Loksabha Election 2024: रामपुर लोकसभा सीट पर BJP और सपा मेें होगा मुकाबला, आजम खां के गढ़ में 4 बार खिला फूल

Loksabha Election 2024 Rampur Seats Details: रामपुर लोकसभा सीट पर नवाबी खानदान से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस के ज़ुल्फिकार अली खान उर्फ मिक्की मियां कुल पांच बार इस सीट से सांसद रहे।

Sandip Kumar Mishra
Published on: 30 March 2024 5:15 AM GMT
Loksabha Election 2024: रामपुर लोकसभा सीट पर BJP और सपा मेें होगा मुकाबला, आजम खां के गढ़ में 4 बार खिला फूल
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Loksabha Chunav 2024: रामपुर लोकसभा सीट से बसपा ने जीशान खां को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। जीशान खां पिछले 12 साल से बसपा से जुड़े हुए हैं। उनके चाचा शहाब खां और चाची शैला खां भी नगर पालिका का चुनाव लड़ चुके हैं। शैला खां सभासद रह चुकी हैं और नगर पालिकाध्यक्ष का चुनाव भी लड़ चुकी हैं। जीशान खां पठान बिरादरी से ताल्लुक रखते है। वहीं भाजपा ने घनश्याम सिंह लोधी को उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने रामपुर उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर सपा के आसिम रजा को 42,192 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। घनश्याम सिंह लोधी को पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का भी बेहद करीबी माना जाता है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 2004 में हुए एमएलसी चुनाव के दौरान कल्याण सिंह की राष्ट्रीय क्रांति पार्टी और मुलायम सिंह यादव की सपा के गठबंधन के टिकट पर जीत दर्ज करके की थी। वह दो बार एमएलसी रह चुके हैं। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी को अलविदा कह दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। लोकसभा चुनाव 2019 में रामपुर लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां सपा-बसपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार बने और चुनाव जीत गए। लेकिन विधानसभा चुनाव 2022 में आजम खां फिर सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में आ गए और जीत हासिल करने में सफल रहे। इसके बाद आजम खान ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद खाली हुई रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। इसमें भाजपा ने घनश्याम सिंह लोधी पर दांव लगाया और वह चुनाव जीत गए थे। घनश्याम सिंह लोधी को 3,67,397 और आसिम रज़ा को 3,25,205 वोट मिला था। फिलहाल इस सीट पर इंडिया गठबंधन ने अपना पत्ता नहीं खोला है। रामपुर लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 69 है। इसमें वर्तमान में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस लोकसभा क्षेत्र का गठन रामपुर जिले के स्वार, चमरौआ, बिलासपुर, मिलक और रामपुर विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है। यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था। यहां कुल 16,79,506 मतदाता हैं। जिनमें से 7,76,769 पुरुष और 9,02,574 महिला मतदाता हैं। बता दें कि रामपुर लोकसभा उपचुनाव में कुल 7,07,084 यानी 31.40 प्रतिशत मतदान हुआ था।

रामपुर लोकसभा क्षेत्र का राजनीति इतिहास (Rampur Political History)

