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UP Lok Sabha Election: सातवें चरण में योगी के दमखम की होगी परीक्षा, इन दो सीटों पर लगी हुई हैं सबकी निगाहें

UP Lok Sabha Election 2024: सातवें चरण में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर और आसपास की लोकसभा सीटों पर भी मतदान होना है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 30 May 2024 2:59 PM IST
Lok Sabha Election seventh phase
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CM Yogi (photo: social media )

UP Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का आखिरी चरण सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसी चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई सियासी दिग्गजों की किस्मत का फैसला होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी के कारण वाराणसी संसदीय सीट को देश की सबसे हॉट सीट माना जा रहा है और इस सीट पर आखिरी चरण में एक जून को मतदान होने वाला है। वैसे सातवें चरण में प्रधानमंत्री मोदी की सीट को छोड़कर कई अन्य सीटों पर भी सबकी निगाहें लगी हुई हैं। सातवें चरण में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर और आसपास की लोकसभा सीटों पर भी मतदान होना है। ऐसे में आखिरी चरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दमखम की भी परीक्षा होगी।

सातवें चरण की सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है। छठे चरण के मतदान के बाद अब सभी राजनीतिक दलों के दिग्गज नेताओं का कारवां भी पूर्वांचल की ओर बढ़ चला है। सभी राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं ने अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूर्वांचल में ही डेरा डाल दिया है। आखिरी चरण की गोरखपुर और कुशीनगर लोकसभा सीटों पर भी सबकी निगाहें लगी हुई हैं। ऐसे में इन सीटों का समीकरण जानना जरूरी है।

गोरखपुर में रवि किशन को काजल निषाद की चुनौती

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर से भाजपा ने इस बार फिर मौजूदा सांसद और एक्टर रविकिशन को चुनाव मैदान में उतारा है। गोरखपुर आसपास के कई जिलों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव वाला इलाका माना जाता है। योगी ने भाजपा के टिकट पर इस लोकसभा क्षेत्र में 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार पांच बार जीत हासिल की थी।

यहां से भाजपा की ओर से बेशक रवि किशन को उम्मीदवार बनाया गया है मगर इस लोकसभा सीट पर योगी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर भोजपुरी एक्ट्रेस काजल निषाद को अपना उम्मीदवार बनाकर रवि किशन को घेरने का प्रयास किया है।


रवि किशन को योगी के नाम का सहारा

योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद 2018 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में सपा के प्रवीण निषाद ने जीत हासिल की थी मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में रवि किशन इस सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे। रवि किशन मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले हैं मगर योगी आदित्यनाथ के दम पर उन्हें इस सीट पर जीत हासिल हुई थी। इस बार फिर वे पीएम मोदी और सीएम योगी के नाम पर चुनाव मैदान में उतरे हैं।

गोरखपुर में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने जावेद अशरफ को चुनाव मैदान में उतारा है। उनके चुनाव लड़ने से सपा प्रत्याशी काजल निषाद के लिए मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी का बड़ा खतरा भी पैदा हो गया है। गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में रवि किशन भले ही भाजपा का चेहरा हों मगर पूरा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है। गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से कराए गए विकास कार्यों की वजह से रवि किशन मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं।


कुशीनगर में हो रहा कड़ा मुकाबला

राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के मुखिया स्वामी प्रसाद मौर्य के चुनाव मैदान में उतरने से कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र पर भी सबकी निगाहें लगी हुई हैं।

कुशीनगर लोकसभा सीट पर भी पूर्वांचल की अन्य सीटों के साथ सातवें और आखिरी चरण में एक जून को मतदान होने वाला है। पिछले लोकसभा चुनाव में कुशीनगर सीट पर भाजपा के टिकट पर विजय कुमार दुबे ने जीत हासिल की थी। उन्होंने सपा के प्रत्याशी एनपी कुशवाहा को हराया था। पार्टी ने इस बार भी विजय कुमार दुबे को चुनाव मैदान में उतारा है।

दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू सैंथवार को टिकट दिया है। बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर शुभ नारायण चौहान को अपना प्रत्याशी बनाया है।


स्वामी प्रसाद मौर्य की राह आसान नहीं

कुशीनगर लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान इनमें से चार विधानसभा क्षेत्रों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी जबकि एक सीट पर भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी का कब्जा है। इस कारण इस लोकसभा क्षेत्र में स्वामी प्रसाद मौर्य की सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है। उन्हें भाजपा और सपा प्रत्याशियों की कड़ी चुनौती का सामना करना होगा।

जानकारों का कहना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य पहले बसपा की मुखिया मायावती के संपर्क में थे और उनके बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही थी मगर बहन जी के साथ उनकी बात नहीं बन सकी। फिर उन्होंने अपने दम पर कुशीनगर सीट से उतरने का फैसला किया। निर्दल प्रत्याशी के रूप में स्वामी प्रसाद को गन्ना किसान चुनाव निशान मिला है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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