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Lok Sabha Election Result: केंद्रीय मंत्रियों से लेकर राज्य के ये बड़े मंत्री नहीं बचा पाए अपनी सीट, इन 10 दिग्गजों को मिली हार
Lok Sabha Election Result: इस बार चुनाव नतीजों में सबसे ज्यादा नुकसान देश और प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को हुआ है। वहीं, विपक्ष ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाया है।
Lok Sabha Election Result: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने इस बार कई दिग्गजों की जमीनें खिसका दी हैं। यूपी में 7 चरणों के मतदान के बाद 4 जून को आए नतीजों ने केंद्रीय मंत्रियों से लेकर यूपी के मंत्री और कई बार के सांसदों को भी उनकी जमीनी पकड़ से रूबरू करा दिया है। इस चुनाव में वर्तमान केंद्रीय मंत्रियों, कई बार के सांसदों एवं प्रदेश स्तर के बड़े नेताओं को करारी हार का सामना करना पड़ा है। चुनाव नतीजों ने न सिर्फ उनकी कुर्सियां छीन ली बल्कि उनके प्रदर्शन से पार्टी को भी गहरा झटका लगा है। इस बार चुनाव नतीजों में सबसे ज्यादा नुकसान देश और प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को हुआ है। वहीं, विपक्ष ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाया है। यूपी की बात करें तो यहाँ से समाजवादी पार्टी के चुनावी प्रदर्शन ने विपक्ष के साथ ही इंडिया गठबंधन में भी जान फूंक दी है।
शीर्ष नेतृत्व के बेहद करीब होने के बावजूद इन दिग्गजों ने डुबोई भाजपा की नांव
1: अमेठी से स्मृति जुबिन ईरानी- भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय मंत्री और अमेठी लोकसभा से प्रत्याशी स्मृति जुबिन ईरानी को इस बार बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। इस सीट से इंडिया गठबंधन ने कांग्रेस के कार्यकर्ता किशोरी लाल शर्मा को स्मृति के खिलाफ चुनाव लड़ाया था। किशोरी ने अमेठी लोकसभा सीट से स्मृति ईरानी को 167196 मतों से बुरी तरह हरा दिया। मतगणना के सभी चरण पूरे होने के बाद किशोरी लाल शर्मा को कुल 539228 वोट मिले जबकि स्मृति को सिर्फ 372032 वोट ही मिले। स्मृति की इस हार के पीछे उनकी मनमानी बयानबाजी, कार्यकर्ताओं का अंदरूनी विरोध और जनता की नाराजगी बताई जा रही है।
2 - खीरी से अजय मिश्र टेनी- नरेंद्र मोदी 2.0 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रहे 'टेनी' को भी जनता ने हार का स्वाद चखा दिया। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक टेनी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेहद करीबी माने जाते हैं। उनकी सीट पर टेनी के साथ ही अमित शाह की प्रतिष्ठा भी दांव पर थी। फ़िलहाल टेनी को समाजवादी पार्टी के उत्कर्ष वर्मा 'मधुर' ने लम्बे अंतर से शिकस्त दी है। अपने कार्यकाल के दौरान टेनी को तिकुनिया थार काण्ड से लेकर कई विवादित बयानों के कारण अक्सर विरोध का सामना करना पड़ा। उनके बेटे द्वारा तिकुनिया में आंदोलन के दौरान किसानों पर थार चढ़ाए जाने के मामले में संतुष्टिजनक कार्रवाई न होने के कारण किसानों में भी उनके प्रति खासा रोष था। साथ ही स्थानीय जनता की नाराजगी भी टेनी पर भारी पड़ी।
3- मुज़फ्फरनगर से संजीव बालियान- एक समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों और किसान बिरादरी में अपनी मज़बूत पकड़ रखने वाले भाजपा के केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान इस चुनाव में अपनी सीट नहीं बचा पाए। बालियान के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे सपा के हरेंद्र सिंह मलिक ने उन्हें 24672 मतों से शिकस्त दी। मतगणना में बालियान को जहाँ 446049 मत मिले वहीँ मलिक 470721 वोट हासिल कर उन पर भारी पड़ गए। बालियान के प्रति जनता में टिकट वितरण से पहले भी रोष था। इसके कारण कई बार गाँव भ्रमण के दौरान उनका विरोध भी किया गया। बावजूद इसके उन्होंने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया जिसके बाद उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा।
