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चुनाव की बातें: विश्व का पहला गणतंत्र वैशाली जहां आज है जाति और बाहुबल का बोलबाला
चुनाव की बातें: लोगों का कहना है कि - विकास कोई मुद्दा नहीं है। जाति ही अकेली चीज है जो वैशाली में मायने रखती है। वीणा देवी के बारे में कहा जा रहा है कि इस बार वह एक मजबूत उम्मीदवार के खिलाफ खड़ी हैं।
Patna: लोकतंत्र का उद्गम स्थल माने जाने वाले वैशाली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में एक बाहुबली के सामने एक अन्य बाहुबली की पत्नी के बीच मुकाबला है। इस सीट पर छठे चरण में 25 मई को मतदान होगा। पहले वैशाली के बारे में बता दें – ये क्षेत्र 2,500 वर्ष पूर्व भारतीय संस्कृति का उद्गम स्थल माना जाता है। वैशाली के लिच्छवियों और सात अन्य पड़ोसी कुलों ने ‘वज्जि संघ’ का गठन किया। यह विश्व का पहला गणतंत्र था। जिसमें प्रजा ही राजाओं का चुनाव करती थी। वैशाली इस जीवंत संघ का केंद्र था जो वर्तमान बिहार के अधिकांश हिमालयी गंगा क्षेत्र को कवर करता था।
अब चुनाव की बात-
एलजेपी (रामविलास) ने जेडी (यू) एमएलसी दिनेश सिंह की पत्नी और निवर्तमान सांसद वीणा देवी को मैदान में उतारा है, जबकि राजद को पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला के बाहुबल पर उम्मीदें हैं। मुन्ना शुक्ला के भाई छोटन शुक्ला, पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह के नेतृत्व वाली बिहार पीपुल्स पार्टी के एक प्रभावशाली नेता थे।
वीणा राजपूत हैं जबकि शुक्ल भूमिहार हैं और दोनों ही राजनीतिक रूप से प्रभावशाली जातियां हैं। वीणा सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही हैं और शुक्ला विकास की कमी को चुनावी मुद्दे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। सांसद को पीएम मोदी की लोकप्रियता और केंद्र के विकास कार्यों पर भरोसा है।
इस परिदृश्य में लोगों का कहना है कि - विकास कोई मुद्दा नहीं है। जाति ही अकेली चीज है जो वैशाली में मायने रखती है। वीणा देवी के बारे में कहा जा रहा है कि इस बार वह एक मजबूत उम्मीदवार के खिलाफ खड़ी हैं। जहाँ तक मुन्ना शुक्ला की बात है तो बिहार सरकार के मंत्री बृज बिहारी हत्याकांड में बाहुबली नेता को जेल जाना पड़ा था। उसके बाद मुन्ना शुक्ला ने अपनी पत्नी अनु शुक्ला को जदयू के टिकट पर विधायक बनाया था। मुन्ना शुक्ला 2000 में वैशाली जिले के लालगंज विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक भी रह चुके हैं।
पिछला चुनाव-
वीणा ने 2019 में राजद के दिग्गज नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को हराया था। जबकि इसके पहले 2014 में, एलजेपी के एक अन्य बाहुबली राम किशोर सिंह ने रघुवंश को हराया था। रघुवंश प्रसाद की 2020 में मृत्यु हो गई। वह मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी रहे थे। उन्होंने 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में इस सीट पर जीत दर्ज की थी। आसानी से उपलब्ध होने के कारण लोग उन्हें बरहम बाबा कहते थे।
वैशाली की खासियत-
दुनिया का पहला गणतंत्र माने जाने वाले वैशाली से पूर्व में भी बाहुबलियों या उनके जीवनसाथियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। इस सीट ने कई बार महिला उम्मीदवारों को भी लोकसभा भेजा है। पूर्व सीएम सत्येन्द्र नारायण सिन्हा की पत्नी किशोरी सिन्हा ने 1980 और 1984 में और उषा सिन्हा ने 1989 में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद ने 1994 के उपचुनाव के बाद इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था।
इस बार का समीकरण इस बात पर निर्भर करता है कि मुन्ना शुक्ला भूमिहार वोटों में कितना कटौती करेंगे और क्या यादवों का एक वर्ग एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करता है या नहीं। माना जा रहा है कि अगर भूमिहार वोटों का कोई बंटवारा होता है तो राजपूत वोट एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में एकजुट हो सकते हैं।