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हाय रे सिस्टम ! नहीं मिली एंबुलेंस, बाइक की डिग्गी में नवजात का शव रखकर DM के पास पहुंचा पिता
Singrauli News : सिस्टम से लाचार एक पिता को अपने नवजात के लिए एम्बुलेंस तक नहीं मिला। नतीजतन, उस पिता को अपने नवजात के शव को बाइक की दिग्गी में रखकर ले जाने को मजबूर होना पड़ा।
Singrauli News : देश की 'हृदयस्थली' कहे जाने वाले मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सिंगरौली जिले से एक ऐसी खबर आ रही है जो आपको झकझोड़कर रख देगी। सिस्टम से लाचार एक पिता को अपने नवजात के लिए एम्बुलेंस तक नहीं मिला। नतीजतन, उस पिता को अपने नवजात के शव को बाइक की दिग्गी में रखकर ले जाने को मजबूर होना पड़ा। मध्य प्रदेश की बीजेपी शासित शिवराज सरकार स्वास्थ्य और नौनिहालों को लेकर लाख दावे करती रही हो, लेकिन इस घटना ने एक तरफ जहां मानवता को शर्मसार किया वहीं, सरकारी दावों की पोल भी खोली।
क्या है मामला?
यह घटना मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले (Singrauli District) का है। सोमवार (17 अक्टूबर 2022) को दिनेश भारती नाम का एक शख्स अपनी पत्नी मीना भारती की डिलीवरी करवाने सिंगरौली जिला अस्पताल पहुंचा था। तब उसका सामना जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर की बदहाली से हुआ। सबसे पहले, यहां कार्यरत स्टाफ नर्स ने पर्ची काटने के नाम पर मरीज के परिजनों को अस्पताल में ही पदस्थ डॉक्टर डॉ. सरिता शाह (Dr. Sarita Shah) के प्राइवेट क्लीनिक पर भेज दिया। यहां डॉक्टर ने मरीज के परिजनों से 200 रुपए फीस ली। फिर पर्ची काटी गई। डॉक्टर के कहने पर गर्भवती का अल्ट्रासाउंड किया गया। रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की मौत मां की कोख में ही हो चुकी है।
बच्चे का शव डिग्गी में रख पहुंचा डीएम के पास
परिजनों का कहना है कि डॉ. सरिता शाह के स्टाफ में उनसे 5,000 रुपए लिए और जिला अस्पताल भेज दिया। वहां गर्भवती की डिलीवरी करवाई। कहे अनुसार, बच्चा मृत पाया गया। तब परिजनों ने घर जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की। अस्पताल में मौजूद स्टाफ ने एंबुलेंस न होने की बात की। तब लाचार पिता ने नवजात बच्चे के शव को अपने बाइक की डिग्गी में रख कलेक्ट्रेट पहुंच गया। पिता दिनेश भारती ने जिले के डीएम को अपनी व्यथा सुनाई। तब जिलाधिकारी ने ने जांच के लिए एसडीएम को आदेश दिए।
डॉक्टरों की बढ़ मनमानी से मरीज परेशान
इस वाकये के बाद कई अन्य लोगों ने भी जिला अस्पताल में चिकित्सकों की बात बतायी। डॉक्टरों और स्टाफ की मनमानी का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ के द्वारा मरीजों और तीमारदारों से इस तरह के विवाद सामने आते रहे हैं। बावजूद चिकित्सकों पर कार्रवाई न होने से उनके हौसले बुलंद हैं।