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Election 2024: जब मुख्तार अंसारी ने उड़ा दी थी डॉ.जोशी की नींद, कड़े मुकाबले में BJP को इस कारण मिली थी जीत

Loksabha ke Yadgar Mukable: मुख्तार ने 2009 के चुनाव में डॉ.जोशी को कड़ी चुनौती दी थी। बसपा के टिकट उतरे मुख्तार के पक्ष में मुस्लिम, दलित कुछ अन्य जातियों की जबर्दस्त गोलबंदी हुई थी।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 11 April 2024 1:33 PM IST
Mukhtar Ansari , Dr Murali Manohar Joshi
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Mukhtar Ansari , Dr Murali Manohar Joshi (Photo: Social Media )

Lok Sabha Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव लड़ने के कारण वाराणसी लोकसभा सीट पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद पीएम मोदी इस बार इस सीट पर हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। वैसे 2014 से पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में भी यह सीट पूरे देश में चर्चा का विषय बनी थी। चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी का मुकाबला माफिया मुख्तार अंसारी से हुआ था।

उस समय जेल में बंद मुख्तार अंसारी ने 2009 के चुनाव में डॉ.जोशी को कड़ी चुनौती दी थी। बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे मुख्तार के पक्ष में मुस्लिम, दलित और कुछ अन्य जातियों की जबर्दस्त गोलबंदी हुई थी जिस भगवा खेमे में हड़कंप मच गया था। डॉ जोशी ने नजदीकी मुकाबले में 17,211 मतों से जीत हासिल की थी। उस चुनाव में सपा के टिकट पर उतरे अजय राय को भी काफी वोट हासिल हुए थे और माना गया था कि अगर अजय राय ने वोट न काटे होते तो डॉक्टर जोशी की सियासी राह मुश्किल हो गई होती।

2009 में हुई थी जोशी और मुख्तार की भिड़ंत

यदि वाराणसी संसदीय सीट के इतिहास को देखा जाए तो इस सीट पर 1991 से ही भाजपा की जीत का सिलसिला बना हुआ था। 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी राजेश मिश्रा ने भाजपा की जीत के इस सिलसिले को तोड़ दिया था। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब भाजपा को वाराणसी के लिए अपना प्रत्याशी चुनना था तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने किसी दमदार नेता को इस सीट पर उतारने का फैसला किया ताकि अपने गढ़ पर फिर से कब्जा किया जा सके। तब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने दिग्गज नेता और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मुरली मनोहर जोशी को इस सीट पर उतारने का फैसला किया।



दूसरी और बहुजन समाज पार्टी के मुखिया मायावती ने बड़ा सियासी खेल कर दिया। उन्होंने डॉक्टर जोशी के खिलाफ जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को चुनाव मैदान में उतार दिया। भाजपा का टिकट न मिलने से नाराज अजय राय ने सपा के सदस्यता ग्रहण करते हुए टिकट भी हासिल कर लिया। कांग्रेस ने 2004 के अपने विजयी सांसद राजेश मिश्रा के चुनाव मैदान में उतार दिया। डॉ जोशी के अलावा तीन अन्य प्रमुख दलों की ओर से मजबूत प्रत्याशी उतारे जाने के कारण वाराणसी सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबले की स्थिति बन गई थी

जेल में बंद मुख्तार ने मजबूती से लड़ा चुनाव

2009 के उसे मुकाबले में डॉ.जोशी के खिलाफ बसपा,सपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के ऐलान के बाद भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई थीं। बसपा प्रत्याशी मुख्तार अंसारी के पक्ष में मुस्लिम और दलित मतदाताओं की जबर्दस्त गोलबंदी हो गई थी जबकि सवर्ण मतदाताओं में राजेश मिश्रा और अजय राय सेंध लगाने की कोशिश में जुटे हुए थे। बसपा प्रत्याशी बनने के पहले से ही मुख्तार अंसारी जेल में बंद था मगर उसने अपने खास लोगों को वाराणसी में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंप रखी थी।

मुख्तार के चुनाव मैदान में उतर जाने के कारण मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव स्वाभाविक रूप से मुख्तार के पक्ष में दिखने लगा था। बसपा के टिकट पर उतरने के कारण दलित बस्तियों में भी मुख्तार की मजबूत पैठ बन गई। इसी का नतीजा था कि शुरुआत में यह मुकाबला चतुष्कोणीय माना जा रहा था मगर मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही मुकाबला भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर जोशी और बसपा प्रत्याशी मुख्तार अंसारी के बीच सिमट गया।


