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CM Yogi Ujjain Visit: सीएम योगी महाकाल पहुंचे, भर्तृहरि गुफा भी जाएंगे, जानें क्या है इसका गुरू गोरखनाथ से कनेक्शन
CM Yogi Ujjain Visit: यूपी सीएम हेलीकॉप्टर से उज्जैन पहुंचे और फिर श्री महाकालेश्वर मंदिर जाकर भगवान महाकाल का पूजन किया। बतौर सीएम उनका यह पहला उज्जैन दौरा हो रहा है।
CM Yogi Ujjain Visit: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज यानी बुधवार 13 सितंबर को पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं। सीएम योगी सबसे पहले महाकाल नगरी उज्जैन पहुंचे और बाबा के दर्शन किया। बतौर सीएम उनका यह पहला उज्जैन दौरा रहा है। इससे पहले साल 2016 में जब वे मुख्यमंत्री नहीं थे, तब सिंहस्थ के दौरान यहां आए थे।
बाबा महाकाल के दर्शन के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ उज्जैन स्थित प्रसिद्ध भर्तृहरि गुफा भी जाएंगे। इस गुफा का नाथ संप्रदाय के अनुयायियों में बड़ा स्थान है। अखिल भारतीय भेष बारह पंथ नाथ संप्रदाय के अध्यक्ष होने के नाते मुख्यमंत्री यहां पहुंच रहे हैं। यहां पर परंपरा के मुताबिक, 101 बटुकों के मंत्रोच्चार के बीच रूद्राक्ष एवं मोतियों की मालाओं से उनका स्वागत किया जाएगा। उन्हें पीतल का त्रिशूल भी भेंट किया जाएगा। सीएम योगी यहां गुरू गोरखनाथ, राजा भर्तृहरि और गोपीचंद महाराज की तपस्या स्थली के दर्शन करेंगे।
कौन थे भर्तृहरि
राजा भर्तृहरि उत्तर पौराणिक काल में उज्जैनी के प्रतापी शासक हुआ करते थे। बताया जाता है कि उनकी कई रानियां थीं लेकिन वे सबसे अधिक प्रेम अपने सबसे छोटी रानी पिंगला से करते थे। मगर पिंगला के दिल में कोई और ही बसता था, वो तो महज दिखावे के लिए राजा भर्तृहरि से प्रेम करती थी। बताय जाता है कि जब राजा को इसका पता चला तो वे टूट गए और उन्होंने राजपाट को त्याग दिया। सांसारिक मोह-माया को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने अध्यात्म की राह पकड़ ली।
भर्तृहरि का गुरू गोरखनाथ से कनेक्शन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूं ही भर्तृहरि गुफा दर्शन के लिए नहीं आ रहे, दरअसल गोरखपुर स्थित जिस गोरक्ष पीठ के वे महंत हैं, उसके संस्थापक गुरू गोरखनाथ का इस स्थान और राजा भर्तृहरि से गहरा संबंध है। बताया जाता है कि एकबार गुरू गोरखनाथ उज्जैन के भ्रमण पर थे, तब उन्हें राजा भर्तृहरि ने आदरपूर्वक अपने दरबार में बुलाया था। उनका जमकर आदर-सत्कार किया गया था, जिससे प्रसन्न होकर गुरू गोरखनाथ ने राजा भर्तृहरि को एक फल दिया।
राजा को फल देते हुए गुरू गोरखनाथ ने कहा कि इस फल के सेवन से आप हमेशा जवान रहेंगे। राजा भर्तृहरि अपनी छोटी रानी पिंगला पर मोहित थे और चाहते थे कि उनकी जवानी हमेशा बरकरार रहे। इसलिए उन्होंने यह फल रानी को दे दिया। वहीं, रानी के दिल में तो कोतवाल बसता था, इसलिए उन्होंने यह फल उसे दे दिया। लेकिन कोतवाल भी रानी को नहीं बल्कि एक वैश्या से प्रेम करता था, इसलिए उसने यह फल उसे दे दिया। बताया जाता है कि वैश्य शुरू में यह फल पाकर बेहद खुश हुई। मगर जल्द उसे एहसास हुआ कि अगर वो हमेशा जवान बनी रही तो उसे इस घृणित पेशे में बने रहना होगा।
फल वापस पहुंचा राजा के पास
अपने प्रेमी कोतवाल से यह फल पानी वाली वैश्या ने इसे राजा भर्तृहरि को सौंपने की ठानी। उसका मानना था कि अगर राजा इसका सेवन करेंगे तो वे जवान बनें रहेंगे और राजपाट का काम बेहतर तरीके से कर सकेंगे। इसलिए उसने यह फल राजा भर्तृहरि को दे दिया। भर्तृहरि फल को देखते ही पहचान गए और उन्होंने फौरन वैश्या से पूछ लिया कि उसे यह कहां से मिला। फिर वैश्या के कहने पर उसके प्रेमी कोतवाल को दरबार में बुलाया गया, उससे जब पूछा गया तो उसने राजा की सबसे प्यारी रानी पिंगला का नाम बताया।
पिंगला की बेवफाई से टूटा राजा का दिल
बताया जाता है कि राजा भर्तृहरि को जब अपनी सबसे प्यारी रानी की बेवफाई के बारे में पता तो वे टूट गए। उनका मन राजपाट और सांसारिक मोह-पाया से अचानक उचट गया। उन्होंने तत्काल अपनी गद्दी अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को सौंप दी, जो आगे चलकर उज्जैनी के प्रतापी शासक बने। वहीं, राजा भर्तृहरि ने अध्यात्म का रास्ता पकड़ते हुए उज्जैन के इसी गुफा में आकर 12 सालों तक तपस्या की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को इसी गुफा में आज राजा भर्तृहरि और मठ के संस्थापक गुरू गोरखनाथ के दर्शन करने पहुंच रहे हैं।