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Loksabha Hot Seat Asansol: आसनसोल में शत्रुघ्न सिन्हा की राह आसान नहीं, भाजपा के अहलूवालिया दे रहे कड़ी चुनौती
Hot Loksabha Seat Asansol: वैसे 2014 से आसनसोल की सियासी तस्वीर बदल गई है। भाजपा ने पश्चिम बंगाल में मजबूती हासिल करने के बाद 2014 में माकपा के इस दुर्ग को ध्वस्त कर दिया था।
Loksabha Election 2024: पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट भी इस बार के लोकसभा चुनाव में होता सीटों में गिने जा रही है क्योंकि इस सीट पर दो दिग्गज उम्मीदवारों के बीच मुकाबला हो रहा है। भोजपुरी स्टार पवन सिंह के इनकार के बाद भाजपा ने इस सीट पार्टी के वरिष्ठ नेता एसएस अहलूवालिया को मैदान में उतारा है। दूसरी ओर टीएमसी ने पिछले उपचुनाव में जीत हासिल करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा पर दांव लगाया है। इस चुनाव क्षेत्र में चौथे चरण में 13 मई को मतदान होना है। इलाके में चुनावी शोर थम चुका है और अब सबकी निगाहें कल होने वाले मतदान पर टिकी हुई है। अहलूवालिया विकास के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस को घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अहलूवालिया की कड़ी चुनौती के कारण शत्रुघ्न सिन्हा की सियासी राह इस बार आसान नहीं मानी जा रही है।
भाजपा ने ध्वस्त किया माकपा का दुर्ग
आसनसोल लोकसभा क्षेत्र को पहले माकपा का मजबूत लाल दुर्ग माना जाता था। आसनसोल के 67 साल के चुनावी इतिहास में दो चरणों में 34 साल तक माकपा ने इस सीट पर जीत हासिल की है। पहले चरण में 1971 से 1980 तक माकपा का इस लोकसभा सीट पर कब्जा रहा। दूसरे चरण में 1989 से लेकर 2014 तक 25 वर्षों के दौरान कुल आठ चुनाव हुए और इन सभी चुनावों में माकपा उम्मीदवारों ने ही इस सीट पर जीत हासिल की।
वैसे 2014 से आसनसोल लोकसभा क्षेत्र की सियासी तस्वीर बदल गई है। भाजपा ने पश्चिम बंगाल में मजबूती हासिल करने के बाद 2014 में माकपा के इस दुर्ग को ध्वस्त कर दिया था। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी बाबुल सुप्रियो ने जीत हासिल की थी।
शत्रुघ्न सिन्हा ने जीता था उपचुनाव
गायक से नेता बने बाबुल सुप्रियो को मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनने का भी मौका मिला था। बाद में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया। इसे लेकर बाबुल सुप्रियो भीतर ही भीतर नाराज थे और 2021 में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इसके बाद आसनसोल लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराया गया था जिसमें टीएमसी ने चर्चित अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को चुनावी अखाड़े में उतारा था।
इसी के साथ ही आसनसोल की सियासत में बिहारी बाबू की एंट्री हुई थी। बिहार में 2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा आसनसोल से लोकसभा उपचुनाव जीतने में कामयाब रहे और संसद पहुंच गए। टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर शत्रुघ्न सिन्हा पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें चुनावी अखाड़े में उतारा है।
भाजपा, टीएमसी और माकपा ने लगाई ताकत
आसनसोल लोकसभा सीट पर हो रहे चुनाव में इस बार सात प्रत्याशी चुनावी अखाड़े में उतरे हैं। इनमें तीन प्रत्याशियों के बीच मुकाबला माना जा रहा है। भाजपा प्रत्याशी एसएस अहलूवालिया, टीएमसी प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा और माकपा प्रत्याशी जहांआरा खान ने चुनावी बाजी जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है।
भाजपा प्रत्याशी अहलूवालिया पहले दार्जिलिंग से भाजपा सांसद थे और फिर उन्होंने दुर्गापुर से चुनाव जीता था। इस बार भाजपा ने उन्हें आसनसोल के सियासी मैदान में उतार दिया है। वैसे आसनसोल भी उनके लिए अपरिचित जगह नहीं है क्योंकि वे इसी क्षेत्र में पढ़े-लिखे हैं। 2014 और 2019 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में बाबुल सुप्रियो की जीत और उसके बाद क्षेत्र की अनदेखी को लेकर पूछे जा रहे सवालों का जवाब देना उनके लिए मुश्किल साबित हो रहा है।
सभी दलों के अलग-अलग मुद्दे
वैसे भाजपा की ओर से इस क्षेत्र में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण, संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न, हिंदुत्व और पश्चिम बंगाल की नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के मुद्दे को गरमाने की कोशिश की गई है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी नेताओं की ओर से राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का हवाला दिया जा रहा है। माकपा महंगाई, बेरोजगारी, केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग और भाजपा की सांप्रदायिकता को लेकर हमलावर है। अहलूवालिया बगल के लोकसभा क्षेत्र में खुद की ओर से किए गए कामों की याद दिला रहे हैं। उनका कहना है कि यहां दो विचारधाराओं की लड़ाई है। इसके साथ ही वे आसनसोल में बुनियादी सुविधाओं की कमी का मुद्दा भी उठा रहे हैं।
दूसरी ओर मौजूदा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का कहना है कि उन्हें सिर्फ दो साल का वक्त मिला और इतने कम वक्त में क्या किया जा सकता था। हालांकि अहलूवालिया इसका विरोध करते हुए कहते हैं कि पश्चिम बंगाल में लंबे समय से ममता की सरकार सत्तारूढ़ है मगर आसनसोल के विकास के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए।
आखिर किसे हासिल होगा लोगों का समर्थन
भाजपा की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस चुनाव क्षेत्र में सभाएं कर चुके हैं। प्रसिद्ध अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती और भोजपुरी गायक व भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने भी अहलूवालिया के समर्थन में रोड शो किया है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री जनता ममता बनर्जी और उनके भतीजे तृणमूल महासचिव अभिषेक बनर्जी ने शत्रुघ्न सिन्हा की जीत के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। ममता बनर्जी इलाके में दो सभाएं कर चुकी हैं जबकि अभिषेक बनर्जी ने भी रोड शो किया है।
माकपा की उम्मीदवार जहांआरा के पक्ष में पार्टी के नेता मोहम्मद सलीम चुनाव प्रचार कर चुके हैं। मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए तीनों प्रत्याशियों ने पूरी ताकत लगा रखी है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि कल होने वाले मतदान में कौन आसनसोल के लोगों का समर्थन हासिल करने में कामयाब हो पाता है।