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MP News: मंत्री ने माता सीता को बताया तलाकशुदा, धरती में समाने को कहा आत्महत्या, भड़की एनएसयूआई, FIR की मांग
MP News: मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने माता सीता के विषय में अभद्र और अमर्यादित टिप्पणी की है। इस टिप्पणी से हम सबकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और ठेस पहुंची है।
MP News: मध्य प्रदेश में उच्चशिक्षा मंत्री के बिगड़े बोल पर सियासत गरमा गई है। एमपी के रीवा में NSUI के पदाधिकारियों ने एसपी से शिकायत करते हुए मांग की है कि हमारी आस्था की केंद्र माता सीता पर अमर्यादित अभद्र टिप्पणी कर धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले उच्च शिक्षा मंत्री और उज्जैन दक्षिण विधानसभा से विधायक मोहन यादव पर एफआईआर दर्ज की जाए।
भगवान श्री राम और माता सीता हमारी हिंदू आस्था के केंद्र बिंदु है। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में मध्य प्रदेश शासन के मंत्री और उज्जैन दक्षिण विधानसभा से विधायक मोहन यादव ने हमारे हिंदू धर्म में पूज्य माता सीता के विषय में अभद्र और अमर्यादित टिप्पणी की है, इस टिप्पणी से हम सबकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और ठेस पहुंची है।
माता सीता के धरती में समाने को आत्महत्त्या करार दिया
मोहन यादव ने माता सीता के धरती पर समाधि लेने वाले घटनाक्रम को अपराध बताते हुए आत्महत्त्या करार दिया है और हमारी पूज्यनीय माता सीता को तलाकशुदा भी बताया है जो कि निंदनीय है और अशोभनीय है। आपको बता दें कि एमपी के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव के बयान पर विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
माता सीता के जीवन को तलाक शुदा महिलाओं जैसा बताया: मोहन यादव
मोहन यादव ने उज्जैन के एक कार्यक्रम में माता सीता के जीवन को तलाक शुदा महिलाओं जैसा बताया था। कांग्रेस ने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को प्रतिक्रिया देनी चाहिए। बयान पर बवाल शुरू होने के बाद उन्होंने सफाई दी कि उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया गया, लेकिन कांग्रेस इससे संतुष्ट नहीं है। कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि मोहन यादव के बयान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जवाब देना चाहिए।
पूज्य माता सीता पर अभद्र टिप्पणी से सर्व समाज में बढ़ा आक्रोश
हमारी पूज्यनीय माता सीता को तलाकशुदा भी बताया है जो कि निंदनीय है और अशोभनीय है। हमारी पूज्य माता सीता के बारे में ऐसी अनर्गल और अभद्र टिप्पणी से सर्व समाज में काफी आक्रोश भी बढ़ा है। दोषी मोहन यादव पर आईपीसी की धारा 295 (ए) और अन्य जरूरी धाराओं के साथ एफआईआर दर्ज कर न्यायसंगत कारवाई करवाने का कष्ट करें, अन्यथा हम आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।