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Buddh Purnima: अम्बेडकरवादियों के लिए आशा और एकजुटता का दिन
Buddh Purnima:भारत का अम्बेडकरवादी समुदाय अम्बेडकर और बुद्ध की शिक्षाओं के प्रसार की आशा के साथ बड़े उत्साह के साथ बुद्ध जयंती या वेसाक दिवस मनाते है।
Buddh Purnima: बुद्ध पूर्णिमा बौद्धों के लिए एक शुभ दिन है और साथ ही, बुद्ध की शिक्षाओं का जीवन में बहुत महत्व है। इस दिन, तीन महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं: बुद्ध का जन्म, ज्ञान और मृत्यु। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है, जिसकी स्थापना भगवान बुद्ध ने की थी, जिनका मूल नाम सिद्धार्थ था और उनका जन्म लुंबिनी में हुआ था। बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करने के बाद, उन्होंने 35 वर्ष की आयु में बुद्ध की उपाधि प्राप्त की। जब बुद्ध का निधन हुआ, तो उनके अनुयायियों ने उनकी शिक्षाओं और विश्वासों को बढ़ावा दिया जिससे बौद्ध धर्म की स्थापना हुई।
बीबीएयू में मनाई गई बुद्ध पूर्णिमा बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के छात्रों द्वारा बुद्ध पूर्णिमा के त्योहार को धूमधाम से मनाया गया। समारोह की शुरुआत पारम्परिक दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसके बाद विभाग के छात्रों और विद्वानों द्वारा पाली में प्रार्थना के बीच बुद्ध को पुष्पांजलि अर्पित की गई। विभाग की छात्राओं ने बुद्धं शरणम गच्छामि त्रिशरण और पंचशील का पाठ कर बौद्ध भिक्षुओं के स्वागत में एक कथक नृत्य भी पेश करा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि
बुद्ध पूर्णिमा के कार्यक्रम में आए तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं, जो विश्वविधयालय के छात्र है, ने बुद्धं शरणम गच्छामि गीत गाकर सभा को सम्बोधित करा। सभी भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध के उपदेश को सबके समक्ष पेश करा “धर्म (कर्तव्य), अहिंसा, सद्भाव और दया का उपदेश दिया। 30 वर्ष की आयु में, उन्होंने सत्य की खोज में जीवन जीने के लिए और खुद को पीड़ा से मुक्त करने की आशा में तपस्या करने के लिए अपनी सांसारिक संपत्ति और राजघराने को छोड़ दिया।”
बौद्ध भिक्षुओं द्वारा विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसोर का स्वागत
बुद्ध पूर्णिमा के कार्यक्रम के सफल आयोजन पर सभी उपस्थित बौद्ध भिक्षुओं ने अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का अंग वस्त्र से स्वागत किया। विश्वविद्यालय के कुलपति संजय कुमार सिंह ने सभी को बुद्ध पूर्णिमा की बधाई देते हुए कहा “इस दिन को भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और मृत्यु के रूप में एक ही दिन मनाया जाता है। इस दिन को कई देशों में मनाया जाता है लेकिन अलग-अलग तरीके से। इस विशेष दिन पर सभी बौद्ध भिक्षु भिक्षा देने के साथ-साथ पूजा के लिए मंदिरों में इकट्ठा होते हैं, इसके अलावा बौद्ध अनुयायी जो बुद्ध की शिक्षाओं को उनकी जीवन कथाओं के साथ सुनने के लिए अपना पूरा दिन मंदिरों में बिता सकते हैं। इस दिन साधु-संतों को भी घर पर रहकर उपदेश देने के लिए आमंत्रित किया जाता है। सभी को अपने जीवन में भगवान बुद्ध के उपदेश अपनाने चाहिए और अपना जीवन शांतिपूर्ण तरीके से व्यतीत करना चाहिए।”
सभी ने बौद्ध भिक्षुओं के साथ किया ध्यान
बौद्ध भिक्षुओं और उपस्थित सभी प्रोफेसर एवं छात्रों ने मिलकर भगवान बुद्ध की शरण में 5 मिनट का ध्यान कर उन्हें याद करा और उनके उपदेशों को जीवन पर्यंत पालन करने का प्रण लिया। सभी छात्रों ने भगवान बुद्ध को पुष्पांजलि अर्पित कर सुखी जीवन की कामना करी।
कार्यक्रम के अंत में हुआ प्रसाद वितरण
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद वितरण में खीर अर्पित करी गयी।