पश्चिमी यूपी का रामपुर शहर रूहेलखंड की संस्कृति का केंद्र और नवाबों की नगरी रहा है। किसी दौर में अफगान रूहेलों का कब्जा था, इसके कारण इस इलाके को रूहेलखंड कहा जाता है। रोहिल्ला वंश के लोग पश्तून हैं, जो अफगानिस्तान से उत्तर भारत में आकर बसे थे। रूहेलखंड सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध क्षेत्र रहा है। साहित्य, रामपुर घराने का शास्त्रीय संगीत, हथकरघे की कला, और बरेली के बांस का फर्नीचर इस इलाके की विशेषताएं हैं। अवध के नवाबों की तरह रामपुर के नवाबों की तारीफ गंगा-जमुनी संस्कृति को बढ़ावा देने के कारण होती है। देश के पहले शिक्षामंत्री अबुल कलाम आज़ाद के अलावा कालांतर में रामपुर नवाब खानदान के सदस्यों से लेकर फिल्म कलाकार जयाप्रदा और खांटी ज़मीनी नेता आजम खान तक ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। देश में 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में अबुल कलाम आज़ाद रामपुर सीट से ही जीतकर संसद पहुंचे थे। हालांकि, उनका परिवार कोलकाता में रहता था, पर उन्हें रामपुर से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया। उनका मुकाबला हिंदू महासभा के बिशन चंद्र सेठ से हुआ। उस चुनाव में कुल दो प्रत्याशी ही मैदान में थे। मौलाना आज़ाद को कुल 1,08,180 यानी 54.57 प्रतिशत और बिशन चंद्र सेठ को 73,427 यानी कि कुल 40.43 प्रतिशत वोट मिले थे। पहले चुनाव को लेकर रामपुर में कुछ विवाद भी खड़े हुए। जिसके बाद 1957 में मौलाना आज़ाद को रामपुर के बजाय तत्कालीन पंजाब के गुड़गांव से टिकट दिया गया, जहां से उन्होंने जीत दर्ज की। रामपुर में 1957 के चुनाव में नवाब रजा अली खां के प्रयास से पीरपुर के राजा सैयद मोहम्मद मेहदी को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया गया। उस चुनाव में भी केवल दो प्रत्याशी थे। दूसरे प्रत्याशी थे जनसंघ के सीताराम। उस चुनाव में कांग्रेस को 1,27,864 यानी कि 68.39 प्रतिशत और सीताराम को 59,107 यानी 31.61 प्रतिशत वोट मिले थे। 1962 के चुनाव में रामपुर से कुल सात प्रत्याशी मैदान में थे। राजा सईद अहमद मेंहदी को 92,636 और जनसंघ के शांति शरण को 48,941 वोट मिले। वहीं 1967 के चुनाव में नवाब खानदान से सैयद ज़ुल्फ़िकार अली खान स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के रूप में उतरे और उन्होंने जनसंघ के सत्य केतु को हराया। उस चुनाव में कांग्रेस के राजा सईद अहमद मेहदी तीसरे स्थान पर रहे। ज़ुल्फिकार अली खान 1971 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरें, उन्होंने जनसंघ के कृष्ण मुरारी को हरा दिया। लेकिन 1977 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ज़ुल्फिकार अली खान को जनता पार्टी के टिकट पर राजेंद्र कुमार शर्मा ने 57.19 प्रतिशत वोट पाकर हरा दिया।

कांग्रेस और नवाबी खानदान का युग


रामपुर लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 1971 तक एकबार छोड़कर हमेशा कांग्रेस का दबदबा रहा। लेकिन 1977 में पहली बार यहां से गैर-कांग्रेसी प्रत्याशी को जीत मिली। नवाबी खानदान से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस के ज़ुल्फिकार अली खान उर्फ मिक्की मियां कुल पांच बार इस सीट से सांसद रहे। पहली बार स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के रूप में और फिर कांग्रेसी प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की। उनकी बेगम नूरबानो दो बार यहां से सांसद चुनी गईं, जबकि उनके बेटे नवाब काज़िम अली खां उर्फ नवेद मियां लगातार पांच बार विधायक निर्वाचित हुए। सबसे पहले उन्होंने 1967 में स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। उसके बाद 1971,1980, 1984 और 1989 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद रहे। 1996 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उनकी पत्नी बेगम नूर बानो ने जीत दर्ज की। 1998 में हुए चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी मुख्तार अब्बास नकवी से वे हार गईं। उसके अगले साल 1999 में वे फिर जीतीं। उन्होंने मुख्तार अब्बास नकवी को हराकर अपना बदला पूरा किया। इसके बाद कांग्रेस को फिर से रामपुर में जीत नसीब नहीं हुई।

