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Lok Sabha Election: चुनावी जंग में नहीं उतरना चाहते कांग्रेस के कई दिग्गज नेता, बेटों को आगे बढ़ाने की कोशिश
Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस के कई पूर्व मुख्यमंत्री इस बार चुनावी जंग में उतरने के लिए तैयार नहीं है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इसमें शामिल हैं।
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस विभिन्न राज्यों में अपने उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने की कोशिश में जुटी हुई है। पार्टी की ओर से पहली सूची जारी की जा चुकी है जबकि दूसरी सूची भी जल्द ही जारी किए जाने की संभावना है। इस बीच पार्टी की दूसरी सूची में कई दिग्गज कांग्रेस नेताओं के नाम गायब रहने की संभावना जताई जा रही है।
दरअसल पहले कहा जा रहा था कि कांग्रेस अपने कई मुख्यमंत्रियों और बड़े नेताओं को चुनावी जंग में उतार कर भाजपा को मजबूत चुनौती देने की कोशिश में जुटी हुई है मगर जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के कई पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता चुनावी जंग में उतरने के लिए तैयार नहीं है। इसकी जगह वे अपने बेटों को टिकट दिलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
जल्द जारी होगी कांग्रेस की दूसरी सूची
कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की सोमवार को दूसरी बैठक हुई और इस बैठक के दौरान गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, असम और उत्तराखंड आदि राज्यों की लोकसभा सीटों पर चर्चा की गई। इन राज्यों की 62 लोकसभा सीटों पर अभी कांग्रेस की ओर से अभी अपने प्रत्याशी उतारे जाने हैं।
माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान पांच राज्यों की सूची को अंतिम रूप दे दिया गया और पार्टी हाईकमान की ओर से जल्द ही कांग्रेस की दूसरी सूची का ऐलान किया जा सकता है।
चुनाव नहीं लड़ना चाहते कई पूर्व सीएम
जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के कई पूर्व मुख्यमंत्री इस बार चुनावी जंग में उतरने के लिए तैयार नहीं है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस बार चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इन नेताओं ने अपनी जगह पार्टी हाईकमान के सामने दूसरे नेताओं का नाम आगे बढ़ाया है।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जोर अपनी जगह बेटे वैभव गहलोत को चुनावी जंग में उतारने पर दिखा। सूत्रों का कहना है कि राजस्थान की जालौर लोकसभा सीट से वैभव गहलोत के नाम पर मुहर लगा दी गई है और जल्द ही इसका आधिकारिक ऐलान कर दिया जाएगा।
सचिन पायलट भी चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं
सूत्रों के मुताबिक पुत्र वैभव गहलोत के चुनाव लड़ने के कारण इस बार अशोक गहलोत चुनावी जंग से दूर रहेंगे। वैसे गहलोत के गृह क्षेत्र जोधपुर में अभी किसी प्रत्याशी के नाम पर सहमति न बनने की खबर है। राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट इन दिनों छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी हैं और इस कारण उनके भी चुनावी जंग से दूर रहने की संभावना जताई जा रही है।
सचिन पायलट का कहना है कि वे खुद चुनाव लड़ने की जगह राजस्थान की चार लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ में भी भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को मजबूती से तैयार करने का आश्वासन दिया है। उनका कहना है कि वे छत्तीसगढ़ में पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पहले ही पार्टी की ओर से चुनावी जंग में उतारा जा चुका है।
कमलनाथ और हरीश रावत का अपने बेटों पर जोर
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी इस बार लोकसभा चुनाव की जंग में नहीं दिखेंगे। वे छिंदवाड़ा में अपने बेटे नकुलनाथ को जिताने की कोशिश करेंगे। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर नकुलनाथ को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर बड़ी जीत हासिल की थी।
इसी तरह उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी इस बार चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है। उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अपने बेटे वीरेंद्र रावत को टिकट देने की वकालत की है। वे चाहते हैं कि उनकी जगह उनके बेटे को हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा जाए।
अमेठी और रायबरेली पर सबकी निगाहें
कांग्रेस ने गत शुक्रवार को अपने 39 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। इन उम्मीदवारों में केरल की वायनाड लोकसभा सीट से राहुल गांधी का नाम भी शामिल था। राहुल गांधी के उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है मगर पार्टी की ओर से अभी तक इस बाबत कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई की ओर से राहुल को फिर अमेठी और प्रियंका को रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारने की मांग की गई है।
प्रियंका गांधी पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं मगर पार्टी ने अभी तक इस बाबत भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। प्रियंका गांधी ने यदि रायबरेली से चुनाव लड़ने का फैसला किया तो यह उनकी चुनावी राजनीति की शुरुआत होगी। उत्तर प्रदेश में सपा से गठबंधन के बाद कांग्रेस को 17 लोकसभा सीटें मिली हैं और इनमें अमेठी और रायबरेली की सीटें भी शामिल हैं।