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Maharashtra Politics: हिंदुत्व के मुद्दे पर घिरती जा रही शिवसेना, भाजपा ने संभाला हनुमान चालीसा पाठ का मोर्चा
Loudspeaker Controversy: महाराष्ट्र की राजनीति में लाउडस्पीकर, हनुमान चालीसा को लेकर छिड़ा विवाद के बीच अब राज ठाकरे के बाद भारतीय जनता पार्टी भी शिवसेना के खिलाफ हमलावर हो रही है।
Hanuman Chalisa Controversy : महाराष्ट्र की सियासत में हिंदुत्व के मुद्दे पर जंग लगातार तीखी होती जा रही है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) और अमरावती की सांसद नवनीत राणा (Navneet Rana) के बाद भाजपा (BJP) भी हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) के मुद्दे पर खुलकर सियासी रण में कूद पड़ी है। भाजपा की इस रणनीति के पीछे बीएमसी चुनावों (BMC Election) को बड़ा कारण माना जा रहा है। इसका जरिए हिंदुत्व के मुद्दे को और धारदार बनाने की कोशिश की जा रही है।
हालांकि शिवसेना लगातार इस मुद्दे पर जवाब देने की कोशिश में जुटी हुई है मगर गठबंधन सरकार की मजबूरियों के कारण पार्टी हिंदुत्व की पिच पर पहले की तरह बैटिंग नहीं कर पा रही है। दूसरी ओर भाजपा ने अब इस मुद्दे पर फ्रंट फुट पर खेलना शुरू कर दिया है। इसका नमूना रविवार को मुंबई में आयोजित महासंकल्प सभा में दिखा जिसमें हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद जनसभा की शुरुआत की गई। सियासी जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर सियासी जंग और तीखी होने के आसार हैं।
बीएमसी चुनावों के कारण बदली रणनीति
महाराष्ट्र की सियासत मनसे प्रमुख राज ठाकरे की मुहिम से पिछले काफी दिनों से गरमाई हुई है। मस्जिदों से लाउडस्पीकर (Loudspeaker Controversy) उतरवाने और न उतारने पर हनुमान चालीसा का पाठ करने की चेतावनी देकर राज ठाकरे ने पहले ही शिवसेना की दिक्कतें बढ़ा रखी हैं। बाद में नवनीत राणा के हनुमान चालीसा पाठ को लेकर पैदा हुए विवाद ने हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना की मुसीबतों में और इजाफा कर दिया। अभी तक इस मुद्दे को लेकर पर्दे के पीछे खेल खेल रही भाजपा भी अब खुलकर सामने आ गई है।
माना जा रहा है कि बीएमसी चुनावों की वजह से भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और अब इस मुद्दे पर खुलकर उद्धव सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की है। मुंबई में हिंदी पट्टी के मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है और इस मुहिम के जरिए मतदाताओं के इस बड़े वर्ग में पैठ बनाने में भाजपा को मदद मिलने की संभावनाएं दिख रही हैं। इसीलिए भाजपा नेताओं ने अब हनुमान चालीसा का पाठ करके उद्धव सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
ओवैसी के भाई ने बढ़ाई मुसीबत
हनुमान चालीसा के पाठ को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने औरंगजेब की मजार पर जाकर सियासी माहौल को गरमा दिया। हालांकि शिवसेना इस मुद्दे के गरमाने की आशंका से पहले ही रक्षात्मक मुद्रा में आ गई और उसने ओवैसी के इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए खुद पर हमलों से बचाव की कोशिश की। दूसरी ओर भाजपा के नेता ओवैसी के इस कदम को लेकर लगातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।
रविवार को मुंबई में आयोजित महासंकल्प सभा में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य में हनुमान चालीसा पढ़ने वालों को जेल भेजा जा रहा है जबकि औरंगजेब की दरगाह पर सिर झुकाने वालों के खिलाफ रिपोर्ट तक नहीं लिखी गई।
हनुमान चालीसा के बाद होगा लंका दहन
इस सभा की शुरुआत ही हनुमान चालीसा के पाठ के साथ की गई जिसमें फडणवीस समेत भाजपा के सभी नेताओं ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि हनुमान चालीसा की शुरुआत अब हो गई है और अब लंका दहन भी होकर रहेगा। एक और उल्लेखनीय बात यह रही कि फडणवीस ने अपने संबोधन की शुरुआत भोजपुरी में करते हुए उत्तर भारतीय मतदाताओं में सेंध लगाने की कोशिश की।
अपने संबोधन के दौरान फडणवीस ने शनिवार को उद्धव की सभा का जिक्र करते हुए उसे कौरवों की सभा तक बता डाला। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए कारसेवकों ने अपने जान की बाज़ी तक लगा दी मगर शिवसेना के नेता कारसेवकों का मजाक उड़ाने में जुटे हुए हैं।
हिंदुत्व के मुद्दे पर बढ़ी शिवसेना की बेचैनी
दरअसल महाराष्ट्र की सियासत अब हिंदुत्व का ऐसा तड़का लग गया है जो शिवसेना की बेचैनी बढ़ाने वाला है। इसी कारण शनिवार को उद्धव ठाकरे ने भी हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा पर तीखा हमला बोला था। उनका कहना था कि हमारा हिंदुत्व गदाधारी है, उनके जैसा घंटाधारी नहीं। उन्होंने कहा कि गदा उठाने के लिए ताकत की जरूरत होती है और यह ताकत सिर्फ शिवसेना के पास है।
कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चलाने के कारण उद्धव की सियासी मजबूरियां है और वे हिंदुत्व की पिच पर चाहकर भी खुलकर नहीं खेल पा रहे हैं और भाजपा शिवसेना की इसी सियासी मजबूरी का फायदा उठाने की कोशिश में जुट गई है। बीएमसी चुनाव सिर पर होने के कारण अब यह मुद्दा लगातार तीखा होता जा रहा है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर और तेज हो जाएगा।