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Loksabha Election 2024: कृष्ण की नगरी मथुरा लोकसभा सीट पर इस बार किसका चलेगा जादू? जानें यहां का समीकरण

Loksabha Election 2024 Mathura Seats Details: मथुरा लोकसभा सीट जाट बहुल्य माना जाता है। इस सीट पर अब तक चुने गए 17 सांसदों में से 14 जाट समुदाय से आते हैं। 2009 में जयंत चौधरी सांसद चुने गए थे। लेकिन, तब आरएलडी का भाजपा के साथ गठबंधन था।

Sandip Kumar Mishra
Published on: 13 April 2024 7:10 AM IST (Updated on: 23 May 2024 8:06 PM IST)
Loksabha Election 2024: कृष्ण की नगरी मथुरा लोकसभा सीट पर इस बार किसका चलेगा जादू? जानें यहां का समीकरण
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Loksabha Election 2024: यूपी के मथुरा लोकसभा सीट का मिजाज भगवान श्रीकृष्ण की तरह चंचल रहा है। यहां का सियासी हवा कभी यह देश के साथ तो कभी विपरीत में बहती है। ब्रजवासियों ने बड़े नामों को संसद भेजा लेकिन कई बार ऐसे लोगों को निराश भी किया है। इसके अलावा बाहरी उम्मीदवारों के भी सिर पर जीत का सेहरा बांधा है। चाहे वह मौजूदा सांसद हेमा मालिनी हों या उनसे पहले जयंत चौधरी। मनीराम बागड़ी तो इतिहास में दर्ज हैं। मथुरा लोकसभा सीट बहुत ही दिलदार रही है। मथुरा लोकसभा सीट को शुरुआती दौर से ही जाट बहुल माना जाता है। इस सीट पर अब तक चुने गए 17 सांसदों में से 14 जाट समुदाय से आते हैं। हालांकि यहां से जाट बिरादरी का प्रतिनिधित्व करने वाली आरएलडी कभी इसे अपना किला नहीं बना सकी है।


Mathura Vidhan Sabha Chunav 2022




Mathura Lok Sabha Chunav 2014


यह बात और है कि यहां से 2009 में जयंत चौधरी सांसद चुने गए थे। लेकिन, तब आरएलडी भाजपा के साथ गठबंधन में थी और यह सीट उसी गठबंधन की वजह से आरएलडी के खाते में आई थी। इस सीट से चौधरी चरण सिंह की बेटी ज्ञानवती भी चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया था। तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी भी जब 2014 में यहां चुनाव लड़ने पहुंचीं तो उन्हें खुद को धर्मेंद्र से शादी की वजह से जाट बताना पड़ा था। इस सीट पर भाजपा ने हेमा मालिनी पर तीसरी बार दाव लगाया है। जबकि इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस ने मुकेश धनगर को उम्मीदवार बनाया है। वहीं बसपा ने सुरेश सिंह को मैदान में उतारा है।

बॉलीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी 2014 से यहां हैं सांसद

लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा की हेमा मालिनी ने सपा, बसपा और रालोद के संयुक्त उम्मीदवार कुंवर नरेंद्र सिंह को 2,90,023 वोट से हराकर दूसरी बार जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में हेमा मालिनी को 6,67,342 और कुंवर नरेंद्र सिंह को 3,77,319 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के महेश पाठक ने महज 27,970 वोट पाकर जमानत जब्त करा ली थी। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा की हेमा मालिनी ने रालोद के जयंत चौधरी को 5,30,743 वोट से हराकर करारी शिकस्त दी थी। इस चुनाव में हेमा मालिनी को 6,74,633 और जयंत चौधरी को 1,43,890 वोट मिले थे। जबकि बसपा के विवेक निगम को 73,572 और सपा के दिनेश कर्दम महज 36,673 वोट मिले थे। मथुरा लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 17 है। इसमें वर्तमान में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस लोकसभा क्षेत्र का गठन मथुरा जिले के छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा और बलदेव विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है। फिलहाल इन 5 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था। यहां कुल 18,07,893 मतदाता हैं। जिनमें से 8,23,436 पुरुष और 9,84,255 महिला मतदाता हैं। बता दें कि मथुरा लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 10,98,112 यानी 61.03 प्रतिशत मतदान हुआ था।

