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सिंधिया ने भुलाई 23 साल की सियासी दुश्मनी, घर पहुंचकर पवैया को गले लगाया

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को किसी जमाने में अपने धुर विरोधी रहे जयभान सिंह पवैया के घर पहुंचकर हर किसी को चौंका दिया।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 12 Jun 2021 12:31 PM IST
Jyotiraditya Scindia surprised everyone on Friday by reaching the house of his once staunch rival Jaibhan Singh Pawaiya.
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ज्योतिरादित्य सिंधिया-जयभान सिंह पवैया(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को किसी जमाने में अपने धुर विरोधी रहे जयभान सिंह पवैया के घर पहुंचकर हर किसी को चौंका दिया। सिंधिया ने 23 साल की सियासी दुश्मनी को भुलाते हुए पवैया को गले लगाया।

सिंधिया के कांग्रेस में रहने के दौरान दोनों नेता एक-दूसरे की घेराबंदी करते रहे मगर शुक्रवार को दोनों नेताओं ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के विकास के लिए मिलकर काम करने का ऐलान किया। दोनों नेताओं में इसे पारिवारिक मुलाकात बताया है। सियासी जानकारों का कहना है कि दोनों नेताओं के इस मिलन का ग्वालियर-चंबल इलाके की राजनीति पर भी गहरा असर पड़ेगा।

नया रिश्ता शुरू करने की कोशिश

पवैया से मुलाकात के बाद ज्योतिरादित्य ने कहा कि हम दोनों ने एक नया रिश्ता शुरू करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि अतीत को भूल जाना चाहिए और हम और पवैया जी अब वर्तमान और भविष्य के लिए काम करने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि मुझे सौभाग्य से पवैया जी का प्रेम और स्नेह मिला है। उनका राजनीति के क्षेत्र में काफी लंबा अनुभव रहा है और आने वाले दिनों में मुझे भी इसका पूरा लाभ मिलेगा।

उन्होंने पवैया के पिता के निधन पर भी दुख जताया। सिंधिया ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान हमारे परिजन भी संक्रमण का शिकार हुए और हम दोनों ने इस मुद्दे पर भी बातचीत की। उन्होंने विश्वास जताया कि पवैया के साथ मिलकर वे ग्वालियर का और विकास करने में कामयाब होंगे।


मुलाकात का सियासी मतलब न निकालें

दूसरी और पवैया ने भी सिंधिया के घर आने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण मेरा पूरा परिवार संकट में था और पिता का इस महामारी के कारण ही देहांत हो गया। दुख की घड़ी में दलों की सीमाएं नहीं होतीं और सिंधिया ने हमारे घर आकर हमारा दुख बांटने की कोशिश की है।

पवैया ने कहा कि इस मुलाकात का कोई और मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। शोक संवेदना के मौके को राजनीतिक मुलाकात के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिंधिया के साथ मेरी पारिवारिक मुद्दों पर ही बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि सिंधिया के परिजन भी कोरोना से संक्रमित रहे हैं और हमने एक-दूसरे का दुख दर्द बांटने का प्रयास किया है।

ज्योतिरादित्य के पिता को पवैया ने दी थी चुनौती

दरअसल मध्य प्रदेश की सियासत में पवैया ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधव राज सिंधिया को भी तगड़ी चुनौती दी थी। 1998 के मध्यावधि लोकसभा चुनावों में माधवराव सिंधिया कांग्रेस के टिकट पर ग्वालियर से चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे थे।

भाजपा की ओर से बजरंग दल के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया को चुनाव मैदान में उतारा गया था। चुनाव प्रचार के दौरान पवैया ने सामंतवाद के मुद्दे पर सिंधिया परिवार को जमकर घेरा था।

पवैया के आक्रामक चुनावी प्रचार से माधवराव सिंधिया मामूली बढ़त के साथ ही चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी को दो लाख वोटों से हराने वाले माधवराव सिंधिया उस चुनाव में सिर्फ 28,000 वोटों से जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे। चुनाव नतीजे से माधवराव सिंधिया को भी करारा झटका लगा था और फिर उन्होंने ग्वालियर से चुनाव न लड़ने की कसम खा ली थी।

ज्योतिरादित्य के खिलाफ भी ठोकी थी ताल

1999 के लोकसभा चुनाव में माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर सीट छोड़कर गुना सीट से किस्मत आजमाई थी और जीत हासिल की थी। माधवराव के ग्वालियर सीट छोड़ने के बाद पवैया ने यह सीट जीतकर भाजपा का झंडा बुलंद किया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गुना लोकसभा सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुकाबले पवैया को चुनाव मैदान में उतारा था।

गुना के चुनावी मुकाबले में भी पवैया ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तीखे हमले बोले थे। पहले गुना की सीट पर चार लाख वोटों से जीत हासिल करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया पवैया से एक लाख बीस हजार वोटों से जीतने में कामयाब हुए थे।

पवैया के घर पहुंचकर चौंकाया

इस तरह ज्योतिरादित्य की पिता के जमाने से ही पवैया से सियासी दुश्मनी चल रही है मगर शुक्रवार को उन्होंने पवैया से गले मिलकर हर किसी को चौंका दिया।

सियासी हलकों में पवैया और ज्योतिरादित्य की इस मुलाकात की खूब चर्चाएं रहीं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मिलन का सियासी असर भी दिखेगा।

Vidushi Mishra

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