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सनातन व जैन धर्म के बीच सेतु की भूमिका निभाते थे आचार्य ऋषभचंद्र सूरी महाराज: हरिगिरि महाराज
आचार्य ऋषभ चंद्र सुरेश्वर के महाप्रयाण से सनातन धर्मावलंबियों को भी गहरा आघात पहुंचा है।
जूनागढ़: मध्य प्रदेश के सुप्रसिद्ध श्री मोहनखेड़ा जैन तीर्थ विकास प्रेरक एवं ज्योतिष सम्राट जीव दया प्रेमी आचार्य ऋषभ चंद्र सुरेश्वर के महाप्रयाण से सनातन धर्मावलंबियों को भी गहरा आघात पहुंचा है। सनातन परंपरा के संतों से भी उनका अटूट लगाव रहा। कोरोना उपचार के चलते उनका यू दैहिक शरीर त्याग कर देना हर किसी को व्यथित कर रहा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री एवं जूनागढ़ के भावनाथ महादेव मंदिर के महंत हरिगिरि महाराज ने उनके महाप्रयाण पर आत्मिक श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि सनातन एवं जैन धर्म के बीच सेतु की भूमिका कई बार उन्होंने निभाई है।
वह हाल ही में जूनागढ़ गिरनार की यात्रा कर पुनः मोहनखेड़ा लौटे थे। ऐसे में उनकी आत्म शांति के लिए भावनाथ महादेव में अभिषेक किया गया। साथ ही गिरनार पर्वत पर विराजे प्रभु नेमिनाथ भगवान से उनके मोक्ष प्राप्ति की प्रार्थना की गयी। आचार्य ऋषभ चंद्र सूरी के देहावसान पर महंत हरिगिरी ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए उनके भक्तों व अनुयायियों को संबल देने की प्रार्थना ईश्वर से की।
उन्होंने कहा, मैं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा परिवार, श्री भावनाथ महादेव मंदिर जूनागढ़ एवं सनातनी साधू सन्यासियों की ओर से दिवंगत आचार्य को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके मोक्ष प्राप्ति की कामना बाबा महाकाल एवं तीर्थंकर प्रभु नेमिनाथ से करता हूं।