मथुरा लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में मथुरा लोकसभा सीट ने देश में चल रहे सियासी हवा के विपरीत चलने का अपना परिचय दिया। इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों का डंका बजा था। 1952 के चुनाव में राजा गिरराज शरण सिंह ने जीत दर्ज की। फिर 1957 के चुनाव में भी यही हुआ। इस चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जनसंघ के टिकट पर यहां से पर्चा भरा था। लोगों को उम्मीद थी कि कांग्रेस नहीं तो जनसंघ के लिए लोग अपना प्यार दिखाएंगे। लेकिन हुआ उल्टा। यह सीट निर्दलीय उम्मीदवार मुरसान के राजा महेंद्र प्रताप सिंह के खाते में चली गई। अटल बिहारी वाजपेयी की इस चुनाव में जमानत जब्त हो गई। उन्हें कुल दस प्रतिशत वोट मिले थे। पहले के दो चुनावों में भले ही यहां से निर्दलीय उम्मीदवारों पर जनता ने भरोसा जताया लेकिन उसके बाद 1962, 1967 और 1971 के चुनावों में कांग्रेस को लगातार तीन बार जीत दर्ज की। वहीं 1990 में देश में चल रहे राम लहर के दौरान भाजपा इस सीट पर लगातार चार बार जीत दर्ज करवाने में सफल रही है। बता दें कि 1991 में साक्षी महाराज और 1996, 1998 व 1999 के चुनावों में चौधरी तेजवीर सिंह भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इसके अलावा जनता पार्टी से चुने जाने से पहले चौधरी दिगंबर सिंह दो बार कांग्रेस के टिकट पर भी सांसद रहे। मानवेंद्र सिंह पहले कांग्रेस फिर जनता दल और उसके बाद फिर कांग्रेस के टिकट पर सांसद रहे।

यहां जानें मथुरा लोकसभा सीट से सांसद रहे मनीराम बागड़ी के दिलचस्प कहानी


देश में इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ लोगों में आक्रोश था। समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, मुलायम सिंह, चौधरी चरण सिंह की लहर थी। भारतीय लोकदल ने हरियाणा के हिसार के रहने वाले मनीराम बागड़ी को मथुरा लोकसभा सीट पर उतारा। वह कांग्रेस के खिलाफ जनता के भारी विरोध के कारण 2,96,518 वोट पाकर कांग्रेस के उम्मीदवार रामहेत सिंह को 2,15,265 वोटों से हरा दिया। जीत के बाद वह कभी मथुरा नहीं आए। पुराने राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कुछ समय बाद मथुरा के लोग उनसे स्थानीय समस्याओं को लेकर मुलाकात करने दिल्ली गए। वहां मनीराम बागड़ी से जब लोगों ने कहा कि वह मथुरा से आए हैं तो इस पर मनीराम बागड़ी ने उलटा सवाल कर दिया कि यह मथुरा कहां पर है। यह बात सुनते ही वह लोग वापस लौट आए। बता दें कि मनीराम बागड़ी हरियाणा के बड़े नेता कहे जाते थे। वह देश के पहले सांसद भी थे, जिन्हें लोकसभा से निलंबित किया गया था। 24 मई 1962 को हिसार लोकसभा से चुनकर लोकसभा पहुंचे। उन्होंने संसद में बिना एजेंडे के किसी मुद्दे पर बोलना शुरू कर दिया था। इस पर तत्कालीन स्पीकर हुकम सिंह ने रोका मगर बागड़ी रुके नहीं। नाराज स्पीकर ने उनको एक हफ्ते के लिए लोकसभा से सस्पेंड कर दिया था। मनीराम बागड़ी के विषय में यह भी किस्सा मशहूर है कि मनीराम बागड़ी बेटे सुभाष बागड़ी के साथ दिल्ली के अपने सरकारी आवास तीन मूर्ति लेन से पैदल ही दूध लेने जा रहे थे। सामने से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का काफिला आ रहा था। पीएम इंदिरा गांधी ने काफिले को रुकवाया और गाड़ी का शीशा नीचे किया। इंदिरा गांधी ने मुस्कुरा कर हाथ जोड़े और मनीराम बागड़ी को नमस्ते की।

