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ऑक्सीजन बनी मौत की वजह: मेडिकल कॉलेज में मरीजों ने गंवाई जान, स्थिति बहुत भयावह
मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में लिक्विड ऑक्सीजन टैंक में ऑक्सीजन की कमी की वजह से 6 मरीजों की मौत हो गई।
भोपाल। मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी हो गई। जिससे देर रात यहां लिक्विड ऑक्सीजन टैंक में ऑक्सीजन की कमी की वजह से 6 मरीजों की मौत हो गई। बढ़ते संक्रमण के चलते लगातार आ रहे मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी ही हो रही है। ऐसे में मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं की तंगी से जान गंवानी पड़ रही है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. मिलिंद शिरालकर ने भी ऑक्सीजन की कमी से हुई इन 6 मौतों की पुष्टि कर दी है। इस बारे में डीन ने बताया कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते अब सिर्फ अति गंभीर मरीजों को ही ऑक्सीजन दी जा रही है।
राज्य को कोरोना की दूसरी लहर ने पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया है। यहां बढ़ते संक्रमण से राज्य की स्थिति हर रोज बिगड़ती जा रही है। जिससे राज्य में मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही मेडिकल संसाधनों की भी कमी होने लगी है। इसमें राजधानी भोपाल के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। पिछले 24 घंटे में भोपाल में 1681 नए मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं 112 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है।
सरकार पर उठे कई सवाल
प्रदेश में पहली बार एक साथ इतने संक्रमितों की अंत्येष्टि से प्रशासन भी हैरान है। लोगों में माहौल देख कर खौफ बना हुआ है। भोपाल में पॉजिटिविटी रेट 29% से ऊपर पहुंच गई है। भोपाल, जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर में अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं श्मशान घाटों पर एक के बाद एक शवों का अंतिम संस्कार लगातार जारी है।
इसके साथ ही कोरोना से हो रही मौतों के आंकड़े में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। साथ ही लगातार बढ़ रहे मौतों के आंकड़ों से प्रशासन की नींद उड़ गई है। मौतों के आंकड़ों ने सरकार पर कई सवाल खड़े किए हैं। जबकि विपक्ष लगातार सरकार पर मौत के आंकड़े छुपाने का आरोप लगा रहा है।
विधानसभा पाटन के नुनसर मंडल अध्यक्ष अजय पटेल ने शिवराज सरकार की कार्यप्रणाली पर हल्ला बोलते हुए लिखा है – 'हमारे मध्य प्रदेश का निकम्मा मुख्यमंत्री। मैं खुद मंडल अध्यक्ष उसका विरोध करता हूं। चाहे जो भी हो, क्योंकि मैंने अपनों को मारते हुए देखा है। माननीय शिवराज सिंह चौहान जी मैं आपकी ही पार्टी का मंडल अध्यक्ष नुनसर बोल रहा हूं। मैं अपने परिवार के लिए यदि इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं कर पा रहा हूं तो मैं इसको अपनी नाकामी मानूं या सरकार की।'