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चुनावी किस्से: जब एक ही सीट पर चुने जाते थे दो सांसद, आखिर क्या थी वजह?
Lok Sabha Election 2024: देश में एक समय ऐसा भी था जब एक ही लोकसभा सीट से दो सांसद चुने जाते थे। इसके पीछे की वजह जान कर आप भी हैरान रह जाऐंगे।
Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। राजनीतिक दलों ने पहले चरण के चुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पहले फेज का चुनाव 19 अप्रैल को होना है। पार्टियों ने ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। साथ ही चुनाव-प्रचार में पूरी ताकत से जुटे हुए हैं। इस चुनावी गहमागहमी के बीच कम ही लोग ऐसे होंगे जिन्हें ये पता होगा कि कभी ऐसा भी कानून था एक लोकसभा सीट पर दो-दो सांसद चुने जाते थे। इस कानून को 1961 में संविधान में संशोधन करते हुए खत्म किया गया था। आइए, जानते हैं आखिर क्या वो नियम था और कैसे इसे खत्म किया गया।
इस व्यवस्था के तहत एक सीट पर दो सांसद चुने जाते थे
26 जनवरी 1950 को जब देश में संविधान लागू हुआ तो मार्च 1950 में सुकुमार सेन देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त बने थे। इसके कुछ समय बाद ही देश की संसद ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम पारित किया, जिसके तहत यह बताया गया कि देश में संसद और विधानसभाओं के लिए चुनाव कैसे होंगे?
दो सांसदों में से एक सामान्य और एक एससी या एसटी जाति से
बता दें, पहले आम चुनाव के लिए लोकसभा की कुल 489 सीटें थीं, जो कुल 401 निर्वाचन क्षेत्रों में बांटी गई थीं। जब 1951-52 के बीच पहले आम चुनाव हुए तो 489 लोकसभा सीटों में से 314 निर्वाचन क्षेत्रों में एक सांसद का चुनाव किया गया। हालांकि, करीब 86 लोकसभा सीटें ऐसी भी रहीं जहां से दो-दो सांसद चयनित किए गए। दो सांसदों में से एक सामान्य श्रेणी से और एक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से थे। 1951 में दो सांसदों के साथ सबसे ज्यादा 17 सीटें यूपी में थीं। इसी तरह मद्रास में 13, बिहार में 11, बॉम्बे में 8, एमपी और पश्चिम बंगाल में 6-6 सीटें ऐसी थीं जहां एक लोकसभा सीट पर दो-दो सांसदों का चुनाव हुआ था।
दूसरे आम चुनाव में भी एक सीट पर दो सांसदों का हुआ चुनाव
इसके बाद देश में दूसरा लोकसभा चुनाव 1957 में कराए गए। दूसरे आम चुनाव से पहले देश में राज्यों का पुनर्गठन हुआ था। 1957 में लोकसभा सीटों की कुल संख्या 494 थीं, जिन्हें 401 निर्वाचन क्षेत्रों में बांटी गई थीं। इस बार भी कुल 91 लोकसभा सीटें ऐसी रहीं जहां दो-दो सांसद चुने गए।
1961 में इस कानून को खत्म किया गया
दूसरे आम चुनाव के बाद दो सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्रों में सीटों के आरक्षण की व्यवस्था को लेकर काफी आलोचना हुई। ऐसे में सुझाव दिया गया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सभी सीटें एकल सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्रों वाली होनी चाहिए। दो-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र वाले कानून असुविधाजनक और बोझिल मानी गई और अंत में 1961 के दो-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र (उन्मूलन) अधिनियम के जरिए इस कानून को खत्म कर दिया गया। और जब 1962 में तीसरा लोकसभा चुनाव हुआ तो इसमें एकल सदस्य निर्वाचन कानून को लागू कर दिया गया। वहीं कानून आज तक देश में लागू है। अब एक निर्वाचन क्षेत्र से एक ही सांसद का चुनाव होता है। बता दें, एक सीट से दो या तीन सांसद चुने जाने का कानून समाज के वंचित वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए बनाया गया था।