मथुरा लोकसभा सीट पर यहां के विधायक नहीं बन पाए सांसद

मथुरा लोकसभा सीट के मांट विधानसभा क्षेत्र से श्याम सुन्दर शर्मा आठ बार विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव में ताल ठोकी, लेकिन जयंत चौधरी के सामने असफलता हाथ लगी थी। वर्तमान में छाता विधायक एवं कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण वर्ष 1991, 1996 और 2004 के लोकसभा चुनाव में खड़े हुए मगर, उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था। वर्तमान विधायक पूरन प्रकाश ने 1998 का लोकसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें भाजपा के तेजवीर सिंह के सामने हार का सामना करना पड़ा। चौधरी चरण सिंह की पत्नी गायत्री देवी गोकुल विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहीं। गायत्री देवी ने वर्ष 1984 का लोकसभा चुनाव लोकदल के टिकट पर लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसी प्रकार आचार्य लक्ष्मी रमण, जो मांट क्षेत्र से चार बार विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। उन्होंने वर्ष 1980 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ा था। इस चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार चौधरी दिगंबर सिंह जीत गए थे। छाता विधान सभा क्षेत्र से विधायक रहे रामहेत सिंह ने वर्ष 1977 का चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ा था। इमरजेंसी के ठीक बाद हुए इस चुनाव में उन्हें जनता पार्टी के उम्मीदवार मनीराम बागड़ी के सामने हार का सामना करना पड़ा था।

मथुरा लोकसभा में जातीय समीकरण

मथुरा लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आने वाला इस क्षेत्र में जाट बिरादरी और मुस्लिम मतदाता का खासा वर्चस्व माना जाता है। लोकसभा चुनाव 2019 के समय यहां पर सबसे अधिक जाट मतदाता थे, जिनकी संख्या करीब सवा 3,75,000 थी। इनके अलावा ब्राह्मण समाज के मतदाता 3,00,000 थे। ठाकुर मतदाताओं की संख्या भी करीब 3,00,000 है। जाटव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 1,50,000 है। वैश्य 1,00,000 और यादव 70,000 के भी मतदाता अहम भूमिका में रहते हैं। वहीं अन्य जातियों के करीब 1,00,000 मतदाता हैं। बता दें कि मथुरा लोकसभा सीट पर 1991 के चुनाव के बाद से राजनीतिक दलों की निगाह हमेशा हाथी की चाल पर रही है। बेशक बसपा चुनाव नहीं जीत सकी, लेकिन वोट पाने के मामले में दूसरे या तीसरे नंबर पर रही है। सपा का यहां मजबूत स्थिति में न होना और कांग्रेस की हालत 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार खराब होने के बाद भाजपा के लिए मुख्य विपक्षी के तौर पर बसपा ही रही है। लेकिन लोकसभा चुनाव 2014 के बाद से बसपा का कोर वोटर धीरे-धीरे खिसकता गया। मथुरा सीट पर करीब 1,50,000 मतदाता अनुसूचित जाति के हैं।

मथुरा लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • निर्दल राजा गिर्राज शरण सिंह 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • निर्दल राजा महेंद्र प्रताप 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से चौधरी दिगंबर सिंह 1962 और 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से चकलेश्वर सिंह 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से मनीराम बागड़ी 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी (सेक्युलर) से चौधरी दिगंबर सिंह 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से मानवेंद्र सिंह 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता दल से मानवेंद्र सिंह 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से साक्षी महाराज 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से चौधरी तेजवीर सिंह 1996, 1998 और 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से मानवेंद्र सिंह 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • राष्ट्रीय लोक दल से जयंत चौधरी 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से हेमा मालिनी 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।


Sandip Kumar Mishra

Sandip Kumar Mishra

Content Writer

Sandip kumar writes research and data-oriented stories on UP Politics and Election. He previously worked at Prabhat Khabar And Dainik Bhaskar Organisation.

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