देने के मामले में उन्हें दोषी पाया गया था। इसके बाद लोकसभा की आचार संहिता समिति ने महुआ की संसद सदस्यता रद्द कर दी थी। हालांकि महुआ मोइत्रा खुद को निर्दोष बताती रही हैं और उन्हें ममता बनर्जी का भी पूरा समर्थन हासिल है। ममता ने एक बार फिर उन्हें चुनावी अखाड़े में उतार कर भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की है।
महुआ की सीट ममता के लिए नाक का सवाल
इस बार के लोकसभा चुनाव में महुआ मोइत्रा की सीट तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी के लिए नाक का सवाल बन गई है। ममता इस सीट को कितना महत्व दे रही हैं,इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत पहले चरण की सीटों को छोड़कर कृष्णानगर से की जबकि कृष्णानगर में मतदान चौथे चरण में होने वाला है।
वैसे सियासी जानकारों का यह भी मानना है कि महुआ मोइत्रा को टिकट देना ममता के लिए मजबूरी बन गया था क्योंकि अगर वे महुआ का टिकट काटतीं तो इससे यह संदेश जा सकता था कि महुआ पर लगे आरोपों के कारण उन्हें टिकट नहीं दिया गया है। इसे महुआ पर लगे आरोपों पर ममता की मौन स्वीकारोक्ति के रूप में देखा जाता और यही कारण है कि ममता ने महुआ को चुनाव मैदान में उठाने का जोखिम उठाया। वैसे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर महुआ को चुनावी हार झेलनी पड़ी तो यह भी महुआ के साथ ही ममता के लिए भी बड़ा झटका साबित होगा।
राज परिवार पर गद्दारी का आरोप लगा रही टीएमसी
कृष्णानगर में ममता बनर्जी की सेनापति महुआ मोइत्रा का दुर्ग ध्वस्त करने के लिए भाजपा ने भी मजबूत चला चली है। भाजपा ने इस सीट पर कृष्णा नगर के राजा कृष्णचंद्र रॉय की वंशज अमृता रॉय को अपना प्रत्याशी बना दिया है। उन्हें क्षेत्र में राजमाता का दर्जा हासिल है।वैसे उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने पर तृणमूल कांग्रेस ने तीखा हमला बोला था। पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष का कहना था कृष्णचंद्र रॉय ने प्लासी की लड़ाई में सिराजुद्दौला के खिलाफ अंग्रेज सेनापति लॉर्ड क्लाइव का साथ दिया था।
ममता बनर्जी ने भी क्षेत्र में चुनावी सभा के दौरान यह मुद्दा उठाया था। उनका कहना था कि इस बात पर बहस नहीं होनी चाहिए कि सिराजुद्दौला अच्छा था कि नहीं। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस राजपरिवार के सदस्य को चुनाव मैदान में उतारा है जिनके पूर्वज बंगाल की आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के साथ खड़े थे। कृष्णचंद्र रॉय ने मीरजाफर के साथ मिलकर बड़ी साजिश रची थी और देश के लोग इस गद्दारी को भूले नहीं है। चुनाव में इसकी सजा जरूर मिलेगी।
पीएम से बातचीत के बाद चर्चा में आईं अमृता रॉय
अमृता रॉय ने 20 मार्च को भाजपा की सदस्यता ली थी और बाद में पार्टी ने उन्हें कृष्णानगर से चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया। वे उस समय देश भर के मीडिया में चर्चा में आ गईं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामांकन के बाद व्यक्तिगत समर्थन देने के लिए उनसे फोन पर बातचीत की थी।
अमृता रॉय से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसी बात कही जिसे लेकर बाद में काफी बहस छिड़ गई। प्रधानमंत्री का कहना था कि वे इस संबंध में कानूनी सलाह ले रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बंगाल में गरीबों से लूटे गए 3000 करोड़ रुपए ईडी की ओर से जब्त करके गरीबों को लौटाए जा सकें। तृणमूल कांग्रेस ने इसे लेकर हमला भी बोला था।
भाजपा का बड़ा सियासी दांव
कृष्णानगर में 18वीं सदी में महाराजा कृष्णचंद्र रॉय का राज हुआ करता था और उन्हें प्रशासनिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में किए गए सुधारो के लिए आज भी याद किया जाता है। उनके परिवार का योगदान आज भी लोगों को अच्छी तरह याद है और इसी कारण भाजपा अमृता रॉय के जरिए महुआ मोइत्रा के लिए कड़ी चुनौती पेश करने की कोशिश में जुटी हुई है। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस की ओर से अमृता रॉय के राजपरिवार को गद्दार बताने की बड़ी मुहिम छोड़ दी गई है।
भाजपा-टीएमसी दोनों के लिए प्रतिष्ठा की जंग
कृष्णानगर में महुआ मोइत्रा बनाम अमृता रॉय की सियासी जंग में ममता बनर्जी की साख भी दांव पर लगी हुई है। यदि महुआ मोइत्रा को हार मिली तो भाजपा को हमला करने का बड़ा मौका मिल जाएगा। दूसरी ओर यदि महुआ मोइत्रा ने चुनावी बाजी मार ली तो उन्हें संसद में एक बार फिर भाजपा से दो-दो हाथ करने का बड़ा मौका मिल जाएगा। उनके इस दावे को भी मजबूती मिलेगी जिसमें संसद सदस्यता रद्द किए जाने के बाद वे कहती रहे हैं कि वे फिर संसद में लौट कर दिखाएंगी। देशभर की निगाहें कृष्णानगर में हो रही इस दिलचस्प सियासी जंग पर लगी हुई हैं।