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Loksabha Election 2024: यूपी की पहली लोकसभा क्षेत्र सहारनपुर में किसका है पलड़ा भारी, जानें यहां का सियासी इतिहास
Loksabha Election 2024 Saharanpur Seats Details: सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र मुस्लिम और दलित मतदाता सियासत का केंद्र हैं। यहां से बसपा के संस्थापक कांशीराम 1998 के लोकसभा चुनाव में हार गए थे
Loksabha Election 2024: यूपी में लोकसभा क्षेत्रों की जब बात होती है तो सबसे पहले ज़िक्र सहारनपुर का होता है। क्योंकि सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या एक है। यहां से कांग्रेस ने इमरान मसूद को प्रत्याशी बनाया है। जबकि बसपा ने माजिद अली को प्रत्याशी बनाया है। जबकि भाजपा ने राघव लखनपाल शर्मा पर दुबारा दाव लगाया है। लोकसभा चुनाव 2019 में सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार हाजी फजुर्लरहमान ने भाजपा के राघव लखनपाल शर्मा को 22,417 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। हाजी फजुर्लरहमान को 5,14,139 और राघव लखनपाल शर्मा को 4,91,722 वोट मिले थे। सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस लोकसभा क्षेत्र का गठन सहारनपुर जिले के बीहट, देवबंद, रामपुर मनिहारान, सहारनपुर नगर और सहारनपुर देहात विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है। यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था। यहां कुल 17,39,082 मतदाता हैं। जिनमें से 8,08,231 पुरुष और 9,30,769 महिला मतदाता हैं। बता दें कि सहारनपुर लोकसभा चुनाव 2019 में कुल 12,32,438 यानी 70.83 प्रतिशत मतदान हुआ था।
सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र का राजनीति इतिहास
गंगा-यमुना के बीच बसे सहारनपुर की सीमायें हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के सीमा से लगती हैं। यूं तो हर एक व्यक्ति एवं क्षेत्र की अपनी एक अलग पहचान होती है। लेकिन व्यक्ति या क्षेत्र में कुछ विशेष होता है तो चर्चा सबकी जुबान पर होती है। यह वह जगह है जहां हुनरमंद लकड़ियों में जान फूंक देते है। फर्नीचर हो या नक्काशी, यहां की काष्ठ कला बेहद खास है। यहां के बांसमती चावल की खुशबू खाने का स्वाद बदल देता है। देश की राजधानी दिल्ली से तकरीबन 180 किलोमीटर दूर सहारनपुर माँ शाकम्भरी देवी के धाम और लकड़ियों के काम और बांसमती के चावल के लिए तो जाना ही जाता है । लेकिन इस शहर से सियासत का भी एक विशेष जुड़ाव है। दुनिया भर में इस्लामी तालीम के लिए विख्यात दारुल उलूम संस्थान भी सहारनपुर के देवबंद कस्बे में स्थित है। सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र के सियासी इतिहास की बात की जाए तो यहां सबसे अधिक 6 बार कांग्रेस के सांसद निर्वाचित हुए हैं। 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्या के बाद 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में आखिरी बार कांग्रेस ने सहारनपुर सीट पर जीत दर्ज की थी। सहारनपुर लोकसभा सीट पर अबतक तीन बार कमल खिल चुका है, 3 बार हाथी चल चुकी है। जबकि यहां साइकिल बस एक बार चलने में कामयाबी दर्ज कर पाई है। 1996, 1998 और 2014 में यहां कमल खिला तो वहीं 1999, 2009 और 2019 में तीन बार बसपा ने जीत दर्ज की। इनके बीच महज एक बार 2004 में समाजवादी पार्टी ने जीत का स्वाद चखा।
बसपा के संस्थापक कांशीराम लड़ चुके हैं यहां से चुनाव
सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम और दलित मतदाता सियासत का केंद्र हैं। हालांकि, यहां का सियासी इतिहास बड़ा दिलचस्प है। बसपा के संस्थापक कांशीराम 1998 के लोकसभा चुनाव में यहां से न केवल भाजपा के प्रत्याशी से हार गए थे, बल्कि तीसरे नंबर पर चले गए थे। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के रशीद मसूद थे, जिनका यहां की सियासत में लगभग चार दशक तक प्रभावी दखल रहा है। रशीद मसूद 4 बार जनता दल व 1 बार सपा से इसी सीट से संसद पहुंचे। हारने पर भी 4 बार राज्यसभा के जरिए उच्च सदन के सदस्य बने। हालांकि, 2013 में मेडिकल एडमिशन घोटाले में चार साल की सजा होने के बाद उनकी सदस्यता चली गई थी और दोषसिद्धि में सदस्यता गंवाने वाले वह पहले सांसद बने। बता दें कि महिलाओं को लेकर सभी राजनीतिक दल बातें तो खूब करते हैं।लेकिन जब उन्हें पुरुषों के बराबर हक और अधिकार दिए जाने का सवाल आता है तो महिलाओं को पीछे छोड़ दिया जाता है। शायद यही कारण है कि सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र से आजादी के बाद से अबतक न कोई महिला सांसद बन सकी है और न ही दावेदार रहीं हैं।
दंगों से बदला था सियासी मिजाज़
मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों ने वेस्ट यूपी के सामाजिक समीकरण व माहौल को बदल दिया था। इसके चलते सहारनपुर की सियासी तासीर भी इससे अछूती नहीं रही। चुनाव के बीच कांग्रेस नेता इमरान मसूद का भाजपा के पीएम चेहरे नरेंद्र मोदी पर दिया गया ‘बोटी-बोटी’ बयान टर्निंग पॉइंट साबित हुआ था। वेस्ट यूपी की बाकी सीटों पर कांग्रेस जहां संघर्ष कर रही थी, मसूद के बयान ने लड़ाई को भाजपा व कांग्रेस के बीच समेटकर रख दिया। जातीय गणित भावनाओं की रसायन में पिघल गई और भाजपा ने यहां फिर डेढ़ दशक बाद कमल खिला लिया। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के गठबंधन ने विपक्ष के वोटों के बिखराव को कम किया और नजदीकी मुकाबले में 22 हजार वोटों से सीट बसपा के खाते में गई। लेकिन सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की हवा यहां अब भी सियासत को गर्म-सर्द कर रही है।
सहारनपुर लोकसभा में जातीय समीकरण
सहारनपुर को मुस्लिम-दलित सियासत का केंद्र माना जाता है। सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र में 6, 40,000 मुस्लिम मतदाता है। जबकि 4,70,000 दलित मतदाता हैं। वहीं 1,35,000 ब्राह्मण, 1,30,000 त्यागी, 1,20,000 क्षत्रिय और 2,30,000 ओबीसी वर्ग के मतदाता हैं। पिछड़ी जातियों में जाट, गुर्जर, सैनी आदि भी प्रभावी असर रखते हैं।
सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद
- कांग्रेस से अजित प्रसाद जैन 1952 और 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से सुंदर लाल 1962,1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से रशीद मसूद 1977, 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से यशपाल सिंह 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता दल से रशीद मसूद 1989 और 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से नकली सिंह 1996 और 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- बसपा से मंसूर अली खान 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से रशीद मसूद 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- बसपा से जगदीश सिंह राणा 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से राघव लखनपाल शर्मा 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- बसपा से हाजी फजुर्लरहमान 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।