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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा का रण, कैराना का सियासी समीकरण

Shamli News: यहां करीब 18 लाख मतदाता हैं जिनमें छह लाख मुस्लिम, दो लाख जाट, ढाई लाख दलित, डेढ़ लाख गुर्जर के अलावा करीब तीन लाख अन्य पिछड़ी जातियां भी हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 17 April 2024 2:50 PM IST
Shamli News
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कैराना लोकसभा सीट 

Shamli News: कैराना लोकसभा सीट

जिला शामली, उत्तर प्रदेश

ख़ास बातें

- कैरना मुजफ़्फ़रनगर से करीब 50 किमी दूर पश्चिम में हरियाणा के पानीपत से सटा है।

- कैराना प्राचीन काल में कर्णपुरी के नाम से विख्यात था।

- कैराना क्षेत्र में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। करीब आठ साल यह क्षेत्र पहले एकाएक हिन्दुओं के पलायन जैसे मुद्दे को लेकर चर्चा में आ गया था जब वहां के सांसद हुकुम सिंह ने पलायन कर गए कई लोगों की सूची सार्वजनिक कर दी थी।

- इसके पांच विधानसभा क्षेत्र हैं - नाकुड़, गंगोह, कैराना, थाना भवन और शामली।

जातीय समीकरण

- जातीय समीकरणों की बात करें तो यहां करीब 18 लाख मतदाता हैं जिनमें छह लाख मुस्लिम, दो लाख जाट, ढाई लाख दलित, डेढ़ लाख गुर्जर के अलावा करीब तीन लाख अन्य पिछड़ी जातियां भी हैं। करीब पचास हजार ठाकुर और 40 हजार ब्राह्मण भी हैं।

- कुल मतदाता 1722432 हैं जिनमें 800518 महिलाएं और 921820 पुरुष हैं।

इस बार प्रमुख मुकाबला

- भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद प्रदीप चौधरी को ही टिकट दिया है। इंडिया अलायन्स में समाजवादी पार्टी की ओर से इकरा हसन मैदान में है तो वहीं बसपा ने श्रीपाल सिंह को टिकट देकर मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है।

क्या हैं मुद्दे

- पलायन अब मुद्दा नहीं है जबकि विकास मुद्दा बना है। गन्ना, किसानों की समस्याएं, मेडिकल कॉलेज और कॉलेजों की कमी, खराब सड़कें, रोजगार और महंगाई प्रमुख स्थानीय मसले हैं।

गुणा गणित

- इस सीट पर कोई भी दल पक्के तौर पर दावा नहीं कर सकता कि यह क्षेत्र उसका गढ़ है।

- यह सीट 1962 में अस्तित्व में आई। कांग्रेस को आखिरी बार 1984 में कैराना से जीत मिली थी जब अख्तर हसन विजयी हुए थे।

- 1991 से लेकर अब तक हुए 9 चुनाव में भाजपा को 3 बार, राष्ट्रीय लोक दल को भी 3 बार जीत मिली है। जनता दल, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी यहां से चुनाव जीत चुके हैं।

- 1991 से लेकर अब तक के चुनाव में तबस्सुम हसन ही वो नेता हैं जिन्हें कैराना सीट से 2 बार जीत मिली है जबकि अन्य नेता अपनी जीत रिपीट नहीं कर सके हैं।

- 2014 के चुनाव में मोदी लहर में हुकुम सिंह विजयी हुए थे। 1991 से लेकर अब तक हुए 9 चुनाव में 4 बार मुस्लिम प्रत्याशी को जीत मिली है।

- कैराना के सांसद हुकुम सिंह की 2018 में मृत्यु हो गई और उसके बाद कैराना में हुए उपचुनाव में भाजपा ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया। लेकिन मृगांका सिंह यह उपचुनाव समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल की संयुक्त उम्मीदवार तबस्सुम हसन से हार गईं। 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने मृगांका सिंह की बजाय प्रदीप कुमार को उम्मीदवार बनाया और प्रदीप कुमार ने तबस्सुम हसन को हरा दिया।

कब कौन जीता?

- 2004 में यहां से रालोद की अनुराधा चौधरी ने चुनाव जीता।

- 2009 में बसपा से तबस्सुम हसन सांसद बनीं।

- 2014 में भाजपा के हुकुम सिंह चुनाव जीते और संसद पहुंचे।

- 2018 के उपचुनाव में फिर से रालोद से तबस्सुम हसन को जीत मिली।

- 2019 में भाजपा ने फिर वापसी की और प्रदीप चौधरी सांसद बने।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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