इस चर्चा से भगवा खेमे में मच गया था हड़कंप

2009 के इस हाई प्रोफाइल मुकाबले में दोपहर तक सामान्य रूप से मतदान हो रहा था मगर मुस्लिम इलाकों में हो रहे तेज मतदान ने भगवा खेलने की चिंता बढ़ा दी। दोपहर दो बजे के बाद शहर के कई इलाकों में यह चर्चा फैल गई कि भाई यानी मुख्तार अंसारी इस चुनाव में जीत हासिल करने जा रहा है। इस चर्चा को सुनने के बाद भगवा खेमे के चुनाव प्रबंधकों में हड़कंप मच गया और पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया गया।

भाजपा के चुनाव प्रबंधकों की ओर से तमाम पार्टी कार्यकर्ताओं को भाजपा के प्रति सहानुभूति रखने वाले मतदाताओं के घरों पर भेजा गया ताकि लोग मतदान करने के लिए बाहर निकलें।

भीषण गर्मी होने के कारण भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद काफी कम मतदान दर्ज किया गया। 2009 के चुनाव में मात्र 42.61 फ़ीसदी मतदान हुआ था। इतना कम मतदान होने के कारण भाजपा की चिंता काफी बढ़ गई थी क्योंकि मुस्लिम बहुल इलाकों में काफी मतदान होने की खबर मिली थी।


शुरुआत में पिछड़ने के बाद जीत गए जोशी

मतगणना के दिन तक भाजपा और बसपा खेमे में कोई इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं था कि किसे जीत हासिल होगी। मतगणना शुरू होने के बाद जब शुरुआत में ही मुख्तार अंसारी ने जोशी पर बढ़त बढ़ा ली तो भाजपाइयों के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगीं। हालांकि आगे के चक्रों में डॉक्टर जोशी ने न केवल मुख्तार की बढ़त को खत्म किया बल्कि मुख्तार से आगे भी निकल गए। आखिरी चक्र की गणना के बाद डॉक्टर जोशी मुख्तार अंसारी के खिलाफ यह मुकाबला 17,211 मतों से जीतने में कामयाब रहे।

मतगणना के बाद घोषित किए गए नतीजे के मुताबिक सपा प्रत्याशी अजय राय भी करीब सवा लाख वोट हासिल करने में कामयाब रहे थे। चारों प्रत्याशियों को मिले वोटो का ब्योरा इस प्रकार था-

  • बीजेपी प्रत्याशी डा.मुरली मनोहर जोशी-2,03122
  • बीएसपी प्रत्याशी मुख्तार अंसारी-1,85,911
  • सपा प्रत्याशी अजय राय-1,23,874
  • कांग्रेस प्रत्याशी डा.राजेश मिश्रा-66,386

अजय राय बने थे मुख्तार की हार का कारण

बाद में चुनाव नतीजे का विश्लेषण करने पर सियासी जानकारों का मानना था कि सपा प्रत्याशी अजय राय के मजबूती से चुनाव लड़ जाने के कारण डॉक्टर जोशी को इस चुनाव में जीत हासिल हुई थी। इस चुनाव में मतदान के दौरान हिंदू और मुस्लिम वोटो का जमकर ध्रुवीकरण हुआ था मगर अजय राय के सपा प्रत्याशी होने के कारण वे भी मुस्लिम मतों में सेंधमारी करने में कामयाब हुए थे। मुस्लिम वोटों पर वैसे भी सपा की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है।

मुस्लिम मतों के साथ ही अजय राय यादव, भूमिहार और कुछ अन्य बिरादरियों के वोट हासिल करने में भी कामयाब हुए थे। व्यक्तिगत तौर पर भी वाराणसी में अजय राय की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। यदि सपा की ओर से अजय राय की उम्मीदवारी नहीं होती तो इस चुनाव में मुख्तार अंसारी को डॉक्टर जोशी को पटखनी देने में कामयाबी मिल सकती थी। हालांकि यह भी सच्चाई है कि कांग्रेस के टिकट पर राजेश मिश्रा के चुनाव लड़ने के कारण डॉक्टर जोशी को सवर्ण मतों का नुकसान भी उठाना पड़ा था।


2014 और 2019 में पीएम मोदी की बड़ी जीत

वाराणसी में आज भी इस चुनाव को काफी याद किया जाता है। हालांकि इसके बाद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी के रण क्षेत्र में उतार दिया। नरेंद्र मोदी ने 2014 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अजय राय को काफी भारी मतों से हराया था और इसके बाद 2019 में भी उन्होंने इस संसदीय सीट पर बड़ी जीत हासिल की थी।


अब 2024 की सियासी जंग में भी पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर अजय राय चुनौती देने के लिए उतरे हैं। सपा-कांग्रेस का गठबंधन होने के कारण सपा ने यहां पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है मगर फिर भी प्रधानमंत्री मोदी को काफी मजबूत स्थिति में माना जा रहा है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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