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Mumbai: फ्लैट मुहैया कराने में बिल्डर ने किया देरी, आयोग ने 63 लाख रुपए का ब्याज देने का दिया आदेश
Maharashtra: बिल्डर द्वारा ग्राहक से पैसा लिए जाने के बाद समय पर मकान ना मुहैया कराने के मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बिल्डर को ग्राहक को ब्याज देने का दिया आदेश।
Maharashtra News : हम सबकी जिंदगी में खुद का घर होना एक बहुत बड़ा सपना होता है। यह सपना उनके लिए और ज्यादा अहमियत रखता है जो किसी बड़े महानगर में किराए के मकान पर रहते हों। किराए के मकान पर रहने वाले लोगों को किसी बड़े शहर में खुद का एक घर बनाने में जीवन की पूरी जमा पूंजी को लगाना पड़ता है। मगर जब आपकी मेहनत के पैसे से बुक कराए फ्लैट या घर का कब्जा देने में बिल्डर बहुत समय लगा देता है तो हमें भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बीते कुछ वक्त में सरकार ने इस तरफ ध्यान दिया मगर इसके बावजूद भी हालात में कोई ज्यादा बदलाव नहीं आया।
उपभोक्ता आयोग का अहम फैसला
बिल्डरों द्वारा पैसा लिए जाने के बाद भी समय से ग्राहकों को फ्लैट ना उपलब्ध कराए जाने को लेकर बीते कुछ सालों में सरकार ने कई कानून बनाये। कानून बनने से इस तरह के मामलों में थोड़ी गिरावट तो आयी मगर यह परेशानी पूरी तरह से खत्म नहीं हो सकी। हाल ही में मुंबई के एक मामले में सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission) ने सुप्रीम कोर्ट के एक मामले का हवाला देते हुए बिल्डर को ग्राहक के पैसे का ब्याज देने का दिया आदेश।
ब्याज सहित संपत्ति को मिलेगा पैसा
इस मामले में एक दंपत्ति ने फ्लैट खरीदने के लिए बिल्डर को एक करोड़ 1 करोड़ 17 लाख रुपए दिए थे। मगर तय वक्त पर बिल्डर द्वारा दंपत्ति को फ्लैट मुहैया ना कराए जाने के बाद दंपति ने बिल्डर की शिकायत नेशनल उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में की इस मामले में सुनवाई करते हुए आयोग ने बिल्डर को या आदेश दिया कि मूलधन 1 करोड़ 17 लाख के साथ दंपत्ति को 63 लाख रुपए का ब्याज दिया जाए।
आयोग ने कहा कि बिल्डर प्रशासन की अनुमति का बहाना देकर किसी भी ग्राहक का पैसा ऐसे नहीं फंसा सकता है। आयोग ने कहा प्रशासन की अनुमति में वक्त लगने का बहाना बिल्डर अपने बचाव की दलील पर नहीं उपयोग कर सकता है। कोर्ट ने दंपत्ति अनुज और सोमारा विश्वास को कैपस्टोन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा फ्लैट की मूल राशि 1 करोड़ 17 लाख को 9 फ़ीसदी ब्याज यानी करीब 63 लाख रुपये के सहित लौटाने का आदेश दिया।