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Loksabha Elections: रायबरेली से नई इबारत लिखने को तैयार राहुल, विरासत संभालने की जिम्मेदारी
Loksabha Elections: रायबरेली लोकसभा सीट लंबे अरसे से कांग्रेस पार्टी का गढ़ रही है। इस सीट को अमेठी से भी मजबूत किला माना जाता रहा है। यहां भावनाओं से भरी सियासी विरासत की पूंजी संजोए रखने की जद्दोजहद है। वहीं भाजपा की ओर से पैर जमाने के लिए कड़ा परिश्रम किया जा रहा है।
Raebareli Loksabha: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पहली बार अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। इसके साथ वह रायबरेली लोकसभा सीट से नई इबारत लिखने को तैयार हैं। उनके ऊपर अपनी मां की विरासत बचाने की भी चुनौती है। रायबरेली सीट पर बीस मई को मतदान होगा।
सियासी विरासत संभालने की जद्दोजहद
रायबरेली लोकसभा सीट लंबे अरसे से कांग्रेस पार्टी का गढ़ रही है। इस सीट को अमेठी से भी मजबूत किला माना जाता रहा है। यहां भावनाओं से भरी सियासी विरासत की पूंजी संजोए रखने की जद्दोजहद है। वहीं भाजपा की ओर से पैर जमाने के लिए कड़ा परिश्रम किया जा रहा है। कांग्रेस ने अपनी पारंपरिक सीट बचाने के लिए राहुल गांधी को मैदान में उतारा है। वहीं रायबरेली में कांग्रेस के सिपहसालार रहे एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह भाजपा से मैदान में हैं। उनके सामने नई सियासी जमीन बनाने की चुनौती है। राहुल गांधी के खिलाफ राह आसान नहीं है।
दो बार लगी किले में सेंध
कांग्रेस के इस किले में आज तक सिर्फ दो बार सेंध लगी है। इसके बावजूद भाजपा किले को गिराने में कामयाब नहीं रह सकी। कांग्रेस के सबसे मजबूत किले में पहली बार वर्ष 1977 में सेंध लगी थी। जब जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे राज नारायण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनाव हराया था। राज नारायण को 1,77,719 वोट मिले थे। वहीं इंदिरा गांधी को 1,22,517 मत हासिल हुए। जनता पार्टी के उम्मीदवार ने पीएम को 55,202 मतों से हराया। दूसरी बार किले में वर्ष 1996 में सेंध लगी थी। जब भाजपा के अशोक सिंह जीते। इस चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार हुई।
जो देगा रोजगार उसे देंगे वोट
स्थानीय लोगों की मानें तो इस चुनाव में बेरोजगारी सबसे प्रमुख मुद्दा है। जो विकास की गति कांग्रेस पार्टी के समय में शुरू हुई है वह धीमी हुई है। रायबरेली से प्रयागराज के लिए चार लेन वाला राजमार्ग बनाया जा रहा है, पर स्थानीय युवाओं को नौकरी नहीं है। बेरोजगारी बढ़ रही है। इसके साथ छुट्टा जानवरों की दिक्कत भी कम नहीं है। सिविल लाइंस क्षेत्र में स्थित एक चाय की दुकान पर मिले युवकों का कहना है कि जो हमें रोजगार देगा हम उसी को वोट देंगे। मौजूदा सरकार में बेरोजगारी काफी बढ़ गई है।