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Rewa News: CM हेल्पलाइन की खुली पोल, नहीं हो रहा है शिकायतों का समाधान
Rewa: रीवा जिले में सैकड़ों मामले सीएम हेल्प लाइन में दर्ज हैं जिनका अब तक कोई समाधान नही हो पाया है
Rewa News: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आम जनता की सुविधा के लिए आज से आठ साल पहले सीएम हेल्प लाइन नम्बर 181 की शुरूआत की थी, ताकि आम जनता अपनी शिकायत सीधे दर्ज करा सके। और उस शिकायत का निदान हो सके। मग़र क्या आम जनता की शिकायत 181 के जरिये हल हो रही है। रीवा जिले में ऐसे सैकड़ो मामले सीएम हेल्प लाइन में दर्ज हैं जिनका अब तक कोई समाधान नही हो पाया है
बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के नाम पर ठगी
मामला यह है कि रीवा के रहने वाले पीड़ित पीयूष पाण्डेय ने बताया कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के नाम पर ठगी हुई है. गौशाला निर्माण के लिए टॉस नाम की एनजीओ को ठेका दिया गया। एनजीओ के माध्यम से हमने अलग-अलग पंचायतों में अपनी पूंजी लगा कर हमनें काम किया. मगर भुगतान मुझे न होकर जिला पंचायत अधिकारियों की मिली भगत से सीधी टॉस एनजीओ को हुआ जिसे अमित पटेरिया द्वारा संचालित किया जा रहा है।
इसकी शिकायत हमनें जिला सीईओ स्वप्निल वानखेड़े तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी, एसपी नवनीत भसीन, लोकायुक्त से लेकर पीएमओ तक कि है। प्रधानमंत्री ऑफिस में शिकायत करने के बाद सीएम हेल्प लाइन 181 में शिकायत दर्ज हुई मग़र बिना मेरे बयान के ही दो महीने के अंदर शिकायत निरस्त कर दी गई। फर्जीवाड़े की शिकायत मेरे द्वारा दोबारा 20 अगस्त 2020 को पुनः की गई जिसका अभी तक किसी भी प्रकार का निराकरण नही हो सका है। अभी भी 181 पर शिकायत दर्ज है।
राज्यसभा में मामला गरमाया
पीड़ित पीयूष ने बताया कि यह मामला राज्य सभा मे भी उठा, राज्य सभा सांसद राजमणि पटेल ने जब यह मुद्दा उठाया तो आनन फानन में जांच शुरू की गई। मग़र जो जांच हुई वह एकतरफा थी। जांच से सहमति नही हुई तो फिर से हमने शिकायत की है। शिकायत दर्ज तो कर ली गई है मग़र अभी तक फैसला नही हुआ है।
फर्जी तरीके से हुआ ठेका
ग्रामपंचायत में काम करने का अधिकार केवल ग्राम पंचायत का होता है। मगर फर्जी तरीके से गौशाला निर्माण का ठेका इंदौर की एनजीओ टॉस को दे दिया गया। पीयूष ने आरोप लगाया कि जिला पंचायत सीईओ स्वप्निल वानखेड़े और एनजीओ संचालक अमित पटेरिया की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा हुआ है। इस फर्जीवाड़े में करोड़ों का घोटाला हुआ है। अब इस पूरे मामले को जिला सीईओ दबाने की फिराक में लगे हैं।
ऐसे दर्ज होती है शिकायतें
इस टोल-फ्री नंबर 181 पर कॉल करने पर संबंधित शिकायतकर्ता से नाम, पता आदि की जानकारी ली जाती है। हर शिकायत दर्ज करने पर एक शिकायत नंबर जनरेट होता है। हेल्पलाइन से इस शिकायत को संबंधित अधिकारियों के पास ऑनलाइन और फिर फोन द्वारा सूचित किया जाता है। प्रथम-स्तर पर भी समस्या का निराकरण नहीं हो तो इसे लेवल टू यानी जिले के प्रमुख के पास भेजा जाता है। इसके बाद संभाग और फिर शासन स्तर पर समस्या का निपटारा किया जाता है। समस्या के निपटारे के बाद संबंधित शिकायतकर्ता को क्लोजर कॉल द्वारा सूचित किया जाता है।