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Lok Sabha Election 2024: महुआ मोइत्रा, अमृता रॉय और प्लासी की लड़ाई!

Lok Sabha Election: शाही परिवार के इतिहास की चर्चा करते हुए, कुणाल घोष ने आरोप लगाया कि जब सिराजुद्दौला ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ रहे थे राजा कृष्णचंद्र रॉय ने अंग्रेजों की मदद की थी।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 3 April 2024 5:01 AM GMT
Amrita Roy , Mahua Moitra
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अमृता रॉय, महुआ मोइत्रा  (photo: social media ) 

Lok Sabha Election 2024: पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के कृष्णानगर का हाई-प्रोफाइल निर्वाचन क्षेत्र, 1757 से चले आ रहे विवाद में फंस गया है। विवाद प्लासी की लड़ाई को लेकर है। इस क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा फिर से चुनाव लड़ रही हैं और उनके सामने हैं भाजपा की अमृता रॉय जो एक शाही परिवार से ताल्लुक रखती हैं।

विवाद महाराजा पर

ताजा विवाद तब शुरू हुआ जब भाजपा ने पीएम नरेंद्र मोदी और कृष्णानगर के पूर्व शाही परिवार की मौजूदा मुखिया और भाजपा उम्मीदवार अमृता रॉय के बीच टेलीफोन पर बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग जारी की। बातचीत में पीएम मोदी ने पूर्व महाराजा की प्रशंसा की थी। तृणमूल ने पलटवार करते हुए महाराजा की निंदा की और दावा किया कि वह ईस्ट इंडिया कंपनी के चापलूस और राष्ट्र के साथ विश्वासघात करने वाले व्यक्ति थे।


क्या कहा टीएमसी ने

शाही परिवार के इतिहास की चर्चा करते हुए, टीएमसी के कुणाल घोष ने आरोप लगाया कि जब सिराजुद्दौला ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ रहे थे उस वक्त राजा कृष्णचंद्र रॉय ने अंग्रेजों की मदद की थी। कृष्णानंद ने 1728 से 1783 तक शासन किया था। कुणाल घोष ने कहा - इतिहास बताता है कि जब सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी तो कृष्णानगर के शाही परिवार ने अंग्रेजों की मदद की थी।


क्या कहा भाजपा प्रत्याशी ने

भाजपा प्रत्याशी अमृता रॉय ने टीएमसी के आरोपों को झूठ करार देते हुए उन्हें खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा - मुझे लगता है कि हर बंगाली और हर भारतीय इस बात से सहमत होगा कि मेरे परिवार के बारे में जो कुछ भी कहा जा रहा है वह पूरी तरह से झूठ है। आरोप यह है कि राजा कृष्णचंद्र रॉय ने अंग्रेजों का पक्ष लिया था। उन्होंने ऐसा क्यों किया? यह सिराजुद्दौला द्वारा दी यातना के कारण हुआ।अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता, तो क्या हिंदू धर्म यहां बच पाता? क्या सनातन धर्म बच पाता? नहीं। हम यह क्यों नहीं कह सकते कि महाराजा ने हमें एक सांप्रदायिक विरोधी प्रहार से बचाया था?


क्या कहना है इतिहासकारों का

इतिहासकारों का कहना है कि प्लासी की लड़ाई के दौरान रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल के अंतिम स्वतंत्र शासक नवाब सिराजुद्दौला को हराया था। इसके बाद, अंग्रेजों ने बंगाल का शोषण शुरू कर दिया और धीरे-धीरे देश के अन्य हिस्सों में अपना प्रभाव बढ़ाया।

प्लासी की लड़ाई में, क्लाइव की सेना को कोलकाता स्थित अमीर व्यापारियों जगत सेठ, उमीचंद और कृष्णानगर के महाराजा कृष्णचंद्र रॉय जैसे लोगों का समर्थन मिला। कृष्णचंद्र एक जमींदार थे लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने उन्हें महाराजा की उपाधि दी। आमतौर पर यह माना जाता है कि उन्होंने 'कंपनी' को खुश करने के लिए दुर्गा पूजा के भव्य उत्सव की शुरुआत की थी।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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