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Loksabha Election 2024: महराजगंज लोकसभा सीट पर भाजपा को जीत की हैट्रिक लगाने से रोकेगी कांग्रेस, जानें समीकरण
Maharajganj Seat Parliament Constituency: भाजपा ने यहां के केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री व वर्तमान सांसद पंकज चौधरी पर तीसरी बार दांव लगाया है। जबकि कांग्रेस ने वीरेंद्र चौधरी को चुनावी रण में उतारा है। वहीं बसपा ने मोहम्मद मौसमे आलम को उम्मीदवार बनाया है।
Lok Sabha Election 2024: यूपी के महराजगंज जिले का अपनी अलग राजनीतिक महत्ता है। दुनियाभर में प्रसिद्ध शायर फिराक गोरखपुरी के अत्यंत करीबी रिश्तेदार शिब्बन लाल सक्सेना इस जिले की पहचान हैं। नेपाल बॉर्डर से सटा महराजगंज जिला काफी पिछड़ा हुआ है। अब यहां विकास की किरणें दिख तो रहीं हैं लेकिन जिले जैसी रौनक अब भी नदारद है। जिला मुख्यालय से ज्यादा नेपाल बॉर्डर का नौतनवा और सोनौली कस्बा गुलजार दिखता है। जंगलों से घिरे इस जिले में कभी तीन चीनी मिलें, किसानों के लिए वरदान होती थीं लेकिन अब बंद पड़ी हैं। हर साल आने वाली बाढ़ भी इस जिले को और पीछे ले जाती रही है। महराजगंज लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने यहां के केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री व वर्तमान सांसद पंकज चौधरी पर तीसरी बार दांव लगाया है। जबकि कांग्रेस ने वीरेंद्र चौधरी को चुनावी रण में उतारा है। वहीं बसपा ने मोहम्मद मौसमे आलम को उम्मीदवार बनाया है। इस बार यहां लड़ाई भाजपा को जीत की हैट्रिक लगाने की है तो विपक्ष को वापसी करने की है। जबकि बसपा इस सीट पर अपना खाता खोलने की जद्दोजहद कर रही है।
Maharajganj Lok Sabha Chunav 2019 Details
Maharajganj Vidhan Sabha Chunav 2022 Details
Maharajganj Lok Sabha Chunav 2014 Details
अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के पंकज चौधरी ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे अखिलेश सिंह को 3,40,424 वोट से हराकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में पंकज चौधरी को 7,26,349 और अखिलेश सिंह को 3,85,925 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत को 72,516 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा के पंकज चौधरी ने बसपा के काशी नाथ शुक्ल को 2,40,458 वोट से हराकर इस सीट पर भगवा लहराया था। इस चुनाव में पंकज चौधरी को 4,71,542 और काशी नाथ शुक्ल को 2,31,084 वोट मिले थे। जबकि सपा के अखिलेश सिंह को 2,13,974 और कांग्रेस के हर्ष वर्धन को 57,193 वोट मिले थे।
यहां जानें महराजगंज लोकसभा क्षेत्र के बारे में
- महराजगंज लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 63 है।
- यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।
- इस लोकसभा क्षेत्र का गठन महराजगंज जिले के फरेंदा, नौतनवा, सिसवा, महराजगंज व पनियरा विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
- महराजगंज लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 3 पर भाजपा और एक- एक पर निषाद पार्टी व कांग्रेस का कब्जा है।
- यहां कुल 19,15,408 मतदाता हैं। जिनमें से 8,91,493 पुरुष और 10,23,652 महिला मतदाता हैं।
- महराजगंज लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 12,27,224 यानी 64.07 प्रतिशत मतदान हुआ था।
महराजगंज लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
