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अंधविश्वास: कोरोना भगाने के लिए टोटका कर रहे ग्रामीण, जांच कराने से इनकार

कोरोनावायरस अब ग्रामीण खेत्र में तेजी से अपना पांव पसार रहा है।

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Newstrack Network NetworkPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 19 May 2021 12:17 PM GMT
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फोटो— कोरोना भगाने के लिए तंत्र—मंत्र करते ग्रामीण (साभार— सोशल मीडिया)

भोपाल। कोरोनावायरस (Coronavirus) अब ग्रामीण खेत्र में तेजी से अपना पांव पसार रहा है। लेकिन सही से जांच न हो पाने के चलते इसका आभास न तो ग्रामीणों को है और न ही सरकार को। कोरोना के चलते गांव की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। वहीं कुछ गांव ऐसे भी है जहां लोग आज भी टोने-टोटके पर ज्यादा यकीन कर रहे हैं। ऐसे ही मध्य प्रदेश के आगर-मालवा के दो गांव हैं। जहां सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन ग्रामीण जांच व इलाज कराने की जगह अंधविश्वास में अटके हुए हैं।

गांव के लोग कोरोना का इलाज कराने की जगह टोने-टोटके का आजमाने में लगे हुए हैं। सूत्रों की मानें तो बीते दो महीनों में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए जिलेभर से 613 आवेद किए गए हैं। इनमें अधिकत्तर आवेदन गांव से किए गए हैं। यह देखकर जब आगर-मालवा के गांवों की स्थितियां जानने की कोशिश की तो चौकाने वाली बात सामने आई। यहां ग्रामीण कोरोना की जांच व इलाज कराने की जगह अंधविश्वास का सहारा ले रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक आगर-मालवा जिला मुख्यालय के बाहरी इलाके में स्थित बैजनाथ निपानिया गांव में बीते दो सप्ताह में 20 से ज्यादा मौतें हुई हैं। गांव के लोगों का मानना है कि इन मौतों के पीछे कोरोनावायरस नहीं है। इन मौतों के पीछे ग्रामीण आात कारण बता रहे हैं। इसको लेकर गांव के लोगों ने एक अनुष्ठान भी किया। इसमें गांव के बाहर एक काल्पनिक द्धार बनाया गया, जिसमें से पूरे गांव के लोगों को गुजरना पड़ा। इन द्धार पर दो लोग खड़े थे जो वहां से गुजरने वालों पर पवित्र जल का छिड़काव कर रहे थे। इस जल को गांव के एक मंदिर में विशेष पूजा-पाठ करके लाया गया था।

इस बारे में बात करने पर गांव के नारायण सिंह बताते हैं कि यह एक विशेष अनुष्ठान है जो पुराने समय से किया जाता रहा है। जब जानवर और इंसान महामारी की चपेट में आ रहे हैं तो यह करना जरूरी हो गया है। इसी तरह गांव के बृजेंद्र सिंह राठौर का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से धीरे-धीरे करके गांव के 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। लेकिन उन्होंने इन लोगों में कोरोना की बात मानने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि ये मौते असामान्य थीं और इसमें अधिकत्तर लोगों की मौत अचानक हुई थी।

Raghvendra Prasad Mishra

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