'घड़ी' को लेकर चाचा-भतीजे में जंग, सुप्रीम कोर्ट ने कहा - 36 घंटे के भीतर प्रकाशित करें डिस्क्लेमर

Supreme Court News : सुप्रीम कोर्ट ने शरद पवार और अजित पवार समूहों को एनसीपी विवाद में प्रतीकों के इस्तेमाल पर पिछले निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया है।

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Newstrack Network
Published on: 6 Nov 2024 11:57 AM GMT
घड़ी को लेकर चाचा-भतीजे में जंग, सुप्रीम कोर्ट ने कहा - 36 घंटे के भीतर प्रकाशित करें डिस्क्लेमर
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Supreme Court News : सुप्रीम कोर्ट ने शरद पवार और अजित पवार समूहों को एनसीपी विवाद में प्रतीकों के इस्तेमाल पर पिछले निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया है। NCP प्रमुख अजित पवार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि 36 घंटे के भीतर वह मराठी दैनिकों सहित प्रमुख अखबारों में एक अस्वीकरण प्रकाशित करेंगे, जिसमें कहा जाएगा कि एनसीपी द्वारा घड़ी के चिन्ह का उपयोग एक विचाराधीन मामला है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने एनसीपी शरद पवार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। याचिका में एनसीपी अजित पवार गुट समूह को महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में 'घड़ी' चिन्ह का उपयोग करने से रोकने की मांग की गई। इसके साथ ही शरद पवार ने अजित पवार को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एक नए चिह्न के लिए आवेदन करने का निर्देश देने की मांग की।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने दावा किया कि एनसीपी 'घड़ी' चिन्ह के उपयोग के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई सभी शर्तों का पालन कर रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने एक नया हलफनामा प्रकाशित करने के लिए समाचार पत्रों से संपर्क किया है। इस पर कोर्ट ने पूछा, "आप समाचार पत्रों में अस्वीकरण प्रकाशित करने के लिए समय क्यों ले रहे हैं? आप इसे कितने घंटों में कर सकते हैं? इस पर अधिवक्ता बलबीर सिंह ने कहा कि दो-तीन दिनों के भीतर यह किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि कहा 24 घंटे या अधिकतम 36 घंटे के भीतर आप समाचार पत्रों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करें।

वहीं, शरद पवार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रांजल अग्रवाल ने कहा कि अजित पवार गुट सोशल मीडिया पर बिना डिस्क्लेमर के अपलोड किए गए वीडियो को हटाकर सबूत नष्ट कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत वह झूठ बोलते हैं कि हर वीडियो के अंत में एक अस्वीकरण था। उन्होंने कहा कि 1 नवंबर को बारामती निर्वाचन क्षेत्र से ली गई तस्वीरों से पता चलता है कि अजित पवार पक्ष के पोस्टरों पर कोई अस्वीकरण नहीं है। इस पर पीठ ने पूछा कि इसका समाधान क्या हो सकता है, तो अधिवक्ता ने सुझाव दिया कि अजित पवार घड़ी के प्रतीक के बजाय एक नए प्रतीक के लिए आवेदन करें।

इस दौरान सुनवाई के समय शामिल हुए वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने शरद पवार की ओर से दलील दी कि अजित पवार द्वारा बार-बार उल्लंघन किए जाने के कारण उनका पक्ष न्यायालय आने को मजबूर हो रहा है। सिंघवी ने कहा कि वे (अजित पवार) कहते रहते हैं कि शरद पवार हमारे भगवान हैं। वे शरद पवार के नाम और घड़ी के चिन्ह का उपयोग करने के लाभ को जानते हैं और इसका बार-बार उल्लंघन हो रहा है।

बता दें कि लोकसभा चुनावों से पहले 19 मार्च और 4 अप्रैल को कोर्ट ने एनसीपी को सभी प्रचार सामग्रियों में एक डिस्क्लेमर जारी करने का निर्देश दिया था कि 'घड़ी' चिन्ह कोर्ट में विचाराधीन है 24 अक्टूबर को कोर्ट ने अजीत पवार को निर्देश दिया था कि वे इस आशय का हलफनामा दाखिल करें कि राज्य विधानसभा चुनावों में भी पिछले आदेशों का पालन किया जाएगा। इसके अलावा पीठ ने मौखिक रूप से चेतावनी दी कि यदि उसके आदेशों का उल्लंघन किया गया तो वह स्वतः अवमानना ​​का मामला शुरू करेगी।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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