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Diwali 2022: देश में सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनाई गई दिवाली, बाबा का पंचामृत से किया गया अभिषेक

उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदि में परंपरा के अनुसार सबसे पहले दिवाली मनाई गई। सोमवार सुबह भस्मारती में बाबा महाकाल का पंचामृत से अभिषेक किया गया

Krishna Chaudhary
Published on: 24 Oct 2022 8:18 AM GMT
Mahakaleshwar Temple
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महाकालेश्वर मंदिर में मनाई गई दिवाली। (Social Media)

Diwali 2022: हर साल की तरह इस वर्ष भी देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में परंपरा के अनुसार सबसे पहले दिवाली मनाई गई। सोमवार सुबह भस्मारती में बाबा महाकाल (Baba Mahakal) का पंचामृत से अभिषेक किया गया और फिर चंदन का उबट लगाया गया। रूप चौदस और दिवाली एक ही दिन होने के कारण राजा और प्रजा एक ही दिन दिवाली मना रहे हैं। सुबह भस्मआरती के दौरान पुजारियों ने बाबा महाकाल की फुलझड़ियों से आरती की।

खूबसूरत रंग-बिरंगे फूलों से सजाया बाबा महाकाल के आंगन

दिवाली को लेकर बाबा महाकाल के आंगन को खूबसूरत रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है। पुरानी मान्यता और परंपरा के अनुसार, सभी त्यौहार सबसे पहल महाकाल के आंगन में मनाए जाते हैं। यह कारण है कि दिवाली का पर्व भी सर्वप्रथम महाकाल के आंगन में मनाया गया। भस्मआरती से पहले बाबा का चमेली का तेल लगाकर श्रृंगार किया गया। फिर भस्मआरती में बाबा का विशेष पंचामृत से अभिषेक पूजन किया गया।

इसके बाद गर्भ गृह में शिवलिंग के पास पंडित पुजारी ने फुलझड़ियां जलाकर भगवान शिव के साथ दीपावली मनाया। इस मौके पर पुजारी एवं पुरोहित परिवार की महिलाओं ने विशेष दिव्य आरती की और बाबा को 56 भोग अर्पित कर उनका आर्शीवाद लिया। बता दें कि महाकाल मंदिर में पांच दिनों तक दिवाली का कार्यक्रम चलता है।

इस तरह तैयार किया जाता है 56 भोग

परंपरा के मुताबिक, बाबा को चढ़ने वाला 56 भोग पुजारियों को नगर से मिले अन्न से तैयार किया जाता है। यानी उज्जैन के लोग पुजारियों को 56 भोग के लिए अन्न दान करते हैं और फिर उसी अन्न को बाबा महाकाल को चढ़ाया जाता है। यह दशकों पुरानी परंपरा है। बता दें कि ऐसी मान्यता है कि बाबा महाकाल अवंतिका के राजा हैं, इसलिए त्यौहार की शुरूआत राजा के आंगन से होती है। इसके बाद प्रजा उत्सव मनाती है। ये परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है।

Deepak Kumar

Deepak Kumar

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