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Hot Loksabha Seat Kota: कोटा में कड़े मुकाबले में फंसे स्पीकर ओम बिरला, ढाई दशक का मिथक तोड़ने की बड़ी चुनौती
Hot Loksabha Seat Kota: कोटा लोकसभा क्षेत्र में इस बार स्पीकर ओम बिरला को अपने ही पुराने साथी और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे प्रह्लाद गुंजल से कड़ी चुनौती मिल रही है।
Hot Loksabha Seat Kota: राजस्थान में लोकसभा की 12 सीटों पर पहले चरण में मतदान का काम पूरा हो चुका है जबकि बाकी बची 13 सीटों पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना है। दूसरे चरण में जिन सीटों पर कड़ा मुकाबला दिख रहा है उनमें कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र भी शामिल है जहां इस बार हैट्रिक लगाने के लिए लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला चुनाव मैदान में उतरे हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने वाले ओम बिरला के लिए इस बार सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है।
कोटा लोकसभा क्षेत्र में इस बार स्पीकर ओम बिरला कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। उन्हें अपने ही पुराने साथी और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे प्रह्लाद गुंजल से कड़ी चुनौती मिल रही है। क्षेत्र के युवा मतदाताओं पर गुंजल की मजबूत पकड़ बिरला के लिए मुसीबत पैदा करने वाली साबित हो रही है। पिछले करीब ढाई दशक से कोई भी लोकसभा का स्पीकर दोबारा सदन में नहीं पहुंचा है और ऐसे में ओम बिरला के सामने इस मिथक को तोड़ने की भी बड़ी चुनौती है।
कोटा में हैट्रिक लगाने उतरे हैं ओम बिरला
युवा मोर्चा से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले ओम बिरला की पहचान एक जुझारू नेता के रूप में रही है। यही कारण था कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें लोकसभा का स्पीकर बनाने का फैसला किया था। बिरला 1991 से 1997 तक भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे और इसके बाद 1997 से 2003 तक उन्होंने मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली।
बिरला 2003 से 2014 तक कोटा दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक रहे। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के टिकट पर कोटा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया और उन्होंने शानदार जीत हासिल की।
2019 में एक बार फिर उन्हें कोटा से चुनाव लड़ने का मौका मिला और इस बार भी वे अच्छी मार्जिन से जीत हासिल करने में कामयाब रहे। इसके बाद उन्हें लोकसभा का स्पीकर बनाने का फैसला किया गया।
इस बार वे कोटा लोकसभा क्षेत्र में हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। बिरला लगातार क्षेत्र का दौरा करने में जुटे हुए हैं और पिछले 10 वर्षों में किए गए कामों के आधार पर वोट मांग रहे हैं। उनका कहना है कि यदि मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ तो वे क्षेत्र के विकास कार्यों में और तेजी लाएंगे।
पुराने साथी गुंजन दे रहे कड़ी चुनौती
इस बार के लोकसभा चुनाव में बिरला का मुकाबला अपने पुराने साथी प्रह्लाद गुंजल से हो रहा है। गुंजल को पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कोटा उत्तर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया था मगर वे जीत हासिल नहीं कर सके थे। पिछले महीने उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी और कांग्रेस ने उन्हें कोटा के सियासी रण में उतार दिया है। गुंजल को भाजपा की वरिष्ठ नेता और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का करीबी माना जाता है और वे कोटा महाविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं युवा मतदाताओं पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है और इस बार वे बिरला को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
गुर्जर बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले गुंजल के चुनाव मैदान में उतरने से इलाके का समीकरण काफी दिलचस्प हो गया है। गुंजल को किसी जमाने में बिरला का करीबी और विश्वासपात्र माना जाता था मगर बदले हुए सियासी हालात में बिरला के लिए वे ही बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं। कोटा में इस बार युवा मतदाताओं की बड़ी भूमिका मानी जा रही है और इन मतदाताओं पर गुंजल की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है।
ढाई दशक का मिथक तोड़ना बड़ी चुनौती
बिरला के सामने एक और मजबूत बड़ी चुनौती पिछले ढाई दशक का मिथक तोड़ने की भी है। पिछले ढाई दशक से कोई भी लोकसभा अध्यक्ष दोबारा सदन में पहुंचने में कामयाब नहीं हो सका है। 1999 में जीएमसी बालयोगी लोकसभा के स्पीकर बने थे मगर 2001 में एक दुर्घटना के दौरान उनका निधन हो गया था। इसके बाद शिवसेना के मनोहर जोशी को लोकसभा का स्पीकर बनाया गया था मगर 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
2004 में लेफ्ट के वरिष्ठ नेता सोमनाथ चटर्जी को लोकसभा का स्पीकर बनाया गया था मगर अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला था। 2009 में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मीरा कुमार लोकसभा की स्पीकर बनी थीं मगर 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
2014 में भाजपा की वरिष्ठ नेता और इंदौर से कई बार चुनाव जीतने वाली सुमित्रा महाजन को लोकसभा का स्पीकर बनाया गया था मगर 2019 के चुनाव में उनका टिकट कट गया था। अब मौजूदा लोकसभा स्पीकर ओम बिरला चुनाव मैदान में उतरे हैं और उनके सामने यह मिथक तोड़ने की बड़ी चुनौती है।