TRENDING TAGS :
UP Loksabha Election: राजा भैया की पार्टी का सपा को समर्थन देने का ऐलान, अनुप्रिया के बयान के बाद बिगड़ी बात
UP Loksabha Election : उत्तर प्रदेश में पांच चरणों के मतदान के बाद सियासी समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं। कुंडा के विधायक और बाहुबली नेता राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल ने समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।
UP Loksabha Election : उत्तर प्रदेश में पांच चरणों के मतदान के बाद सियासी समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं। कुंडा के विधायक और बाहुबली नेता राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल ने समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। पार्टी के प्रतापगढ़ के जिला अध्यक्ष राम अचल वर्मा ने कहा कि कल सपा मुखिया अखिलेश यादव की होने वाली जनसभा में पार्टी के हजारों कार्यकर्ता हिस्सा लेंगे।
केंद्रीय मंत्री और अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल की और से राजा भैया पर की गई टिप्पणी के बाद एनडीए से राजा भैया के रिश्तों में तल्खी नजर आ रही थी। राजा भैया ने अनुप्रिया पटेल के बयान पर तीखा पलटवार किया था और अब उनकी पार्टी ने सपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ठाकुर मतदाताओं पर राजा भैया की मजबूत पकड़ मानी जाती है और ऐसे में बाकी दो चरणों के मतदान पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है। राजा भैया समर्थकों ने पहले ही मिर्जापुर संसदीय सीट पर अनुप्रिया पटेल के खिलाफ चुनाव प्रचार करने का ऐलान कर रखा है।
पहले किसी को समर्थन न देने का किया था ऐलान
इससे पहले राजा भैया ने इस बार के लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को समर्थन न देने की बात कही थी। उन्होंने 14 मई को अपने समर्थकों की बैठक बुलाई थी और इस बैठक के दौरान ऐलान किया था कि पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक किसी भी पार्टी को अपने विवेक के आधार पर समर्थन देने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि पांचवें चरण के मतदान के दौरान राजा भैया ने कौशांबी से भाजपा प्रत्याशी विनोद सोनकर के प्रति मतदाताओं में भारी नाराजगी की बात कह कर सपा की ओर अपने झुकाव का संकेत दिया था।
14 मई की बैठक के बाद एक विशेष घटनाक्रम यह भी हुआ था कि राजा भैया ने समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता इंद्रजीत सरोज के साथ अपना पुराना विवाद समाप्त कर लिया था। राजा भैया के खेमे की ओर से कहा गया था कि अब वे इंद्रजीत सरोज के खिलाफ दायर मानहानि का मुकदमा भी वापस ले लेंगे।
अनुप्रिया पटेल के बयान से बिगड़ी बात
इस बीच केंद्रीय मंत्री और अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल ने ऐसा बयान दे दिया जिससे राजा भैया और एनडीए के बीच तल्खी काफी बढ़ गई। दरअसल अनुप्रिया पटेल कौशांबी से भाजपा प्रत्याशी विनोद सोनकर का प्रचार करने के सिलसिले में पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने अपने चुनावी भाषण में राजा भैया पर इशारों में तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र में राजा या रानी किसी के पेट से पैदा नहीं होते।
अनुप्रिया पटेल का कहना था कि अब राजा ईवीएम के बटन से पैदा होता है। स्वघोषित राजाओं को लगता है कि कुंडा उनकी जागीर है मगर सच्चाई में ऐसा नहीं है। अब जनता का वोट ही किसी को ताकतवर बना सकता है और ऐसे लोगों का भ्रम तोड़ने के लिए वोटिंग बहुत बड़ा हथियार है।
राजा भैया ने किया था पलटवार
अनुप्रिया पटेल के इस बयान ने राजा भैया की नाराजगी बढ़ा दी। कौशांबी के चुनाव में मतदान के बाद राजा भैया ने अनुप्रिया पटेल के इस बयान पर तीखा पलटवार किया था। राजा भैया का कहना था कि इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि राजा या रानी अब पैदा होने बंद हो गए हैं। ईवीएम से अब राजा नहीं बल्कि जनसेवक पैदा होता है। ईवीएम से पैदा होने वाले यदि खुद को राजा मान लेंगे तो लोकतंत्र की मूल भावना ही खत्म हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान जनता ईवीएम का बटन दबाकर आपको यह मौका देती है कि आप जनता की सेवा करें। यदि आप जनता की सेवा नहीं करेंगे तो जनता आपको सबक भी सिखा सकती है। राजतंत्र तो न जाने कब का समाप्त हो चुका है मगर कुछ कुंठित लोग अभी भी उसी की चर्चा करने में जुटे हुए हैं। ऐसे लोगों से मुझे कोई शिकायत नहीं है।
अब सपा को समर्थन देगी राजा भैया की पार्टी
अब राजा भैया की पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव में सपा को समर्थन देने की बात कही गई है। सपा मुखिया अखिलेश यादव की कल होने वाली जनसभा में भी पार्टी के कार्यकर्ता हिस्सा लेंगे। वैसे सियासी जानकारों का यह भी कहना है कि कौशांबी लोकसभा सीट के चुनाव में भी राजा भैया के समर्थकों ने भीतरी तौर पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की मदद की है। वैसे अभी तक सारा सियासी खेल पर्दे के पीछे चल रहा था मगर अब सबकुछ खुलकर सामने आ गया है।
राजा भैया का यह रुख छठवें और सातवें चरण के मतदान में भाजपा और एनडीए प्रत्याशियों के लिए भारी मुसीबत पैदा करने वाला साबित हो सकता है। अनुप्रिया पटेल के बयान पर कई क्षत्रिय संगठनों ने भी सख्त नाराजगी जताते हुए मिर्जापुर के लोकसभा चुनाव में उनका विरोध करने का पहले ही ऐलान कर दिया है। क्षत्रिय संगठनों और मतदाताओं की यह नाराजगी पूर्वांचल की कई लोकसभा सीटों का समीकरण बिगाड़ने वाली साबित हो सकती है।