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Rewa News: इको पार्क के निर्माण से बाढ़ के खतरे की संभावना, बिना प्लानिंग प्रोजेक्ट निर्माण का आरोप
Rewa News: रीवा शहर की जीवनदायिनी बीहर नदी पर बिना दूरगामी सोच के बनाया जा रहा प्रोजेक्ट इको पार्क प्रारंभिक बारिश में ही गुजरात के मोरबी से भी बड़ी घटना को आमंत्रण देता दिखाई देने लगा है।
Rewa News: रीवा शहर की जीवनदायिनी बीहर नदी पर बिना दूरगामी सोच के बनाया जा रहा प्रोजेक्ट इको पार्क प्रारंभिक बारिश में ही गुजरात के मोरबी से भी बड़ी घटना को आमंत्रण देता दिखाई देने लगा है। उक्त मामले का खुलासा करते हुए एसकेएम के संयोजक समाजवादी नेता शिव सिंह ने कहा कि कई बार बाढ़ के हालातों को देखते हुए बीहर नदी के गहरीकरण की मांग प्रशासन के समक्ष रखी, किंतु शिवराज सरकार ने बीहर नदी का गहरीकरण न कराकर नवीन प्रोजेक्ट इको पार्क की अनुमति प्रदान की।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार में प्रोजेक्ट को निरस्त किया गया था
एसकेएम के संयोजक समाजवादी नेता शिव सिंह ने कहा कि बिना दूरगामी सोच का खामियाजा 20 अगस्त 2016 को आई भीषण बाढ़ में देखने को मिला। जिसमें पूर्व मंत्री की चहेती कंपनी रुचि रियल्टी होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड इंदौर द्वारा निर्मित झूला पुल जमींदोज हो गया था। यदि पुल चालू होता तो व्यापक जनहानि होती। तत्कालीन कांग्रेस सरकार में प्रोजेक्ट को निरस्त करने आवाज उठने पर प्रोजेक्ट को निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद नए सिरे से करोड़ों की लागत से फिर से यह प्रोजेक्ट बीजेपी सरकार द्वारा लाया गया। जो लगातार आज भी निर्माणाधीन है। बीहर नदी के बीच में जिस टापू पर इको पार्क का निर्माण कराया जा रहा है, वह टापू बड़ी पुल एवं छोटी पुल की ऊंचाई से बहुत ही कम है। आने-जाने वाले पुल की भी ऊंचाई बहुत कम है। सन 2016 की बाढ़ में छोटी पुल के ऊपर बाढ़ का पानी चढ़ गया। यहां तक कि 1997 की बाढ़ में बड़ी पुल के ऊपर भी पानी की छलांग पहुंच गई थी। शिव सिंह ने सवाल उठाया कि ऐसी बाढ़ विभीषिका को देखने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी सरकार एवं उनके स्थानीय पूर्व मंत्री को ऐसे मौत के आमंत्रण देने वाले विनाशरूपी विकास लाने की आखिर क्या पड़ी थी।
नदी के गहरीकरण पर ध्यान नहीं देने से संकट
अगर 1997 एवं 2016 जैसी बाढ़ आती है तो इको पार्क प्रोजेक्ट का क्या हश्र होगा। कितनी जनधन हानि होगी, अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। श्री सिंह ने स्थानीय पूर्व मंत्री को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि विक्रम पुल निर्माण के बाद जितने भी पुल निर्मित किए गए, चाहे वह रिंग रोड पुल, छोटी पुल, करहिया पुल, अजगरहा पुल, सभी की लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई विक्रम पुल से कम की गई।
1997 की बाढ़ के बाद बनी छोटी पुल की ऊंचाई विक्रम पुल से 5.41 मीटर कम की गई। ऐसे में राजनेताओं ने पैसा कमाने के सरल रास्ते अपनाएं तथा नदी के गहरीकरण पर ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते आज रीवा बाढ़ विभीषिका के मुहाने पर खड़ा हुआ है। प्रोजेक्ट नगर निगम क्षेत्र से जुड़ा है। पूर्व में कांग्रेस ने भी सवाल उठाए थे लेकिन जब आज महापौर कांग्रेस पार्टी से हैं, उन्होंने जाकर यह नहीं देखा कि उक्त प्रोजेक्ट जनमानस के लिए सुरक्षित है कि नहीं। 2023 की प्रारंभिक बारिश के बाद इको पार्क के चारों ओर नदी में जो बाउंड्री बनाई गई है, उसके नीचे से टापू की मिट्टी कट-कटकर बह रही है। इससे स्पष्ट हो गया है कि नदी में बाढ़ के दौरान प्रोजेक्ट के जमींदोज होने के आसार दिखाई देने लगे हैं।