प्राचीन काल में कोसल राज्य का अंग रह चुके महराजगंज क्षेत्र को कारापथ के नाम से भी जाना जाता था। महाराजगंज की धरती का इतिहास भगवान महात्मा बुद्ध से भी जुड़ा है। यहां बनारसिया कला में तथागत का ननिहाल भी है। यह शहर मनोहारी वनों, वनस्पतियों और धान की खेती के लिए विख्यात है। महराजगंज जिले के उत्तर में नेपाल देश है तो दक्षिण में गोरखपुर, पूर्व में कुशीनगर तथा बिहार का पश्चिम चंपारण जिला और पश्चिम में सिद्धार्थनगर जिला पड़ता है। गोरखपुर जिले का 2 अक्टूबर 1989 को विभाजन कर महराजगंज के रूप में नए जिले का निर्माण किया गया था। महराजगंज जिले में नारायणी (बड़ी गंडक), छोटी गंडक, रोहिन, राप्ती, चदन, प्यास, घोंघी और डंडा जैसी नदियां बहती हैं। इसके अतिरिक्त बघेला नाला, सोनिया नाला, खनुआ नाला और महवा नाला प्रमुख हैं। अंग्रेजों के हुकूमत के खिलाफ बगावत में इस क्षेत्र के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। आजादी के बाद प्रफेसर से नेता बने शिब्बन लाल सक्सेना की अगुवाई में महाराजगंज की धरती ने संघर्ष और त्याग का फलसफा ठीक से सीखा। आजादी के बाद से यह जिला भी कांग्रेस का गढ़ होता था। महात्मा गांधी के कहने पर राजनीति में कदम रखने के बाद महान शिक्षाविद और संविधान सभा के सदस्य शिब्बन लाल सक्सेना जीवन भर दलित, शोषितों के उत्थान के लिए संघर्ष करते रहे। उन्होंने इस सीट से चार बार जीत हासिल कर एतिहासिक रिकॉर्ड बनाया।
आजादी के बाद 1952 में हुए पहले चुनाव में शिब्बन लाल सक्सेना पहली बार निर्दल उम्मीदवार के रूप में सांसद बने। फिर 1957 के चुनाव में भी निर्दल उम्मीदवार के रूप में उतरे और जीत हासिल की। लेकिन 1962 और 1967 में कांग्रेस के महादेव प्रसाद लगातार सांसद बने। फिर 1971 में शिब्बन लाल सक्सेना निर्दल सांसद बने। लेकिन 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर शिब्बन लाल सक्सेना ने रघुबर प्रसाद को हराकर सांसद बने। लेकिन 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां वापसी की और अशफाक हुसैन अंसारी सांसद बने। 1984 में कांग्रेस के टिकट पर जीतेन्द्र सिंह सांसद बने। 1989 में जनता पार्टी के टिकट पर हर्ष वर्धन सांसद बने। 90 के दशक में देश में चल रहे रामलहर के दौरान भाजपा ने 1991 के चुनाव में यहां कमल खिला दिया। पंकज चौधरी सांसद बने। उन्होंने यह जीत 1996 और 1998 के चुनाव में दोहरा दिया। लेकिन भाजपा के इस विजय रथ को सपा के कुँवर अखिलेश सिंह ने 1999 के चुनाव में रोक दिया। 2004 के चुनाव में पंकज चौधरी ने यह सीट सपा से छिन लिया। लेकिन 2009 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर हर्ष वर्धन चुनाव में उतरें और जीत दर्ज की।
महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र की जातीय समीकरण
महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां ओबीसी वोटर 56 फीसद से भी ज्यादा है। इनमें ज्यादातर कुर्मी, पटेल, चौरसिया, यादव, मौर्य, सुनार और चौहान आते हैं। सवर्ण जातियों में 12 फ़ीसद ब्राह्मण और कुछ फीसद क्षत्रिय और कायस्थ समुदाय के लोग हैं। यहां दलितों में सबसे ज्यादा जाटव वोटर आते हैं।
महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद
- निर्दल शिब्बन लाल सक्सैना 1952 और 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से महादेव प्रसाद 1962 और 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- निर्दल शिब्बन लाल सक्सैना 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से शिब्बन लाल सक्सैना 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से अशफाक हुसैन अंसारी 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से जीतेन्द्र सिंह 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता दल से हर्ष वर्धन 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से पंकज चौधरी 1991, 1996 और 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से कुँवर अखिलेश सिंह 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से पंकज चौधरी 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से हर्ष वर्धन 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से पंकज चौधरी 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।