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Omkareshwar Jyotirlinga: श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: केवल शिव ही नहीं, कई और दैवीय दर्शन के संयोग

Omkareshwar Jyotirlinga: भारत के मध्यप्रदेश में इंदौर शहर के पास खंडवा जिले में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है ।

Sarojini Sriharsha
Published on: 13 Feb 2023 7:21 AM IST
Madhya Pradesh Indore Khandwa District Omkareshwar Jyotirlinga
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श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: केवल शिव ही नहीं, कई और दैवीय दर्शन के संयोग: Photo- Social Media

Omkareshwar Jyotirlinga: भारत के मध्यप्रदेश में इंदौर शहर के पास खंडवा जिले में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है । यहां पर नर्मदा नदी स्वयं ॐ के आकार में बहती है और उसके उत्तरी तट पर ओंकार पर्वत पर एक द्वीप के रूप में ओमकारेश्वर तीर्थस्थल है। द्वीप के चारों ओर परिक्रमा करने को बहुत धार्मिक माना जाता है।

नर्मदा और कावेरी नदियों के संगम पर ओम रूप जैसे आकृति के कारण ओंकारेश्वर का नाम दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि जब भक्त सभी तीर्थों का जल लाकर ओमकारेश्वर को अर्पित करते हैं, तभी उनके सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं। वहीं नर्मदा जी के दक्षिणी तट पर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है।मंदिर के आधार तल पर स्थापित ज्योतिर्लिंग पानी में डूबा रहता है। ऐसा कहा जाता है कि तीनों लोकों का भ्रमण करने के बाद महादेव यहां विश्राम करने आते हैं। यहां प्रतिदिन रात साढ़े आठ बजे भगवान शिव की विशेष शयन आरती और दर्शन होते हैं। शिव लिंग के पास ही माता पार्वती की मूर्ति हैं और हर दिन शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के सामने चौसर-पांसे की बिसात सजाई जाती है। ऐसा मानना है कि भोलेनाथ माता पार्वती के साथ चौसर खेलते हैं।

ओमकारेश्वर मंदिर एक पांच मंजिला इमारत है

यह मंदिर सुबह 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। ओमकारेश्वर मंदिर परिसर एक पांच मंजिला इमारत है। जिसके प्रथम तल पर भगवान महाकालेश्वर, तीसरे पर सिद्धनाथ महादेव , चौथे तल पर गुप्तेश्वर महादेव ,और पांचवे तल पर राजेश्वर महादेव का मंदिर है। इस मंदिर परिसर के सभा मंडप में 15 फीट ऊंचे 60 बड़े स्तंभ हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दो रुपों ओंकारेश्वर और ममलेश्वर में विभक्त है। शिवपुराण में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को परमेश्वर लिंग भी कहा गया है। भक्तों का मानना है कि भगवान शिव की पूजा से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, इसलिए इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना भाग्य माना जाता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के अलावा यहां अन्य कई दर्शनीय स्थल भी हैं। जिनमें प्रमुख हैं:-

केदारेश्वर मंदिर :

11 वीं शताब्दी में निर्मित, केदारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपनी जटिल वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यह मंदिर ओंकारेश्वर मंदिर से 4 किमी की दूरी पर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है।

केदारेश्वर मंदिर: Photo- Social Media

सिद्धनाथ मंदिर :

13 वीं शताब्दी का यह मंदिर वास्तु और स्थापत्य कला के सौंदर्य रूप में माना जाता है। इस संरक्षित मंदिर पर महमूद गजनी ने हमला किया था । यह मंदिर शक्ति का प्रतीक है। मंदिर सुबह 6:00 बजे से 8:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रखता है।

श्री गोविंदा भगवतपद गुफा:

इस धार्मिक गुफा में एक शिव लिंग है। ऐसा मानना है कि इस गुफा में गुरु शंकराचार्य हजारों मील जंगलों की पैदल यात्रा करके महान संत गोविंदा भगवतपद से मिलकर आध्यात्म की शिक्षा ली थी। इस गुफा में आप सुबह 9:00 से शाम 6:00 बजे के बीच घूम सकते हैं।

ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग :

ओंकारेश्वर के साथ ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन भी यहां कर सकते हैं। इसका वास्तविक नाम अमरेश्वर मंदिर है। यह एक संरक्षित स्मारक है, जो भारत के प्राचीन स्थापत्य शैली को प्रदर्शित करता है। महारानी अहिल्याबाई के शासनकाल के दौरान इस मंदिर में कई अनुष्ठान किया गया। इस ज्योतिर्लिंग को छूकर श्रद्धालु पूजा कर सकते हैं । यह मंदिर सुबह 5:30 से 9:00 बजे रात तक दर्शन के लिए खुला रहता है।

काजल रानी गुफा:

मंदिर से महज 8 किमी दूरी पर स्थित काजल रानी गुफा एक सुंदर प्राकृतिक स्थान है।

काजल रानी गुफा: Photo- Social Media

गौरी सोमनाथ मंदिर:

यह मंदिर खजुराहो मंदिरों जैसा प्रतीत होता है। इस मंदिर में 6 फीट का काले पत्थरों से बना एक विशाल शिव लिंग है । इस शिवलिंग के साथ देवी पार्वती की मूर्ति भी एक साथ देखने को मिलती है। इस मंदिर को देखने के लिए करीब 200 सीढियां चढ़नी पड़ती है। हर दिन सुबह 5:00 बजे से शाम 6:00 बजे के बीच इस मंदिर में जाया जा सकता है।

फैनसे घाट :

नर्मदा नदी के तट पर स्थित इस घाट पर आकर लाखों लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं। होली, दीवाली और पूर्णिमा जैसे विशेष अवसरों पर भक्तों की भारी भीड़ होती है। अक्टूबर से मार्च तक इस घाट की यात्रा का आनंद लिया जा सकता है। इसके अलावा अहिल्या घाट , पेशावर घाट भी हैं जहां नहाने के साथ प्राकृतिक छटा का मजा लिया जा सकता है।

रनमुक्तेश्वर मंदिर :

नर्मदा और कावेरी नदियों के संगम पर स्थित यह मंदिर एक पर्यटक स्थल है, जो ओंकारेश्वर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में ऐसी मान्यता है कि भगवान को अरहर की दाल अर्पित करने से आप अपने पूर्व जन्म के पापों से छुटकारा पा सकते हैं।

रनमुक्तेश्वर मंदिर: Photo- Social Media

सतमतिका मंदिर :

10वीं शताब्दी का यह मंदिर ओंकारेश्वर से लगभग 6 किमी की दूरी पर स्थित है। सप्त मातृकाओं को सतमतिका कहा जाता है। इस मंदिर में सात देवी ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वरही, नरसिम्ही, इंद्राणी और चामुंडी हैं जिन्हें अक्कम्मा और कई नामों से भी जाना जाता है की पूजा की जाती है।

कैसे पहुंचें?

ओंकारेश्वर के लिए कोई सीधा एयरपोर्ट नहीं है। इसके लिए इंदौर में देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डे तक आप देश के किसी कोने से आ सकते हैं। यहां से ओंकारेश्वर की दूरी लगभग 77 किमी है। दूसरा निकटतम हवाई अड्डा भोपाल का भी है। यहां से फिर सड़क मार्ग से ओंकारेश्वर पहुंचा जा सकता है। बस और टैक्सी सेवा यहां से आसानी से उपलब्ध है। रेल मार्ग से ओंकारेश्वर रोड तक पहुँचने के लिए कई ट्रेनें भी प्रमुख शहरों से चलती हैं। यह स्टेशन अकोला-रतलाम रेलवे लाइन पर है।

आप इंदौर या खंडवा रेलवे स्टेशन से भी ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए जा सकते हैं। अक्टूबर से मार्च तक का महीना पर्यटकों के लिए घूमने लायक होता है। सर्दी का महीना होने के कारण अगर दिसंबर जनवरी के महीने में घूमने आ रहे हैं तो ऊनी कपड़े रखना ना भूलें। ठहरने के लिए यहां गेस्ट हाउस, होटल और धर्मशाला जैसे कई स्थान हैं जिन्हें आप ऑनलाइन या वहां जाकर भी बुक कर सकते हैं।

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)



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Shashi kant gautam

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