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UP Lok Sabha Election: मायावती ने आजमगढ़ में किया बड़ा खेल,मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर धर्मेंद्र यादव की मुश्किलें बढ़ाईं
UP Lok Sabha Election: गुड्डू जमाली के कारण ही 2022 में आजमगढ़ के उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव को चुनावी हार का सामना करना पड़ा था और अब मायावती ने भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
UP Loksabha Election: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के साथ बड़ा खेल कर दिया है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और सपा मुखिया अखिलेश यादव की सीट रही आजमगढ़ से मायावती ने मुस्लिम प्रत्याशी शबीहा अंसारी पर दांव लगाया है। ऐसे में अखिलेश यादव की गुड्डू जमाली को सपा में मिलाने की चाल धरी की धरी रह गई है।
गुड्डू जमाली के कारण ही 2022 में आजमगढ़ के उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव को चुनावी हार का सामना करना पड़ा था और अब मायावती ने भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बहन जी ने मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर आजमगढ़ की सियासी जंग को काफी दिलचस्प बना दिया है। उनके इस कदम से माना जा रहा है कि उनके निशाने पर मुख्य रूप से सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव ही हैं।
गुड्डू जमाली के कारण हारे थे धर्मेंद्र यादव
आजमगढ़ लोकसभा सीट को समाजवादी पार्टी का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है और 2014 में मोदी लहर के बावजूद इस सीट पर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने जीत हासिल की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर सपा मुखिया अखिलेश यादव विजयी हुए थे हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में करहल से जीतने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। 2022 में कराए गए उपचुनाव में इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने धर्मेंद्र यादव को हराकर समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका दिया था।
दरअसल इस उपचुनाव के दौरान धर्मेंद्र यादव की हार का कारण शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली बने थे। गुड्डू जमाली की वजह से मुस्लिम समुदाय के वोट दोफाड़ हो गए। इसका सीधा फ़ायदा BJP प्रत्याशी निरहुआ को हुआ था। निरहुआ को कुल 3,12,768 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर धर्मेंद्र यादव को 3,04,089 मत और तीसरे स्थान पर रहे गुड्डू जमाली को 2,66,210 वोट मिले थे। इस उपचुनाव के दौरान निरहुआ को 8679 वोटों से जीत हासिल हुई थी और उनकी जीत के पीछे गुड्डू जमाली के मजबूती से चुनाव लड़ने को बड़ा कारण माना गया था।।
अखिलेश ने चली थी बड़ी सियासी चाल
गुड्डू जमाली को आजमगढ़ में मजबूत पकड़ वाला नेता माना जाता रहा है। उपचुनाव के दौरान उन्होंने 2,66,000 से अधिक वोट हासिल किए थे और मजे की बात यह है कि 2014 में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने के दौरान भी उन्होंने करीब करीब इतने वोट ही हासिल किए थे। हालांकि दोनों चुनावों के दौरान वे तीसरे नंबर पर रहे। 2014 में दूसरे नंबर पर भाजपा प्रत्याशी रमाकांत यादव थे जो अब सपा से विधायक हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ में सपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पिछले दिनों बड़ी सियासी चाल चली थी। उन्होंने गुड्डू जमाली को पार्टी में शामिल करते हुए एमएलसी बना दिया था। इस कारण माना जा रहा था कि 2024 की सियासी जंग के दौरान सपा की राह आसान हो जाएगी मगर अब बसपा मुखिया मायावती ने मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर बड़ा सियासी खेल कर दिया है। मायावती के इस कदम से मुस्लिम वोट बैंक बंटने का खतरा पैदा हो गया है जो कि आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी की बड़ी ताकत माना जाता रहा है।
मायावती ने कर दिया बड़ा सियासी खेल
बसपा मुखिया मायावती ने पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को आजमगढ़ से चुनाव मैदान में उतारा था। पिछले हफ्ते मायावती ने अपनी रणनीति में बड़ा फेरबदल करते हुए भीम राजभर को सलेमपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का निर्देश दिया। इसके बाद से ही माना जा रहा था कि आजमगढ़ लोकसभा सीट को लेकर मायावती किसी बड़ी रणनीति पर मंथन कर रही हैं और रविवार को इसका नतीजा भी सामने आ गया।
अब उन्होंने बसपा प्रत्याशी के रूप में शबीहा अंसारी के नाम का ऐलान कर दिया है। शबीहा अंसारी 2018 तक कांग्रेस में रही हैं और उसके बाद उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। 2018 से 2022 तक उन्होंने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की प्रदेश महासचिव के रूप में काम किया है। उन्होंने शिक्षाशास्त्र से एमए तक पढ़ाई की और पहाड़पुर में कोचिंग सेंटर भी चलाती हैं।
अब मायावती ने उन्हें आजमगढ़ संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतार कर बड़ा सियासी दांव खेल दिया है। बसपा की ओर से मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने से यह साफ हो गया है कि उनके निशाने पर मुख्य रूप से सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव ही हैं। भाजपा ने एक बार फिर इस लोकसभा सीट पर दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव मैदान में उतारा है।
आजमगढ़ का जातीय समीकरण
आजमगढ़ लोकसभा सीट का जातीय समीकरण ऐसा है कि यहां यादव-मुस्लिम फैक्टर काफी मजबूती से काम करता है। करीब 19 लाख मतदाताओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख से अधिक यादव मतदाता हैं। यही कारण है कि यहां पर 14 बार यादव सांसद चुने जा चुके हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी करीब तीन लाख है।
आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में दलित मतदाताओं की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि करीब तीन लाख दलित मतदाता किसी भी प्रत्याशी की हार-जीत के लिए महत्वपूर्ण साबित होते हैं। यहां राजभर मतदाताओं की संख्या करीब 80,000 है।
इस बार आजमगढ़ के लोकसभा चुनाव में भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों ने यादव प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा है जबकि बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी पर दाव खेल दिया है। ऐसे में मुस्लिम और दलित समीकरण धर्मेंद्र यादव के लिए बड़ी मुश्किल साबित हो सकता है।
बसपा की चाल से अब मुस्लिम मतों के बंटवारे का बड़ा खतरा भी पैदा हो गया है। मायावती के मुस्लिम प्रत्याशी उतारने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट का मुकाबला अब काफी रोमांचक होने की उम्मीद है।