4- मोहनलालगंज से केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर- लखनऊ की दो सीटों से अपनी पत्नी और साले को विधायक बनवा चुके केंद्रीय मंत्री और मोहनलालगंज सीट से निवर्तमान सांसद कौशल किशोर इस बार अपनी सीट नहीं बचा पाए। उन्हें गठबंधन के प्रत्याशी आरके चौधरी ने 70 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया। उनकी इस हार के पीछे क्षेत्र के विकास में रूचि न लेना, जनता के कार्यों को प्राथमिकता न देना और विवादों से घिरे रहना प्रमुख वजहें मानी जा रही हैं। कौशल की हार के पीछे उनकी ही पार्टी के कई बड़े नेताओं से उनकी नाराजगी भी अहम कारण बनी है। मतदान के बाद कौशल किशोर ने दबे शब्दों में इस भीतरघात के दर्द को भी जाहिर किया था। उनकी इस पोस्ट के बाद से ही उनकी हार के कयास लगने लगे थे।
5- चंदौली से केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय- इन चुनावों में अन्य कई मंत्रियों की तरह ही केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय भी अपनी सांसदी से हाथ धो बैठे। चंदौली से समाजवादी पार्टी के बीरेंद्र सिंह ने उन्हें 21565 मतों से पटखनी दे दी। इन चुनावों में महेंद्र नाथ पांडेय को 445911 मत मिले जबकि बीरेंद्र सिंह ने 474476 मत हासिल कर पांडेय को हार का स्वाद चखाया। लोकसभा क्षेत्र में सक्रियता की कमी पांडेय की हार के पीछे एक बड़ी वजह मानी जा रही है।
6- आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव 'निरहुआ'- जाने माने भोजपुरी अभिनेता व गायक, भाजपा के निवर्तमान सांसद भी इस बार अपनी लोकसभा सीट सपा से हार गए। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव ने निरहुआ को 161035 मतों के बड़े अंतराल से हरा दिया। भाजपा यहाँ से 'यादव वर्सेज़ यादव' कर निरहुआ को जिताने की जुगत में थी लेकिन जनता ने धर्मेंद्र यादव को 508239 मत देकर विजयी बना दिया।
7- सुल्तानपुर से मेनका गांधी- भाजपा की बड़ी नेत्री और केंद्रीय मंत्री रही मेनका गाँधी को भी इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। यहाँ से उनको सपा के रामभुआल निषाद ने 43174 मतों से हरा दिया। मेनका गांधी को सिर्फ 401156 मत मिले थे जबकि निषाद 444330 मत प्राप्त कर विजयी घोषित हुए। स्थानीय जनता से मेनका गांधी का जुड़ाव न होना उन्हें भारी पड़ा है।
8- कन्नौज से सुब्रत पाठक- लोकसभा क्षेत्र कन्नौज से भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक को भारी भरकम हार मिली है। यहाँ से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें 1.70 लाख से अधिक वोटों से धूल चटाई है। इस सीट से अखिलेश यादव को करीब 640207 मिले जबकि सुब्रत पाठक 470131 मतों पर ही सीमित रह गए। यह सीट सपा और भाजपा दोनों के लिए ही प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई थी लेकिन अखिलेश यादव ने इस पर जीत दर्ज कर एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में अपनी पैठ मज़बूत कर ली है।
9- मैनपुरी से जयवीर सिंह- भाजपा के मंत्री और यूपी के वरिष्ठ नेता जयवीर सिंह को मैनपुरी में करारी हार मिली है। यहाँ से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी और अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव ने उन्हें 221639 के भारी अंतराल से चुनाव हराया है। इस सीट में जयवीर सिंह को कुल 376887 वोट मिले जबकि डिंपल यादव 598526 मत हासिल कर विजयी हुई।
10- जालौन से भानु प्रताप सिंह वर्मा- भारत सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा जालौन लोकसभा सीट से समाजवादी प्रत्याशी नरायण दास अहिरवार से चुनाव हार गए। उन्हें कुल 53898 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है। सपा प्रत्याशी ने कड़ी टक्कर होने के बावजूद कुल 530180 मत हासिल कर उन्हें हरा दिया।