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Lok Sabha: बार-बार टिकट बदलकर अखिलेश ने ही बढ़ा दीं सपा की मुश्किलें, रणनीति पर सवाल
Lok Sabha: मुरादाबाद और रामपुर में भी टिकटों को लेकर भारी उठापटक हुई। मुरादाबाद में पहले मौजूदा सांसद एसटी हसन को टिकट दिया गया और उन्होंने नामांकन भी दाखिल कर दिया।
Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने उत्तर प्रदेश में आक्रामक चुनाव अभियान शुरू कर दिया है जबकि मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी टिकट बंटवारे के चक्रव्यूह में ही उलझी हुई है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव प्रदेश की नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार बदल चुके हैं और आने वाले दिनों में कुछ और सीटों पर प्रत्याशी बदले जा सकते हैं। ताजा मामला मेरठ का है जहां तीन बार टिकट बदला जा चुका है। अखिलेश यादव का यह कदम अपनी ही पार्टी की मुश्किलें बढ़ाने वाला साबित हो रहा है।
बार-बार टिकट बदले जाने से प्रदेश के कई चुनाव क्षेत्र में समाजवादी पार्टी के भीतर जबर्दस्त गुटबाजी पैदा हो गई है और पार्टी के ही अलग-अलग गुटों ने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सपा के टिकटों में बार-बार हो रहे बदलाव को लेकर अखिलेश यादव की रणनीति पर भी सवाल उठने लगे हैं। माना जा रहा है कि विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में सियासी और जातीय समीकरण को लेकर पहले कोई होमवर्क नहीं किया गया था जिसका नतीजा बार-बार टिकट बदले जाने के रूप में सामने आ रहा है। इसके साथ ही अखिलेश की लीडरशिप भी सवालों के घेरे में आ गई है क्योंकि वे बार-बार दबाव की स्थिति में दिख रहे हैं।
मेरठ में तीन बार हुआ टिकट में बदलाव
समाजवादी पार्टी के टिकटों में हो रहे बार-बार बदलाव को देखते हुए कहा जाने लगा है कि सपा में कब किसका टिकट कट जाए और कब किसे दोबारा मिल जाए,यह नहीं कहा जा सकता। मुरादाबाद में टिकट को लेकर हुए घमासान के बाद अब ताजा मामला मेरठ का है जहां एक महीने के भीतर तीन बार टिकट बदला जा चुका है। पहले यहां सुप्रीम कोर्ट के वकील और एक्टिविस्ट भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया गया।
सपा मुखिया के इस फैसले का व्यापक विरोध होने के बाद सरधना के विधायक अतुल प्रधान को चुनाव मैदान में उतार दिया गया। नामांकन के आखिरी दिन अतुल प्रधान का भी टिकट कट गया और आनन-फानन में पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा को पार्टी का सिंबल दे दिया गया। अब इस फैसले को लेकर अतुल प्रधान और उनके समर्थक काफी नाराज बताए जा रहे हैं और पार्टी को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। मेरठ जैसा ही खेल बागपत सीट पर भी खेला गया। पहले यहां जाट बिरादरी से जुड़े मनोज चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा गया था मगर बाद में उनका टिकट काटकर अमरपाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतार दिया गया।
मुरादाबाद और रामपुर में भी भारी उठापटक
मुरादाबाद और रामपुर में भी टिकटों को लेकर भारी उठापटक हुई। मुरादाबाद में पहले मौजूदा सांसद एसटी हसन को टिकट दिया गया और उन्होंने नामांकन भी दाखिल कर दिया। नामांकन के आखिरी दिन से पहले उनका टिकट काटकर आजम खान के दबाव में रुचि वीरा को मुरादाबाद से उतार दिया गया। नामांकन समाप्त होने से पहले नेतृत्व ने फिर अपना फैसला बदला और हसन को ही पार्टी का सिंबल देने का फैसला किया मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अब रुचि वीरा ही मुरादाबाद में पार्टी की अधिकृत उम्मीदवार हैं।
रामपुर में भी टिकट को लेकर काफी खींचतान हुई रामपुर के कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खान के करीबी आसिम रजा ने नामांकन दाखिल कर दिया था मगर उन्हें पार्टी का टिकट नहीं मिल सका।
नामांकन के आखिरी दिन रामपुर लोकसभा सीट के लिए मौलाना मुहीबुल्लाह नदवी का नाम तय किया गया। राजधानी दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम नदवी का नाम तो पार्टी हाईकमान ने तय दिया है मगर उन्हें आजम खान समर्थकों की कितनी मदद मिलेगी, इसे लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। अभी तक आजम समर्थक सपा प्रत्याशी के लिए सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं।
इन सीटों पर भी टिकट बदलने का खेल
गौतमबुद्धनगर में पहले डॉ. महेंद्र नागर को प्रत्याशी घोषित किया गया। चार दिन बाद ही इस सीट पर राहुल अवाना को उतारा गया। बाद में पुनः डॉ. महेंद्र नागर को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। मिश्रिख में तो और कमाल की स्थिति दिखी। यहां पहले पहले रामपाल राजवंशी, फिर उनके बेटे मनोज कुमार राजवंशी और फिर उनकी बहू संगीता राजवंशी को प्रत्याशी बनाया गया।
बदायूं में पहले धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी घोषित किया गया और बाद में उनकी जगह शिवपाल सिंह यादव को टिकट दे दिया गया। धर्मेंद्र यादव को अब आजमगढ़ से चुनाव मैदान में उतारा गया है जबकि बदायूं में फिर टिकट बदले जाने की तैयारी है। बदायूं में अब शिवपाल सिंह यादव की जगह उनके बेटे आदित्य यादव को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। शिवपाल सिंह यादव शुरू से ही बदायूं से चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे और यही कारण था कि टिकट घोषित होने के बाद भी वे काफी दिनों तक बदायूं के दौरे पर नहीं पहुंचे।
नौ सीटों पर बदले जा चुके हैं प्रत्याशी
अभी तक समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव नौ सीटों पर प्रत्याशी बदल चुके हैं। प्रदेश में बागपत, बदायूं, संभल, मिश्रिख, गौतम बुद्ध नगर, बिजनौर और मुरादाबाद में प्रत्याशी घोषित होने के बाद टिकटों में बदलाव किया जा चुका है। मजे की बात यह है कि अभी भी प्रत्याशियों के बदलने का सिलसिला थमने वाला नहीं दिख रहा है। सपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में कुछ और सीटों पर प्रत्याशियों को बदला जा सकता है।
प्रत्याशियों में हो रहे लगातार बदलाव के कारण अखिलेश की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। इसके साथ ही विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी को इन बदलावों के कारण सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है। विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में सपा के भीतर ही अलग-अलग गुट बन गए हैं।
सवालों के घेरे में अखिलेश की रणनीति
जिन नेताओं का टिकट कटा है, उनके समर्थक या तो निष्क्रिय नजर आ रहे हैं या दूसरे गुट को नुकसान पहुंचाने के लिए बेकरार दिख रहे हैं। मुरादाबाद में रुचि वीरा एसटी हसन के नाम पर मुस्लिम क्षेत्रों में वोट मांग रही हैं जबकि एसटी हसन और उनके समर्थक पूरी तरह निष्क्रिय बने हुए हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि इस प्रकरण से सपा मुखिया अखिलेश यादव की रणनीति सवालों के घेरे में आ गई है और लोकसभा चुनाव के दौरान सपा को इसका सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है।