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MP News: देवतालाब के ऐतिहासिक शिव मंदिर को भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में बनाया था

MP News: मध्यप्रदेश के विन्ध्य क्षेत्र रीवा जिले में देवतालाब में प्राचीनतम शिव मंदिर का अपना विशेष महत्व है। जनश्रुति है कि यह मंदिर मात्र एक रात में बनाकर तैयार हुआ था।

Amar Mishra (Rewa)
Published on: 10 Oct 2022 10:46 AM IST
MP News: देवतालाब के ऐतिहासिक शिव मंदिर को भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में बनाया था
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MP Rewa News: मध्यप्रदेश के विन्ध्य क्षेत्र रीवा जिले में देवतालाब में प्राचीनतम शिव मंदिर ( Shiva temple) का अपना विशेष महत्व है। जनश्रुति है कि यह मंदिर मात्र एक रात में बनाकर तैयार हुआ था। कृषि मर्कण्डु की संतान महर्षि मार्कण्डेय जन्म से ही परम शिव भक्त थे। उन्होंने भारत भर में कई स्थानों में भगवान शिव के स्वरूप को स्थापित किया। इन्हीं में से एक है देवतालाब का शिवालय। पूर्वी मध्यप्रदेश में एक मान्यता है कि चारधाम की यात्रा तभी सफल मानी जाती है जब गंगोत्री का जल रामेश्वरम शिव लिंग (Rameshwaram Shiva Linga) के साथ देवतालाब स्थित शिव लिंग में अर्पित किया जाय। इसी कारण तीर्थ यात्री गंगोत्री गंगाजल लेकर देवतालाब आते हैं।

इस क्षेत्र में कई पवित्र जल कुंडों के कारण इसका नाम देवतालाब हुआ। महर्षि मार्कण्डेय भारत वर्ष में सनातन और शिव शक्ति के प्रचार के लिये भ्रमण करते थे। इसी यात्रा के मध्य उनका आगमन विन्ध्य के रेवा क्षेत्र में हुआ जो वर्तमान में रीवा के नाम से जाना जाता है। देवतालाब नामक स्थान पर जब महर्षि ने विश्राम के लिये डेरा जमाया तो उनके मन में शिव के दर्शन की अभिलाषा जागृत हुई। शिव भक्त महर्षि ने अपने आराध्य से विनम की कि चाहे जिस रूप में हों उन्हें दर्शन दें तब तक वे यहीं तप करेंगे। महर्षि मार्कण्डेय के कई दिनों के तप के बाद भगवान आशुतोष ने विश्वकर्मा जी को इस स्थान पर शिव मंदिर के निर्माण का आदेश दिया।


विशाल काय पत्थर से एक ही रात में हुआ शिव मंदिर का निर्माण

भगवान विश्वकर्मा ने एक विशाल काय पत्थर से एक ही रात में इस स्थान पर शिव मंदिर का निर्माण किया। तपस्या में लीन महर्षि को इस घटना का किंचित मात्र भी आभाष नहीं हुआ। मंदिर निर्माण के उपरांत भगवान आशुतोष की प्रेरणा से महर्षि का तप समाप्त हुआ।

शिवालय को देखकर महर्षि की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने कुंड में स्नान कर भगवान शिव का अभिषेक किया और आराधना की। तभी से यह मंदिर संपूर्ण विन्ध्य क्षेत्र में आस्था का केन्द्र है। मान्यता है कि एक रात में बने इस मंदिर को जब सुबह लोगों ने देखा तो उन्हें आश्चर्य हुआ। मंदिर के साथ ही आलौकिक शिवलिंग की भी उत्पत्ति हुई थी। यह शिवलिंग रहस्ययी है और दिन में चार बार इसका रंग परिवर्तित होता है।


मंदिर चमत्कारिक मणि मौजूद है

मंदिर के विषय में एक जलश्रुति यह भी है कि मुख्य मंदिर के नीचे एक और मंदिर है जहां चमत्कारिक मणि मौजूद है। कई दिनों तक मंदिर के नीचे से सांप निकलते रहे। श्रद्धालुओं की समस्या के कारण अंतत: जमीन के नीचे स्थित मंदिर के दरवाजे हमेशा के लिये बंद कर दिये गये।

देवतालाब के ऐतिहासिक शिव मंदिर में श्रावण माह में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। दूर-दूर से आकर लाखों लोग मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं। सामान्य तौर पर भी मंदिर में भक्तों की भीड़ रहती है।

Shashi kant gautam

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