आजम खां का गढ़ बना रामपुर

नवाबों के बाद रामपुर की राजनीति में जिस एक नेता का बोलबाला रहा है उसका नाम आजम खां है। उन्हें मुलायम सिंह यादव का दायां हाथ माना जाता था। 1992 में समाजवादी पार्टी के गठन का श्रेय मुलायम सिंह यादव के साथ उन्हें भी जाता है। आजम खां की कभी पूरे उत्तर प्रदेश में तूती बोलती थी, रामपुर उनका गढ़ था। उनकी बुनियादी राजनीति विधान सभा से जुड़ी हुई थी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार जब भी बनी तो उनका मंत्री बनना तय रहता था। समाजवादी पार्टी की तरफ से बॉलीवुड अभिनेत्री जयाप्रदा यहां से 2004 और 2009 में सांसद चुनी गईं। लेकिन 2014 में बीजेपी के डॉ नेपाल सिंह ने सपा के नसीर अहमद खान को हराकर जीत दर्ज की। इस चुनाव में डॉ नेपाल सिंह 37.5 और नसीर अहमद खान को 35 प्रतिशत वोट मिले थे। आंध्र प्रदेश की तेलुगु देसम पार्टी से अपनी सियासी जीवन की शुरूआत करके जयाप्रदा ने कई प्रकार के राजनीतिक बदलाव देखे। उन्होंने अमर सिंह के साथ मिलकर एक अलग पार्टी भी बनाई। वे भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी बनकर भी 2019 में रामपुर से चुनाव लड़ीं। इस चुनाव में आजम खान को 5,59,018 यानी 52.69 फीसदी और जयाप्रदा को 4,48,630 यानी कि 42.33 प्रतिशत वोट मिले थे। बता दें कि जयाप्रदा जब सपा में थीं, तब भी आजम खान उनका विरोध करते थे. इस विरोध के कारण उन्हें कुछ समय मुलायम सिंह की बेरुखी का सामना भी करना पड़ा था। जयाप्रदा के समर्थन और विरोध के कारण रामपुर आजम खान बनाम अमर सिंह की लड़ाई का गवाह भी बना। हालांकि दोनों कभी मुलायम सिंह यादव के सिपहसालार थे।

रामपुर लोकसभा सीट पर इतने बार मुस्लिम और हिंदू रहे सांसद

रामपुर से अभी तक हुए लोकसभा के 18 चुनावों में से 11 बार मुस्लिम प्रत्याशी ही जीते हैं। हिंदू प्रत्याशी के रूप में पहली बार 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी राजेंद्र कुमार शर्मा की जीत हुई, दूसरी बार राजेंद्र कुमार शर्मा ने 1991 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की। 2004 और 2009 में जयाप्रदा जीतीं और 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेपाल सिंह ने जीत दर्ज की है। बता दें कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि 2014 में उत्तर प्रदेश से कोई भी मुस्लिम सांसद चुनकर नहीं गया था। लेकिन 2019 में यहां से मोहम्मद आजम खान सांसद चुने गए. उन्होंने बीजेपी की प्रत्याशी जयाप्रदा को 1,09,997 वोटों से हराया था।

रामपुर लोकसभा में जातीय समीकरण

रामपुर लोकसभा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। यहां 60 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं तो 40 प्रतिशत सिर्फ हिंदू हैं। इनमें सबसे अधिक लोधी करीब 2,50,00 मतदाता हैं। जबकि करीब 40,000 कुर्मी, 60,000 दलित और 70,000 सैनी मतदाता हैं। इसके अलावा अन्य समाज भी हैं, जिनकी संख्या दस से बीस हजार के बीच है। इसी तरह मुस्लिम समाज में भी करीब 2,00,000 पठान, अंसारी 1,50,000 और 1,50,000 तुर्क और अन्य बिरादरियां भी हैं।

रामपुर लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से मौलाना अबुल कलाम आज़ाद 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से राजा सईद अहमद मेंहदी 1957 और 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • स्वतंत्र पार्टी से ज़ुल्फिकार अली खान 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से ज़ुल्फिकार अली खान 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से राजेंद्र कुमार शर्मा 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से ज़ुल्फिकार अली खान 1980, 1984 और 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से राजेंद्र कुमार शर्मा 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से बेगम नूर बानो 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • भाजपा से मुख्तार अब्बास नक़वी 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से बेगम नूर बानो 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • समाजवादी पार्टी से जयाप्रदा 2004 और 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • भाजपा से डॉ नेपाल सिंह 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • समाजवादी पार्टी से आजम खां 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से घनश्याम सिंह लोधी 2022 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।
Sandip Kumar Mishra

Sandip Kumar Mishra

Content Writer

Sandip kumar writes research and data-oriented stories on UP Politics and Election. He previously worked at Prabhat Khabar And Dainik Bhaskar Organisation.

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